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हाशिमपुरा नरसंहार : यूपी पुलिस के SHO समेत 11 के खिलाफ गैरजमानती वारंट

दरअसल, दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाए जाने के बाद सभी को बृहस्पतिवार को सरेंडर करना था, जिसमें से सिर्फ 4 लोगों ने सरेंडर किया है।

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 29 Nov 2018 01:41 PM (IST)Updated: Thu, 29 Nov 2018 02:57 PM (IST)
हाशिमपुरा नरसंहार : यूपी पुलिस के SHO समेत 11 के खिलाफ गैरजमानती वारंट
हाशिमपुरा नरसंहार : यूपी पुलिस के SHO समेत 11 के खिलाफ गैरजमानती वारंट

नई दिल्ली, जेएनएन। उत्तर प्रदेश के मेरठ में हुए हाशिमपुरा नरसंहार के मामले में गाजियाबाद के एसएचओ समेत 11 के खिलाफ दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने गैर जमानती वारंट जारी किया है। दरअसल, दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा  दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाए जाने के बाद सभी को बृहस्पतिवार (29 नवंबर) को सरेंडर करना था, जिसमें से अब तक सिर्फ 4 लोगों ने सरेंडर किया है। कोर्ट ने बृहस्पतिवार को सुनवाई के दौरान इस पर नाराजगी जताते हुए बाकी बचे 11 दोषियों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है। इनमें गाजियाबाद के एसएचओ भी शामिल हैं। वहीं, गाजियाबाद के एसएसपी को इस मामले में आगामी  5 दिसंबर को कोर्ट में हाजिर रहने के लिए कहा गया है। 

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इन दोषियों का जारी हुआ गैर जमानती वारंट

सुरेशचंद्र शर्मा, कमल सिंह, रामबीर सिंह, राम ध्यान, श्रवण कुमार, लीला धर, हमबीर सिंह, कुंवर पाल सिंह, बुद्धा सिंह, बुधी सिंह, मोहकम सिंह, बसंत वल्लाह।

यहां पर बता दें कि मेरठ के हाशिमपुरा में हुए नरसंहार के चार दोषियों ने 22 नवंबर को तीस हजारी कोर्ट में सरेंडर कर दिया था। कोर्ट ने चारों को तिहाड़ जेल भेज दिया था, जबकि 12 अन्य दोषी आत्मसमर्पण करने नहीं आए। उनके खिलाफ 29 नवंबर के लिए गैर जमानती वारंट जारी किया गया था। साथ ही उत्तर प्रदेश पुलिस को भी आदेश दिया गया था कि उस दिन केस की प्रगति रिपोर्ट दाखिल करे, जिसमें बताया जाए की दोषियों का सरेंडर कराने के लिए क्या किया गया?

ये कर चुके हैं सरेंडर

22 नवंबर को निरंजन लाल, महेश, समी उल्लाह और जय पाल करीब साढ़े 11 बजे पहुंचे, लेकिन जज अवकाश पर थे। इसके बाद दोषियों को कोर्ट में बैठा दिया गया और अन्य दोषियों का इंतजार किया गया। करीब चार बजे तक इंतजार करने के बाद जब अन्य दोषी नहीं आए तो चारों को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश समिता गर्ग की अदालत में पेश किया गया। अदालत ने चारों को तिहाड़ भेजने का आदेश दिया और जो नहीं आए, उनके लिए गैर जमानती वारंट जारी किया गया।

निचली अदालत ने किया था बरी

सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर मामले की जांच दिल्ली स्थानांतरित की गई थी। मामले में कुल 19 पीएसी जवानों को आरोपित बनाया गया था और 2006 में 17 जवानों पर आरोप तय किए गए थे, जबकि दो जवानों की सुनवाई के दौरान मौत हो गई थी। लंबे समय तक चली सुनवाई की प्रक्रिया के दौरान एक और आरोपित की मौत हो गई थी। तीस हजारी अदालत ने 21 मार्च 2015 को फैसला सुनाते हुए सभी 16 आरोपितों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया था। सुनवाई की लंबी प्रक्रिया के दौरान अदालत ने कहा था कि अभियोजन पक्ष, आरोपियों की पहचान और उनके खिलाफ लगे आरोपों को बिना शक साबित नहीं कर पाया। निचली अदालत के फैसले को दी गई थी चुनौती

निचली अदालत के फैसले को उत्तर प्रदेश सरकार, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) और कुछ पीड़ितों ने दिल्ली हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। इस मामले में तत्कालीन केंद्रीय मंत्री पी. चिदंबरम की भूमिका की जांच करने की मांग को लेकर राज्यसभा सदस्य सुब्रह्मण्यम स्वामी ने भी याचिका दाखिल की थी। सभी पक्षों को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने 6 सितंबर 2018 को फैसला सुरक्षित रख लिया था। 31 अक्टूबर को कोर्ट ने दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

क्या हुआ था 22 मई 1987 को हाशिमपुरा में


मेरठ स्थित हाशिमपुरा में 22 मई 1987 की रात सेना ने जुमे की नमाज के बाद हाशिमपुरा और आसपास के मोहल्लों में तलाशी, जब्ती और गिरफ्तारी का अभियान चलाया था। सभी पुरुषों व बच्चों को हाशिमपुरा मोहल्ले के बाहर मुख्य सड़क पर एकत्रित कर वहा मौजूद पीएसी के जवानों के हवाले कर दिया गया था। पूरे इलाके से 644 मुस्लिमों को गिरफ्तार किया गया था, जिनमें हाशिमपुरा के 50 मुस्लिम युवक भी शामिल थे। इन्हें पीएसी के ट्रक पर लाद दिया गया था। ट्रक में मौजूद पीएसी की 41वीं बटालियन के 19 जवानों ने युवकों को मारकर मुरादनगर की गंग नहर और गाजियाबाद में हिंडन नहर में फेंक दिया था। इनमें से 38 युवक मारे गए थे, जबकि कुछ के शव नहीं मिले थे, पांच युवकों ने किसी तरह अपनी जान बचाई थी।


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