एक सौ फाइलों ने रोकीं दिल्ली सरकार की सांसें
अगस्त में दिल्ली हाईकोर्ट के उपराज्यपाल के समर्थन में आए आदेश के बाद दिल्ली सरकार के कामकाज को लेकर तत्कालीन उपराज्यपाल नजीब जंग की सक्रियता बढ़ी थी।
नई दिल्ली (जेएनएन)। उपराज्यपाल निवास में रोकी गईं एक सौ फाइलों ने दिल्ली की आप सरकार की सांसें रोक रखी हैं। कुछ दिन पहले तक उपराज्यपाल अनिल बैजल पर टिप्पणी करने से बच रही सरकार को एकाएक बदले माहौल से लगने लगा है कि यह तूफान से पहले के सन्नाटा जैसा था। बहरहाल सरकार उपराज्यपाल निवास के अगले कदम का इंतजार कर रही है।
आपको बता दें कि अगस्त में दिल्ली हाईकोर्ट के उपराज्यपाल के समर्थन में आए आदेश के बाद दिल्ली सरकार के कामकाज को लेकर तत्कालीन उपराज्यपाल नजीब जंग की सक्रियता बढ़ी थी। उन्होंने आदेश दे दिया था कि कोई भी विदेशी दौरे नहीं होंगे। विशेष परिस्थितियों में किसी मंत्री को भी विदेश जाना पड़ता है तो पहले एलजी से स्वीकृति लेनी होगी। उन्होंने उस समय बाकायदा आदेश जारी कर दिया था कि उपराज्यपाल कार्यालय या केंद्र सरकार में होने वाली बैठकों की जानकारी के बारे में अधिकारी सरकार के मंत्रियों के साथ साझा नहीं करेंगे।
उसके बाद दिल्ली सरकार में हालात इस तरह के हो गए थे कि सचिवालय में काम कर रहे कुछ विभागों के प्रमुखों ने अपने मंत्रियों की बैठकों में भी जाने से मना कर दिया था। मगर उपराज्यपाल के पद से नजीब जंग के इस्तीफा देने के बाद से हालात बदले लग रहे थे। सरकार से टकराव करने वाले कुछ अधिकारियों को उपराज्यपाल ने हटाया भी था। सरकार की कई रुकी हुईं फाइलें क्लीयर की थीं। मगर इसी बीच शुंगलू कमेटी की रिपोर्ट का मसला उछल गया है।
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दरअसल अगस्त में उपराज्यपाल ने उस सभी फाइलों को जांच के लिए अपने पास मंगा लिया था, जिन पर उपराज्यपाल से अनुमति नहीं ली गई थी। शुंगलू कमेटी बनाकर जांच कराई थी। उपराज्यपाल ने उन्हीं फाइलों से सात से अधिक मामले सीबीआइ को भेजे, जिनकी जांच हो रही है। वहीं कमेटी की जांच के बाद अन्य फाइलें उपराज्यपाल ने सरकार को लौटा दी हैं, जबकि एक सौ के करीब फाइलें उपराज्यपाल निवास में रोक रखी हैं। उनमें कुछ फाइलें सरकार के कामकाज से भी संबंधित हैं, जिनके बारे में दिल्ली सरकार ने उपराज्यपाल निवास में संपर्क भी किया था। मगर कोई रिस्पांस नहीं मिला था।
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