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    Delhi Election: इस चर्चित सीट पर कैसे बदले राजनीतिक समीकरण? पलायन ने ऐसे बिगाड़ा 'खेल'; ये हैं प्रमुख मुद्दे

    By Jagran NewsEdited By: Kapil Kumar
    Updated: Sat, 25 Jan 2025 06:46 PM (IST)

    Delhi Vidhan Sabha Chunav 2025 राजधानी दिल्ली में बल्लीमारन विधानसभा क्षेत्र के लोगों के सामने जलभराव सड़क सीवर और शुद्ध पेयजल जैसी कई समस्याएं हैं। पलायन भी यहां का एक बड़ा मुद्दा है। बताया गया कि यहां पहले हिंदू की संख्या करीब 65 प्रतिशत थी जो अब सिर्फ 35 से 40 फीसदी रह गई है। आगे विस्तार से पढ़िए इस विधानसभा क्षेत्र के बारे में।

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    बल्लीमारन विधानसभा क्षेत्र में जलभराव समेत कई बड़ी समस्याएं हैं। जागरण फोटो

    अनूप कुमार सिंह, नई दिल्ली। ‘बे-खुदी बे-सबब नहीं ‘गालिब’ कुछ तो है जिसकी पर्दादारी है।’ मशहूर शायर मिर्जा गालिब का यह शेर बल्लीमारन विधानसभा के वर्तमान हालात पर सटीक बैठता है। यहां पर काफी कुछ ऐसा है, जिसकी पर्देदारी है। विशेष यह कि मिर्जा गालिब अपने समय में इसी क्षेत्र के निवासी थे।

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    बल्लमारन की पर्दादारी विकास की उपेक्षा से हुए पलायन से जनसांख्यिकी बदलाव है, जिसने यहां के राजनीतिक समीकरण को ही बदल दिया है, हालांकि इसका प्रभाव यहां के सांप्रदायिक सौहार्द पर नहीं पड़ा है। पर, क्षेत्र की लगातार हो रही उपेक्षा से विशुद्ध व्यापारिक क्षेत्र बल्लीमारन के नयाबांस, गली बताशा आदि इलाकों का व्यापार सिमटता जा रहा हैं, बावजूद इसके जनप्रतिनिधि यहां की व्यवस्था में सुधार को लेकर कतई गंभीर नहीं।

    वोट बैंक देखकर कराया जाता है काम

    नयाबांस निवासी बल्लीमारन विधानसभा के मतदाता करीब 200 वर्षों से पीढ़ी-दर-पीढ़ी यहां व्यापार कर रहे जयप्रकाश बताते हैं कि पिछले कुछ वर्षों से इस विधानसभा में विकास कार्य वोट बैंक को देखकर किया और कराया जाता है। शिकायतों का कोई असर नहीं होता।

    पास के ही लालकुआं में जो कार्य बिना कहे, बिना मांग के अपने आप किए और कराए जाते हैं, वहीं कार्य नयाबांस में कहने, मांग करने और शिकायत करने के बावजूद नहीं कराए जाते। आरोप लगाया कि यह सब 15-20 वर्ष से ही आरंभ हुआ है। पहले यह स्थिति नहीं थी।

    जलभराव, सड़क और सीवर बड़ी समस्या

    कहा कि तंग गलियों वाले इन इलाकों की जलभराव, सड़क, सीवर, शुद्ध पेयजल आपूर्ति जैसे विकास कार्यों की, लगातार की जा रही उपेक्षा में पिछले 20 वर्षों में यहां के स्थाई निवासी तमाम परिवारों ने पलायन कर गए हैं।

    व्यापारी अशोक कुमार श्रीवास्तव भी जयप्रकाश की बात का समर्थन करते हैं। उनका कहना है कि उपेक्षा के उपजे पलायन ने यहां जनसांख्यिकी बदलाव कर दिया है। पहले यहां 65 प्रतिशत के करीब हिंदू आबादी निवास करती थी, यहां के मुख्य व्यापार पर उनका ही आधिपत्य था। बाकी के 35 प्रतिशत में अन्य हुआ करते थे। पर, अब स्थिति अब इसके उल्ट हो गई है।

    हिंदू आबादी रह गई सिर्फ 40 फीसदी

    बताया कि हिंदू आबादी 35 से 40 प्रतिशत रह गई, जबकि अन्य बढ़कर 60 से 65 प्रतिशत हो गए। इस बदलाव का असर व्यापार पर भी पड़ रहा है। गली बताशा में साहू बिरादरी के करीब 250 परिवार चार पीढ़ियों से यहां के स्थाई निवासी थे। पर, अब इनमें से बामुश्किल 10-15 परिवार ही रह गए। उनका व्यापार भी सिमटता जा रहा है।

    आशंका जताई कि क्षेत्र की और क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने वाले जनप्रतिनिधियों का यही हाल रहा तो अगले चार-पांच-वर्षों में जो बचे हैं, वह भी यहां से चल जाएंगे।

    यहां नहीं कराई जाती साफ-सफाई

    यहीं के सीताराम बाजार चौरासी घंटा मंदिर निवासी व्यापारी शैलेंद्र गुप्ता कहते हैं, आप स्वयं क्षेत्र का भ्रमण कर लीजिए, अंतर समझ में आ जाएगा। कहते हैं कि जनप्रतिनिधि तो पूरी विधानसभा का होता है न कि क्षेत्र विशेष का। पर, यहां वर्षों से यही हो रहा है। न सड़क बन रही है और न ही सीवर लाइन बदलवाना तो दूर साफ-सफाई तक नहीं कराई जाती।

