Delhi DMRC: यात्रियों की सुविधा के लिए दिल्ली मेट्रो का बड़ा कदम, अब तकनीकी खराबी से पहले DMRC करेगा सचेत
Delhi DMRC यह एक साफ्टवेयर आधारित प्रणाली है। इसके तहत यात्री मेट्रो के कोच पर लगे सेंसर से ट्रैक का निरीक्षण हो सकेगा। इस सेंसर द्वारा उपलब्ध कराए गए उपकरणों के डाटा का साफ्टवेयर स्वत विश्लेषण करके रिपोर्ट डीएमआरसी के अधिकारियों को उपलब्ध कराएगा।
नई दिल्ली [रणविजय सिंह]। Delhi DMRC: दिल्ली मेट्रो के सबसे व्यस्त दो कारिडोर यलो (हुडा सिटी सेंटर-समयपुर बादली) व ब्लू लाइन (द्वारका सेक्टर 21 से नोएडा इलेक्ट्रानिक सिटी/वैशाली) के मेट्रो ट्रैक पर तकनीकी खराबी की समस्या को दूर करने के लिए डीएमआरसी (दिल्ली मेट्रो रेल निगम) ने आनलाइन निगरानी की योजना तैयार की है। इसके तहत इन दोनों कारिडोर के मेट्रो कोच पर सेंसर लगाए जाएंगे जिससे मेट्रो ट्रैक व दोनों पहियों के बीच के हिस्से (रेल-व्हील इंटरफेस) की अधिकारी कंट्रोल रूम बैठकर भी रिमोट के जरिये आनलाइन निगरानी कर सकेंगे।
इस तकनीक की मदद से मेट्रो ट्रैक पर लगे उपकरणों के खराब होने से पहले ही अधिकारियों को उसकी सूचना मिल जाएगी। इससे उसका रखरखाव सुनिश्चित किया जा सकेगा।यदि यह प्रयोग सफल हुआ तो डीएमआरसी चरणबद्ध तरीके से इसे दिल्ली मेट्रो के सभी कारिडोर पर इसे लागू करेगा। मौजूदा समय में दिल्ली एनसीआर में मेट्रो का नेटवर्क करीब 390 किलोमीटर है।
डीएमआरसी का कहना है कि फिलहाल मेट्रो ट्रैक की निगरानी हर पखवाड़े में मैनुअल तरीके से होता है। इसके तहत रेलवे ट्राली से ट्रैक का सर्वे किया जाता है। इस दौरान कई बार छोटी-छोटी खामियां पकड़ में नहीं आती हैं। इसके मद्देनजर दोनों कारिडोर पर ट्रैक की निगरानी के लिए तकनीक का सहारा लेने की पहल की गई है। ब्राड गेज वाले इन दोनों कारिडोर के ट्रैक की निगरानी के लिए आप्टिकल निगरानी प्रणाली की शुरुआत की जाएगी।
यह एक साफ्टवेयर आधारित प्रणाली है। इसके तहत यात्री मेट्रो के कोच पर लगे सेंसर से ट्रैक का निरीक्षण हो सकेगा। इस सेंसर द्वारा उपलब्ध कराए गए उपकरणों के डाटा का साफ्टवेयर स्वत: विश्लेषण करके रिपोर्ट डीएमआरसी के अधिकारियों को उपलब्ध कराएगा।
इस काम के लिए एक निजी एजेंसी नियुक्त की जाएगी, जो जरूरी उपकरण लगाने व आनलाइन निरीक्षण का काम करेगी। डीएमआरसी का कहना है कि इस तकनीक की मदद से मेट्रो के पटरियों पर उस जगह की पहचान करने में मदद मिलेगी जहां ट्रेन के पहियों व पटरियों के बीच परस्पर जुड़ाव ठीक नहीं होगा।
तकनीकी खामी का पता चलने पर कर्मचारी उसे जल्दी ठीक कर सकेंगे। इससे मैनुअल निरीक्षण की जरूरत खत्म हो जाएगी। इससे पटरियों व ट्रेन के पहियों का रखरखाव बेहतर सुनिश्चित हो सकेगा।49.02 किलोमीटर लंबी यलो लाइन दिल्ली मेट्रो का सबसे व्यस्त कारिडोर है। मेट्रो में सफर करने वाले करीब 30 प्रतिशत यात्री अकेले यलो इन की मेट्रो में सफर करते हैं। इस कारिडोर पर कुल 37 स्टेशन हैं। इसके बाद ब्लू लाइन दूसरा सबसे व्यस्त कारिडार है, जिस पर 20 प्रतिशत यात्री सफर करते हैं।
ब्लू लाइन के द्वारका सेक्टर 21-नोएडा इलेक्ट्रानिक सिटी कारिडोर की लंबाई 56.11 किलोमीटर है, इस पर 50 मेट्रो स्टेशन हैं। वहीं यमुना बैंक से वैशाली के बीच ब्लू लाइन की लंबाई 8.51 किलोमीटर है। इस हिस्से पर आठ स्टेशन हैं। इन दोनों कारिडोर पर ही तकनीकी खराबी की घटनाएं ज्यादा होती है। डीएमआरसी द्वारा मेट्रो ट्रैक के आनलाइन निगरानी की व्यवस्था लागू करने के बाद कम से कम ट्रैक पर खराबी के कारण परिचालन प्रभावित होने की घटनाओं पर काफी हद तक अंकुश लगने की उम्मीद है।