World Wetland Day 2023: देश की राजधानी में नहीं है एक भी ‘रामसर’ वेटलैंड, सवा साल से नहीं हुई बैठक
World Wetland Day 2023 बीते साल संजय झील हौज खास झील भलस्वा झील नजफगढ़ झील वेलकम झील स्मृति वन (वसंत कुंज) स्मृति वन (कोंडली) पूथ कलां सुल्तानपर डबास एवं दरियापुर कलां सहित 20 वेटलैंड की सूची तैयार कर केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को भेजी भी गई थी।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। इसे विडंबना कहें या सरकारी अनदेखी... लेकिन देश की राजधानी में आज तक एक भी ‘रामसर’ वेटलैंड नहीं है। वेटलैंड बचाने और इनका दायरा बढ़ाने के लिए हो रहे प्रयासों की गंभीरता का अंदाजा भी इससे ही लगाया जा सकता है कि सितंबर 2021 के बाद दिल्ली वेटलैंड अथोरिटी की कोई बैठक नहीं हुई।
गौरतलब है कि दिल्ली में कुल 1,043 जल निकाय हैं, जिनमें झीलें भी शामिल हैं, लेकिन वेटलैंड के रूप में अधिसूचित किसी को नहीं किया गया है। यही वजह है कि इन पर अतिक्रमण होता रहा है और बहुत से लुप्त भी हो गए हैं। बीते साल संजय झील, हौज खास झील, भलस्वा झील, नजफगढ़ झील, वेलकम झील, स्मृति वन (वसंत कुंज), स्मृति वन (कोंडली), पूथ कलां, सुल्तानपर डबास एवं दरियापुर कलां सहित 20 वेटलैंड की सूची तैयार कर केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय को भेजी भी गई थी, किंतु अब तक किसी को कानूनी कवच नहीं मिला है।
अधिसूचना के साथ ही किसी भी वेटलैंड को ‘रामसर’ का दर्जा मिल जाता है, लेकिन इसके लिए कुछ निर्धारित मानकों को पूरा करना जरूरी है। उधर, स्पेस एप्लिकेशन सेंटर ने नेशनल वेटलैंड डिकेडल चेंज एटलस में एक दशक के दौरान राजधानी में 9.3 प्रतिशत तक वेटलैंड बढ़ने की बात जरूर की है। इसके अनुसार प्राकृतिक नमभूमि का क्षेत्रफल 24 हेक्टेयर तक बढ़ा है, वहीं कुल वेटलैंड का क्षेत्रफल 236 हेक्टेयर तक बढ़ गया है।
क्या है ‘रामसर’ वेटलैंड
रामसर स्थल वे आद्रभूमि हैं, जिन्हें अंतरराष्ट्रीय महत्व प्राप्त है। 1971 में ईरान के रामसर शहर में विश्व की आद्रभूमि के स्थायी उपयोग व संरक्षण के लिए यूनेस्को के नेतृत्व में अंतरराष्ट्रीय संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे। यह संधि 1975 से अस्तित्व में आई। इसे रामसर संधि भी कहा जाता है। इसकी सूची में विश्व की प्रमुख वेटलैंड को शामिल किया गया है। दिल्ली के पड़ोसी राज्यों- हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और पंजाब सभी में ‘रामसर’ वेटलैंड हैं, सिर्फ दिल्ली ही इससे वंचित है।