    बताया कि जिन इलाकों को अपना वोट बैंक समझा जाता है, वहां यह सब का बिन कहे, काम हो रहे हैं और होते रहते हैं। इसी विधानसभा के लालकुआं इलाके के मतदाताओं मोहम्मद यामीन और मोहम्मद अली से जब इस बारे में बातचीत की गई तो उनकी समस्या इससे इतर थी।

    सीवर को लेकर कोई शिकायत नहीं

    उन्हें सड़क, बिजली, पानी और सीवर को लकर कोई शिकायत नहीं थी। उनकी चिंता क्षेत्र में स्तरीय शिक्षण संस्थानों के अभाव को लेकर थी। मोहम्मद यामीन ने कहा कि यहां जितने भी शिक्षण संस्थान हैं, वह स्तरीय नहीं हैं। केवल काम चलाऊ हैं, कहने भर को हैं। कहीं शिक्षक नहीं तो कहीं इमारत पूरी नहीं।

    अफसोस जताया कि इस कारण ही क्षेत्र की युवा पीढ़ी देश के विकास में अपना सौ प्रतिशत योगदान ही नहीं दे पा रही है। लालकुआं निवासी मोहम्मद अली कहते हैं कि वर्तमान में क्षेत्र की सबसे बड़ी आवश्यकता अच्छा उच्च और माध्यमिक शिक्षण संस्थान है। बाकी उन्हें कोई दिक्कत नहीं, किसी से कोई शिकायत नहीं। कहते हैं कि थोड़ा बहुत ठंडा-गर्म तो कहीं होता है, इसका क्या शिकायत।

    भाजपा अभी तक अपना खाता नहीं खोल सकी

    चांदनी चौक लोकसभा क्षेत्र के तहत आने वाली बल्लीमारन विधानसभा से आप ने विधायक इमरान हुसैन को मैदान में उतारा है तो कांग्रेस ने यहां से अपने पांच बार के पूर्व विधायक हारून युसुफ पर आठवीं बार विश्वास जताया है। भाजपा ने कमल बगाड़ी को उतारा है। 1993 से अब तक हुए बल्लीमारन में हुए सात विधानसभा चुनाव में भाजपा अभी तक अपना खाता नहीं खोल सकी है।

    कांग्रेस के हारून युसुफ ने सबसे ज्यादा पांच बार 1993, 1998, 2003, 2008 और 2013 में यहां से जीत दर्ज, जबकि दो बार 2015 और 2020 में आप के इमरान हुसैन जीते, वह सीटिंग विधायक और आप की वर्तमान सरकार के मंत्री भी हैं। दिल्ली के राजनीतिक हलकों में माना जाता है कि बल्लीमारन विधानसभा से जीत दर्ज करने वाला विधायक सरकार में मंत्री अवश्य बनता है।

    बल्लीमारन विधानसभा में आते हैं ये इलाके

    बल्लीमारन विधानसभा में रामनगर, चिन्योट बस्ती, बस्ती सुलतान, सदर बाजार का कुछ हिस्सा, रोदग्रान, हौजकाजी, शाहगंज, नबीकरीम, मोतिया खान, सराय खलील, फतेहपुरी, नयाबांस, लालकुआं, गली बताशा आदि इलाके आते हैं।

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    बल्लीमारन में कुल एक लाख 53 हजार 231 मतदाता हैं, जिसमें 83202 पुरुष और 70013 महिला मतदाता हैं। जबकि 16 ट्रांसजेंडर मतदाता हैं। यह क्षेत्र आमतौर पर मिश्रित आबादी वाला है पर, यहां मुस्लिम मतदाताओं का वर्चस्व है।

    प्रमुख समस्या

    यह इलाका ऐतिहासिक इमारतों और पुरानी हवेलियों के लिए जाना जाता है, लेकिन इनमें से कई जर्जर हो चुकी हैं। बरसात में अधिकांश जर्जर मकानों में दरार और मकान गिरने की आशंका रहती है, पूर्व में इस तरह की घटनाएं यहां हो चुकी हैं। समुचित रखरखाव और पुनर्विकास की कमी के कारण ये इमारतें कभी भी बड़े हादसों का सबब बन सकती हैं। इसके अलावा बरसात में होने वाला भारी जल जमाव, सुरक्षा, पार्किंग, अतिक्रमण आदि बल्लीमारन के अहम मुद्दे हैं।

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    जाम-सघन आबादी के कारण यातायात समस्या रहती है। इन इलाकों में बाजार और अन्य दर्शनीय स्थल होने के कारण जाम की स्थिति बनी रहती है।

    विद्युत वितरण की लचर व्यवस्था 

    बिजली के तारों का जाल तंग गलियों वाले यहां इस तरह फैला है कि हर समय शॉर्ट सर्किट से आग लगने की आशंका रहती है। अगर कभी ऐसा हुआ तो यहां भारी मुश्किल हो जाएगी, क्योंकि फायर ब्रिगेड का यहां पहुंच पाना आसान नहीं।

    साफ-सफाई 

    गंदगी और कचरे के सही प्रबंधन की कमी भी यहां की प्रमुख समस्याओं में से एक है।