2005 में नेवी वार रूम लीक केसः नेवी के रिटायर्ड कैप्टन को सात साल कैद की सजा
नेवी वार रूम लीक का मामला 2005 में गोपनीय जांच के बाद सामने आया था। नेवी से संबंधित कई गोपनीय दस्तावेज और भविष्य की योजनाएं हथियार सप्लायर को लीक किए गए थे।
नई दिल्ली (जेेेएनएन)। 2005 में हुए बहुचर्चित नेवी वार रूम लीक केस में तीस हजारी स्थित सीबीआइ की विशेष अदालत ने बुधवार को नेवी के रिटायर्ड कैप्टन को सात साल कैद की सजा सुनाई है। इसी 7 जून को तीस हजारी कोर्ट में सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश संजय कुमार अग्रवाल की अदालत ने रिटायर्ड कैप्टन सलम सिंह राठौर को दोषी करार दिया था। दूसरे आरोपित रिटायर्ड कमांडर जरनैल सिंह कालडा को कोर्ट ने बरी कर दिया था।
बता दें कि नेवी वार रूम लीक का मामला 2005 में गोपनीय जांच के बाद सामने आया था। नेवी से संबंधित कई गोपनीय दस्तावेज और भविष्य की योजनाएं, हथियार सप्लायर को लीक किए गए थे। जांच 2006 में सीबीआइ के पास आई। सीबीआइ ने मामले की जांच करने के बाद हथियार विक्रेताओं सहित नेवी से जुड़े कई बड़े अधिकारियों और अन्य लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया था।
इस केस में सीबीआइ की तरफ से तीन बार अलग-अलग आरोप पत्र कोर्ट में दाखिल किए गए थे। शनिवार को कोर्ट में सलम सिंह राठौर और जरनैल सिंह कालडा पर लगे आरोप की सुनवाई हुई थी। कोर्ट ने सलम सिंह राठौर को ऑफिशियल सीक्रेट एक्ट 1923 की धारा 3 (1)(सी) के तहत दोषी करार दिया था, जबकि उस पर लगी आइपीसी की धारा 120 बी (साजिश रचना) को हटा दिया गया था। दोषी करार दिए जाने के बाद राठौर को हिरासत में ले लिया गया था।
राठौर से मिले थे 17 गोपनीय दस्तावेज
सीबीआइ ने अदालत में दाखिल आरोप पत्र में दावा किया था कि सलम सिंह राठौर से 17 ऐसे गोपनीय दस्तावेज बरामद किए गए थे, जो नेवी से संबंधित थे। इनमें ब्रह्मोस मिसाइल की कीमत सहित नेवी की अन्य योजनाओं से संबधित दस्तावेज थे। नेवी वार रूम लीक केस में करीब सात हजार गोपनीय दस्तावेज लीक हुए थे। इस केस से संबंधित कई आरोपी हैं, जिन पर अलग ट्रायल चल रहे हैं। राठौर ने 1994 में नेवी में नौकरी शुरू की थी और 2006 में वीआरएस लेकर उत्तर प्रदेश की एक निजी कंपनी में काम किया था।