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देखें तस्वीर, जब दिल्ली की बेटी से गुल्लक पाकर भावुक हो गए थे अटल

प्रज्ञा ने अपना गुल्लक उनके सामने रखा तो अटल ने पूछा कि यह क्या है। इस पर प्रज्ञा ने कहा कि इसे गुजरात के भूकंप पीड़ितों के लिए लाई हूं।

By Edited By: Published: Thu, 16 Aug 2018 10:04 PM (IST)Updated: Sat, 18 Aug 2018 08:50 AM (IST)
देखें तस्वीर, जब दिल्ली की बेटी से गुल्लक पाकर भावुक हो गए थे अटल
देखें तस्वीर, जब दिल्ली की बेटी से गुल्लक पाकर भावुक हो गए थे अटल

नई दिल्ली (स्वदेश कुमार)।  साल 2001 में गुजरात में भूकंप पीड़ितों के लिए प्रधानमंत्री राहत कोष में देश-विदेश से लोग दान दे रहे थे, लेकिन एक ऐसा भी दान था जिसे देख तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भावुक हो गए। यह योगदान था यमुनापार की प्रज्ञा जायसवाल का। प्रज्ञा उस समय मात्र आठ साल की थी जब वह अपने पिता और भाजपा नेता दिव्य जायसवाल के साथ प्रधानमंत्री से मिलने पहुंची थी। प्रज्ञा ने अपना गुल्लक उनके सामने रखा तो अटल ने पूछा कि यह क्या है। इस पर प्रज्ञा ने कहा कि इसे गुजरात के भूकंप पीड़ितों के लिए लाई हूं।

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प्रज्ञा का परिवार शाहदरा इलाके में रहता है। उनके पिता दिव्य जायसवाल संयुक्त निगम के 2007 से 2009 तक उप महापौर रहे हैं। प्रज्ञा बताती हैं कि अटल बिहारी वाजपेयी से उनकी तीन पीढि़यों का मिलना-जुलना रहा। वे तीसरी पीढ़ी की हैं। इससे पहले उनके पिता और दादा की मुलाकातें भी अटल जी से होती रहीं। उनके दादा स्व. प्रिय कुमार जायसवाल जनसंघ से जुड़े थे। आपातकाल के दौरान उनका मकान सील हो गया था। इसके साथ उनके नाम पर वारंट भी जारी हो गया था।

आपातकाल के बाद जब अटल बिहारी वाजपेयी शाहदरा इलाके में जनसभा करने पहुंचे तो उन्होंने मंच पर ही उनके दादा को बुला लिया। इसी तरह पिता भाजपा से जुड़े हैं तो इस नाते उनकी भी कई मुलाकातें हुई। प्रज्ञा भी प्रधानमंत्री रहते हुए अटल से दो बार मिलीं। प्रज्ञा इससे पहले 1999 में कारगिल युद्ध की विजय पर शुभकामनाएं देने भी पिता के साथ पहुंची थी। उस समय वह मात्र छह साल की थी। उन्होंने वाजपेयी को फूल देकर अपनी खुशी जताई थी। उनके निधन से पूरा परिवार गमगीन है।

मंत्री पद छोड़ो और लोकसभा चुनाव लड़ो
प्रधानमंत्री के करीबियों में यमुनापार के तीन बार सांसद रहे लाल बिहारी तिवारी भी शामिल थे। लाल बिहारी तिवारी ने बताया कि आपातकाल के दौरान वे 19 महीने जेल में रहे। उस समय अटल जी भी जेल में थे, लेकिन उनसे मुलाकात नहीं हो पाई। भाजपा के टिकट पर लाल बिहारी तिवारी विधायक चुने गए। इसके बाद वे दिल्ली में खाद्य मंत्री भी रहे। 1997 में बीएल शर्मा प्रेम के इस्तीफे के कारण पूर्वी दिल्ली लोकसभा सीट (उत्तर पूर्वी दिल्ली समाहित) पर उपचुनाव होने थे। एक दिन अटल जी का फोन आया। उनका फोन आना अपने आप में उनके लिए बड़ी बात थी। फोन उठाते ही उन्होंने कहा कि मंत्री पद से इस्तीफा दीजिए। आपको लोकसभा चुनाव लड़ना है।

बकौल तिवारी, मैं चुनाव के लिए तैयार नहीं था, लेकिन उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी संसदीय सीट पर आपको पार्टी की लाज बचानी है। उनके आशीर्वाद से चुनाव लड़ा और तब कांग्रेस के धाकड़ नेता एचकेएल भगत को करीब सवा लाख वोटों से हराया। उन्होंने बताया कि मतगणना हो रही थी और वे 80 हजार वोटों से आगे चल रहे थे। तभी वे अटल से मिलने उनके आवास पर पहुंच गए। अटल ने गले लगाया और कहा कि आपने लाज रख ली। इसके बाद लाल बिहारी तिवारी 1998 और फिर 1999 में भी इसी सीट से जीतकर संसद में पहुंचे। उन्होंने कहा कि अटल काफी व्यावहारिक थे। उनके पास हर समस्या का समाधान था।

लोकसभा चुनाव जीतने के बाद जब एक दिन अटल से मिले तब उन्होंने कहा कि उन्हें वेतन व भत्ते के रूप में पांच हजार रुपये मिलते हैं। उनका संसदीय क्षेत्र काफी बढ़ा है। इस कारण वे आर्थिक संकट में हैं। इस पर अटल ने कहा कि चलिए इसका समाधान कर देते हैं। इसके बाद उन्होंने उन्हें कई संसदीय समितियों का सदस्य बना दिया। इससे उनका भत्ता बढ़ गया।

कवि ने शुरू किया अटल सम्मान समारोह
सोनिया विहार निवासी कवि भुवनेश सिंघल पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से इतने प्रभावित थे कि उन्होंने उनको सम्मान देने की शुरुआत कर दी। यह सम्मान हर साल अटल के जन्मदिवस की पूर्व संध्या पर दिया जाता है। 2014 में इसकी शुरुआत हुई। समाज के विभिन्न क्षेत्रों में योगदान करने वाले लोगों को अटल सम्मान दिया जाता है।

2016 से अटल सम्मान समारोह का आयोजन संसद भवन में किया जा रहा है। भुवनेश सिंघल ने बताया कि उन्होंने पहली बार 1996 में भाजपा कार्यालय में अटल का भाषण सुना था। इसके बाद वे उनके मुरीद हो गए। धीरे-धीरे उनका जादू सिर चढ़कर बोलने लगा। इसी वजह से उन्होंने एक संस्था बनाकर सम्मान समारोह की शुरुआत की।


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