बाढ़ के पानी का भंडारण कर भूजल स्तर बढ़ाने में जुटी दिल्ली सरकार, जानिए क्या है पायलट परियोजना
एनजीटी द्वारा यमुना पर गठित कमेटी केंद्र सरकार व अन्य संबंधित एजेंसियों को सौंपी जाएगी। यदि परियोजना के परिणाम से संबंधित एजेंसियां संतुष्ट हुईं तो दिल्ली सरकार इस परियोजना को बड़े स्तर पर आगे बढ़ाएगी। ताकि बाढ़ के पानी का भंडारण कर भूजल स्तर बढ़ाया जा सके।
नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। दिल्ली सरकार की पायलट परियोजना के तहत पल्ला में यमुना किनारे तालाब बनाकर बाढ़ के पानी का भंडारण करने से आसपास के इलाके में इस बार ढाई मीटर तक भूजल स्तर बढ़ गया है। दिल्ली सरकार ने तीन साल के लिए यह पायलट परियोजना शुरू की थी। जल्द ही इसकी रिपोर्ट एनजीटी द्वारा यमुना पर गठित कमेटी, केंद्र सरकार व अन्य संबंधित एजेंसियों को सौंपी जाएगी। यदि परियोजना के परिणाम से संबंधित एजेंसियां संतुष्ट हुईं तो दिल्ली सरकार इस परियोजना को बड़े स्तर पर आगे बढ़ाएगी। ताकि बाढ़ के पानी का भंडारण कर भूजल स्तर बढ़ाया जा सके। बाद में इस भूजल का इस्तेमाल पेयजल के लिए किया जा सकेगा।
उल्लेखनीय है कि एनजीटी व केंद्रीय जल शक्ति मंत्रालय से स्वीकृति लेकर दिल्ली सरकार ने पल्ला के नजदीक यमुना के बाढ़ क्षेत्र में 40 एकड़ जमीन में बाढ़ के पानी का संग्रहण शुरू किया था। इसमें 10 एकड़ जमीन ग्राम सभा की जमीन पर है। वहीं 30 एकड़ जमीन दिल्ली सरकार ने किसानों से तीन साल के लिए लीज पर लिया था। वर्ष 2019 में इस परियोजना पर काम शुरू हुआ था और मानसून में बाढ़ के पानी का भंडारण किया गया था। इससे भूजल स्तर में होने वाले सुधार की जांच के लिए 33 पीजोमीटर लगाए गए थे। बताया जा रहा है कि इस साल 0.50 मीटर से लेकर ढाई मीटर तक भूजल स्तर बढ़ा है।
मालूम हो कि जुलाई माह में पहाड़ों पर मूसलधार बारिश से दिल्ली में यमुना का जलस्तर खतरे के निशान के ऊपर पहुंच गया था। हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से दिल्ली की ओर लगातार हजारों क्यूसेक पानी छोड़ दिया गया था। ऐसे में यमुना का जलस्तर स्तर 205.33 को पार करते हुए 205.34 पहुंच गया था। जलस्तर लगातार बढ़ने से प्रशासन ने खादर के क्षेत्र में मुनादी करवाकर लोगों से क्षेत्र को छोड़कर सुरक्षित स्थान पर जाने के लिए अपील भी की थी। इसके साथ ही सिविल डिफेंस वालंटियर की कई टीमों को यमुना किनारों पर तैनात किया गया था ताकि लोग यमुना में न जा सकें। बोट क्लब को अलर्ट पर रहने के लिए कहा गया था।