दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच फिर बढ़ा टकराव, मंत्री ने ये फाइलें भेजने से किया इनकार
दिल्ली सरकार ने नई पार्किंग नीति और ऑटो किराया बढोतरी की फाइल उपराज्यपाल अनिल बैजल के पास भेजने से इन्कार कर दिया है।
नई दिल्ली, जेएनएन। उपराज्यपाल और दिल्ली सरकार के बीच अधिकारों का टकराव सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के फैसले के बाद भी खत्म नहीं हुआ है। इसी फैसले का हवाला देते हुए दिल्ली सरकार ने नई पार्किंग नीति और ऑटो किराया बढोतरी की फाइल उपराज्यपाल अनिल बैजल के पास भेजने से इन्कार कर दिया है।
वहीं परिवहन विभाग ने दिल्ली सरकार को लिखा है कि इन फैसलों पर अधिसूचना उपराज्यपाल के आदेश पर ही जारी हो सकती है। दिल्ली सरकार का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के फैसले के मुताबिक इस तरह के फैसलों में उपराज्यपाल से अनुमति की जरूरत नहीं है। इसलिए फाइलें उपराज्यपाल के पास नहीं भेजी जाएगी।
सरकार ने पहले से तैयार दिल्ली मेंटीनेंस एंड मैनेजमेंट ऑफ पार्किंग रूल्स -2017 के मसौदे में कई बदलाव किए हैं। इसमें मुख्य रूप से घर के बाहर कार खड़ी करने पर लगने वाले शुल्क का प्रस्ताव हटाया जाना है। लेकिन, इसे अंतिम रूप देने में पेंच फंस गया है। परिवहन विभाग के अधिकारियों ने इस बदलाव पर जनता से सुझाव लेने और इससे पहले उपराज्यपाल से मंजूरी लेने की शर्त जोड़ दी है। दिल्ली सरकार को यह शर्त मंजूर नहीं है।
परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ के हाल में आए फैसले का हवाला देते हुए परिवहन विभाग को निर्देश दिया है कि परिवहन रिजर्व विषय नहीं है। इसलिए फाइलों को उपराज्यपाल के पास मंजूरी के लिए नहीं भेजा जाए। दूसरी तरफ परिवहन विभाग ने मोटर व्हीकल एक्ट-1988 का हवाला देते हुए उपराज्यपाल की मंजूरी को जरूरी बताया है।
आयोग की भी लेनी होगी अनुमति
परिवहन विभाग ने 12 दिन पहले दिल्ली सरकार को ऑटो किराया की फाइल भेजी है। इसमें लिखा है कि उपराज्यपाल की अनुमित जरूरी है। उपराज्यपाल की हरी झंडी के बाद भी इस फैसले को लागू करने से पहले चुनाव आयोग की अनुमति लेनी होगी। क्योंकि मौजूदा समय में चुनाव आचार संहिता लगी हुई है।
बता दें कि दिल्ली में पार्किंग क्षमता 72 हजार है। दक्षिणी एमसीडी में 31664, उत्तरी एमसीडी में 31033 और पूर्वी एमसीडी में 9737 पार्किंग क्षमता है। दिल्ली में वाहनों की संख्या एक करोड़ नौ लाख से अधिक है।