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दिल्ली में वायु प्रदूषण कम करने के लिए किए जा रहे हैं ये प्रयास, ई-वाहनों को भी मिल रहा बढ़ावा

दिल्ली सरकार ने किसी भी राज्य की तुलना में ई-वाहनों की खरीद पर सबसे अधिक प्रोत्साहन राशि देने का निर्णय किया है। प्रोत्साहन राशि के लिए लाभार्थियों के पात्रता मानदंड को भी सरल बनाया है ताकि अधिक से अधिक लोग इसका लाभ उठा सकें।

By Mangal YadavEdited By: Published: Wed, 24 Feb 2021 02:02 PM (IST)Updated: Wed, 24 Feb 2021 02:09 PM (IST)
दिल्ली में वायु प्रदूषण कम करने के लिए किए जा रहे हैं ये प्रयास, ई-वाहनों को भी मिल रहा बढ़ावा
दिल्ली में वायु प्रदूषण की फाइल फोटो

नई दिल्ली। उत्तर भारत में रहने वाले 30 करोड़ लोगों के स्वास्थ्य के लिए आने वाले समय में प्रदूषण सबसे गंभीर चुनौती बन सकता है। इससे निपटने के लिए राज्य सरकारों को अपने-अपने स्तर पर कदम उठाने की आवश्यकता है, लेकिन अभी तक पूरे देश में सिर्फ दिल्ली सरकार ही प्रदूषण से निपटने के लिए समाधान और दृढ़ संकल्पित इच्छाशक्ति के साथ आगे बढ़ रही है। प्रदूषण के खिलाफ अपने अभियान को आगे बढ़ाते हुए हाल ही में केजरीवाल सरकार ने ऐतिहासिक इलेक्ट्रिक व्हीकल (ईवी) पॉलिसी लांच की। यह अधिसूचना प्रदूषण के खिलाफ मास्टर स्ट्रोक साबित होगी।

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इसके तहत राष्ट्रीय राजधानी में चलने वाले सभी पेट्रोल/डीजल वाहनों को इलेक्ट्रिक वाहनों में परिर्वितत करने की व्यापक रूपरेखा तैयार की गई है। लक्ष्य तय किया गया है कि 2024 तक दिल्ली में कुल पंजीकृत होने वाले नए वाहनों में से 25 फीसद वाहन इलेक्ट्रिक होने चाहिए। इस नीति का सभी हितधारकों, पर्यावरणविदों, उद्योग, विशेषज्ञों और आम लोगों ने स्वागत किया है।

पर्यावरण क्षेत्र के दो प्रमुख अंतरराष्ट्रीय थिंक टैंक क्लाइमेट ग्रुप और आरएमआइ इंडिया ने इसे दुनियाभर में सबसे प्रगतिशील उप-राष्ट्रीय ईवी नीति करार दिया है। संयुक्त राष्ट्र की ओर से दिसंबर 2020 में आयोजित सम्मेलन में अमेरिका के कैलिर्फोिनया के साथ दिल्ली की ईवी पालिसी को दुनिया की सर्वश्रेष्ठ पालिसी के रूप में मान्यता दी गई है।

कई हैं चुनौतियां

तीन महत्वपूर्ण बाधाएं हैं जो लोगों को पेट्रोल/ डीजल के स्थान पर ई-वाहन अपनाने से रोक रही हैं। इसमें पहला है ई-वाहनों की अधिक कीमत। भारत सरकार ई-वाहनों इलेक्ट्रिक वाहन खरीदने के लिए कुछ सब्सिडी देती है, लेकिन यह सब्सिडी पर्याप्त नहीं है। राज्य सरकारों को इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमत को कम करने के लिए अतिरिक्त प्रोत्साहन देने की आवश्यकता है।

दिल्ली सरकार ने किसी भी राज्य की तुलना में ई-वाहनों की खरीद पर सबसे अधिक प्रोत्साहन राशि देने का निर्णय किया है। प्रोत्साहन राशि के लिए लाभार्थियों के पात्रता मानदंड को भी सरल बनाया है, ताकि अधिक से अधिक लोग इसका लाभ उठा सकें। मसलन उत्तर प्रदेश सरकार इलेक्ट्रिक वाहन खरीद के लिए लोगों को प्रोत्साहन देती है, लेकिन यह प्रोत्साहन केवल उसी परिवार को मिलता है, जिसके परिवार में सिर्फ एक लड़की है।

चार्जिंग के बुनियादी ढांचे की कमी

दूसरी बाधा है चार्जिंग के बुनियादी ढांचे की अनुपलब्धता। हालांकि, दिल्ली में पहले से ही 70 स्थानों पर सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन उपलब्ध हैं, लेकिन दिल्ली सरकार राजधानी में किसी भी स्थान से तीन किलोमीटर के दायरे में चार्जिंग स्टेशन उपलब्ध कराने के लिए गंभीरता के साथ काम कर रही है। मौजूदा समय में हरियाणा में केवल एक चार्जिंग स्टेशन उपलब्ध है, जबकि पंजाब और उत्तर प्रदेश में एक भी नहीं है।

जागरूकता की कमी

तीसरी सबसे बड़ी बाधा लोगों में इसके आर्थिक और पर्यावरणीय फायदों के प्रति जागरूकता की कमी है, जबकि पेट्रोल और डीजल वाहनों के बजाय इलेक्ट्रिक वाहन को अपनाने से लोगों को आर्थिक और पर्यावरणीय दोनों तरह के फायदे हैं। दिल्ली सरकार ने लोगों में ई-वाहनों से होने वाले आर्थिक और पर्यावरणीय फायदे के प्रति जागरूकता लाने के उद्देश्य से फरवरी माह के पहले सप्ताह में स्विच

दिल्ली अभियान की भी शुरुआत की है। माना जा रहा है कि यह अभियान ईवी को बढ़ाने में एक गेम चेंजर साबित होगा।

इच्छाशक्ति से सफलता संभव

दिल्ली का अनुभव यह बताता है कि अगर प्रदूषण से लड़ने के लिए अभिनव नीति के साथ राजनीतिक इच्छाशक्ति है तो ऐसा कुछ भी नहीं है, जो हमें युद्ध प्रदूषण के विरुद्ध में जीतने से रोक सकता है। अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों को दिल्ली सरकार से सीख लेनी चाहिए और उनके साथ मिलकर काम करना चाहिए ताकि हम अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए इस लड़ाई को जीत सकें।

हरियाणा बनेगा ई-वाहन निर्माण का हब

हरियाणा के परिवहन मंत्री मूलचंद शर्मा ने बताया कि एनसीआर में शामिल हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान के कुल 22 जिलों में से 13 जिला हरियाणा के हैं। एनसीआर में हरियाणा के 13 जिलों का 57 फीसद क्षेत्र शामिल है। हम चाहते हैं कि 2024 तक फरीदाबाद और गुरुग्राम में सभी सरकारी व वाणिज्यिक वाहन इलेक्ट्रिक वाहन हो जाएं। इसके बाद 2030 तक हमारा लक्ष्य है कि सरकारी निगम, बोर्ड सहित एंबुलेंस भी इलेक्ट्रिक बैट्री से ही चलें।

(दिल्ली संवाद एवं विकास आयोग के उपाध्यक्ष जस्मिन शाह से बातचीत पर आधारित)


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