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Delhi Coronavirus: कोरोना के खिलाफ जंग में एम्‍स ने दी अच्‍छी खबर, जानिए लोगों को क्‍या होगा फायदा

एम्स ने मुख्य अस्पताल में भी कोरोना के इलाज के लिए 58 बेड की व्यवस्था की है। फिर भी बेड की कमी है। वैसे एम्स ने कोरोना के इलाज के लिए कुल 1823 बेड की व्यवस्था की है जिसमें से 1500 बेड की व्यवस्था झज्जर स्थित एम्स एनसीआइ में है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Thu, 19 Nov 2020 07:05 PM (IST)Updated: Thu, 19 Nov 2020 07:05 PM (IST)
Delhi Coronavirus: कोरोना के खिलाफ जंग में एम्‍स ने दी अच्‍छी खबर, जानिए लोगों को क्‍या होगा फायदा
दिल्ली सरकार ने भी की है एम्स में बेड बढ़ाने की मांग।

नई दिल्ली, रणविजय सिंह। दिल्ली में कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण अस्पतालों में बेड बढ़ाने के विकल्प तलाशे जा रहे हैं। दिल्ली सरकार ने एम्स में भी बेड बढ़ाने की सिफारिश की है। जिस पर एम्स प्रशासन ने अभी तक आखिरी फैसला नहीं लिया है। लेकिन एम्स ट्राॅमा सेंटर में नवनिर्मित बर्न व प्लास्टिक सर्जरी सेंटर को तैयार रखा है। एम्स के एक वरिष्ठ डॉक्टर के अनुसार जल्द ही बर्न व प्लास्टिक सर्जरी सेंटर में कोरोना का इलाज शुरू किया जाएगा।

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एम्स ने बर्न व प्लास्टिक सर्जरी सेंटर को रखा है तैयार

हाल के दिनों में एम्स ने मुख्य अस्पताल में भी कोरोना के इलाज के लिए 58 बेड की व्यवस्था की है। फिर भी बेड बढ़ाए जाने की जरूरत महसूस की जा रही है। वैसे एम्स ने कोरोना के इलाज के लिए कुल 1823 बेड की व्यवस्था की है, जिसमें से 1500 बेड की व्यवस्था झज्जर स्थित एम्स के राष्ट्रीय कैंसर संस्थान (एनसीआइ) में है। जहां अभी 320 मरीज भर्ती हैं।

वहीं, ट्राॅमा सेंटर में 265 बेड है। जहां कोरोना के 246 मरीज भर्ती हैं। वहीं मुख्य अस्पताल में 58 आरक्षित है, जहां 35 मरीज भर्ती हैं। एक्स के कुल 1823 बेड में से 1222 बेड खाली है, लेकिन इसमें से 1180 बेड झज्जर एनसीआइ में खाली है। एम्स के दिल्ली परिसर के ट्राॅमा सेंटर में महज 19 व मुख्य अस्पताल में 23 बेड ही खाली है। इस वजह से दिल्ली एम्स में बेड बढ़ाने की जरूरत महसूस की जा रही है। यही वजह है कि दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार से एम्स में बेड बढ़ाने की सिफारिश की है।

एम्स के डॉक्टर कहते हैं कि बर्न व प्लास्टिक सर्जरी में 100 बेड की व्यवस्था की गई है। स्थिति पर नजर रखी जा रही है। वैसे तो एम्स में इलाज के लिए पहुंचे कम गंभीर मरीजों को एनसीआइ में ले जाकर भर्ती किया जाता है। सिर्फ गंभीर मरीज ही ट्राॅमा में भर्ती किए जाते हैं। जरूरत पड़ने पर बर्न व ट्राॅमा सेंटर में कोरोना के इलाज की सुविधा शुरू कर दी जाएगी। हालांकि एम्स में हार्ट, कैंसर सहित अन्य गंभीर बीमारियों के इलाज का भी दबाव है। फिर भी कोरोना बढ़ते मामलों के मद्देनजर अभी ओपीडी के माध्यम से रूटीन में मरीजों को भर्ती नहीं लिया जा रहा है।

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