नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। दोस्ती का ढोंग करके कश्मीर से लेकर देशभर में आतंक को बढ़ावा देने वाले अलगाववादी संगठन आल पार्टीज हुर्रियत कान्फ्रेंस (एपीएचसी) समेत चार संगठनों का नकाब अदालत में उतर गया है।

दिल्ली के पटियाला हाउस की विशेष एनआइए कोर्ट ने यासीन मलिक को दोषी करार देते हुए अपने निर्णय में माना कि हुर्रियत कान्फ्रेंस, हुर्रियत, तहरीक-ए-हुर्रियत और ज्वाइंट रेसिसटेंस लीडरशिप (जेआरएल) संगठन आतंकी समूह हैं। विशेष न्यायाधीश प्रवीण सिंह ने फैसले में कहा कि ये सभी संगठन आतंकी कृत्य में शामिल थे। इन संगठनों को गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (यूएपीए) की धारा-20 (आतंकी गिरोह या संगठन का सदस्य होना) के तहत आतंकी गिरोह मानने के लिए पर्याप्त सुबूत हैं।

गौरतलब है कि एनआइए कोर्ट ने गत बुधवार को टेरर फंडिंग मामले में कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के चेयरमैन यासीन मलिक को आखिरी सांस तक कैद की सजा सुनाई है। विशेष न्यायाधीश ने अपने फैसले में माना कि प्रथम दृष्टया यह स्पष्ट होता है कि भारत से जम्मू-कश्मीर को अलग करने के लिए ये संगठन आतंकी संगठनों और पाकिस्तान के साथ साजिश रच रहे थे। घाटी में सामूहिक अशांति फैलाने के साथ ही पथराव व आगजनी की गतिविधियों को फं¨डग भी कर रहे थे। इस कारण कश्मीर में बड़े पैमाने पर लोगों की जानें गईं और सार्वजनिक संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचा।

आतंकियों के परिवार की आर्थिक मदद करता था

कोर्ट ने यह भी माना कि जांच में सामने आया कि एपीएचसी के नेतृत्व में आतंकियों और अलगाववादी नेताओं के बीच सांठगांठ के पर्याप्त सुबूत मिले हैं। एपीएचसी की वेबसाइट पर एपीएचसी के अध्यक्ष एसएएस गिलानी का एक संदेश लिखा था, जिसमें कहा गया था कि रमजान महीने में शहीदों और बंदियों के परिवारों की मदद के लिए चंदा देने के लिए आगे आना चाहिए। इस संदेश से पता चलता है कि हुर्रियत मारे गए और जेल में बंद आतंकियों के परिवार की आर्थिक मदद कर रहा था।

Edited By: Jp Yadav