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Delhi Earthquake News: दिल्ली NCR की अधिकांश इमारतें नहीं झेल सकती भूकंप, इन इलाकों में सबसे ज्यादा खतरा

Delhi Earthquake News भू वैज्ञानिकों की मानें तो दिल्ली सहित एनसीआर के नोएडा गुरुग्राम गाजियाबाद फरीदाबाद आदि शहरों में बड़ी संख्या में मौजूद फ्लैट और घर भूकंप के तेज झटकों को नहीं झेल सकते। 80 प्रतिशित फ्लैटों और घरों के असुरक्षित होने की आशंका जताई गई है।

By Santosh Kumar SinghEdited By: Narender SanwariyaPublished: Wed, 22 Mar 2023 05:03 AM (IST)Updated: Wed, 22 Mar 2023 05:03 AM (IST)
Delhi Earthquake News: दिल्ली NCR की अधिकांश इमारतें नहीं झेल सकती भूकंप, इन इलाकों में सबसे ज्यादा खतरा
दिल्ली एनसीआर की अधिकांश इमारतें भूकंपरोधी नहीं

नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। सिस्मिक जोन चार में शामिल दिल्ली एनसीआर में मंगलवार देर रात महसूस किए गए भूकंप के झटकों ने एक बार लोगों को हिलाकर रख दिया है। यह डर अतार्किक भी नहीं है। वह इसलिए क्योंकि भूकंप के लिहाज से दिल्ली- एनसीआर सर्वाधिक जोखिम वाली दूसरी श्रेणी यानी सिस्मिक जोन- चार में शामिल है। केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय के अधीन आने वाली बिल्डिंग मैटीरियल एवं टेक्नालोजी प्रोमोशन काउंसिल द्वारा कोरोना काल के बाद किए गए एक सर्वेक्षण में भी यहां के अधिकांश यानी लगभग 80 प्रतिशित फ्लैटों और घरों के असुरक्षित होने की आशंका जताई गई है।

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भू वैज्ञानिकों की मानें तो दिल्ली सहित एनसीआर के नोएडा, गुरुग्राम, गाजियाबाद, फरीदाबाद आदि शहरों में बड़ी संख्या में मौजूद फ्लैट और घर भूकंप के तेज झटकों को नहीं झेल सकते। वहीं दिल्ली के भी कई इलाकों में अवैध रूप से बसी कालोनियां और पहले से बनी ऐसी सैकड़ों पुरानी इमारतें हैं जो भूकंप के दौरान ढहने की कगार पर हैं

दिल्ली में कहां ज्यादा खतरा

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की एक रिपोर्ट बताती है कि यमुना के मैदानों को भूकंप से ज्यादा खतरा है। पूर्वी दिल्ली, लुटियंस दिल्ली, सरिता विहार, पश्चिम विहार, वजीराबाद, करोलबाग और जनकपुरी जैसे इलाकों में बहुत आबादी रहती है, इसलिए वहां खतरा ज्यादा है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, छतरपुर, नारायणा, वसंत कुंज जैसे इलाके बड़ा भूकंप झेल सकते हैं। इसके अलावा दिल्ली में जो नई इमारतें बनी हैं, वे 6 से 6.6 तीव्रता के भूकंप को झेल सकती हैं। पुरानी इमारतें 5 से 5.5 तीव्रता का भूकंप सह सकती हैं। दिल्ली ने 2008 और 2015 में नेपाल भूकंप के बाद पुरानी इमारतों को ठीक करने की कवायद शुरू की थी। इसी के बाद दिल्ली सचिवालय, दिल्ली पुलिस मुख्यालय, विकास भवन, गुरु तेग बहादुर अस्पताल की इमारत को मजबूत भी किया गया था।

अनधिकृत कालोनियों और लाल डोरा में निर्माण का कोई मानक नहीं

दिल्ली में करीब दो हजार अनधिकृत कालोनियां और बड़ी संख्या में लालडोरा क्षेत्र है। अकेले अनधिकृत कालोनियों में ही 40 लाख से भी अधिक की आबादी रहती है। बावजूद इसके यहां निर्माण कार्य के लिए कोई मानक तय नहीं हैं।

नियमों पर हावी वोट बैंक की राजनीति

दिल्ली एनसीआर में सभी जगह यूं तो अवैध निर्माण और नियमों की अनदेखी कर किए जा रहे निर्माण कार्य को लेकर संबंधित ठेकेदार एवं बिल्डर के खिलाफ कार्रवाई के तमाम प्रविधान हैं। लेकिन वोट बैंक की राजनीति और भ्रष्टाचार के खेल में सब फाइलों तले दब जाते हैं। आंख तभी खुलती है जब कहीं हादसा हो जाता है। तब एफआइआर भी हो जाती है, ठेकेदार या बिल्डर गिरफ्तार भी हो जाता है व निर्माणाधीन बिन्डिंग सील भी हो जाती है।

भूकंपरोधी तकनीक का इस्तेमाल

राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र निदेशक डा ओपी मिश्रा ने कहा कि पुराने निर्माणों की मजबूती के लिए रेट्रोफिटिंग का कंसेप्ट तैयार हो चुका है। ऐसे भवनों का स्ट्रक्चरल इंजीनियर से सर्वे कराकर उसकी मजबूती के प्रयास किए जा सकते हैं। नए निर्माण जब हो रहे हैं, उनमें भूकंपरोधी तकनीक का भी इस्तेमाल हो रहा है। धीरे धीरे लोगों में जागरूकता आ रही है।


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