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दिल्ली महिला आयोग ने स्वास्थ्य विभाग और पुलिस को भेजा नोटिस, मांगी दुष्कर्म पीड़िताओं की एचआइवी रिपोर्ट

राजधानी में आए दिन दुष्कर्म के कई मामले सामने आते हैं। यौन अपराध के कारण शारीरिक चोट और मानसिक आघात के अलावा पीड़ितों के एचआईवी सहित अन्य यौन संक्रामक बीमारियों से संक्रमित होने के खतरा बढ़ जाता है ।

By Prateek KumarEdited By: Published: Wed, 06 Jul 2022 04:03 PM (IST)Updated: Wed, 06 Jul 2022 04:03 PM (IST)
दिल्ली महिला आयोग ने स्वास्थ्य विभाग और पुलिस को भेजा नोटिस, मांगी दुष्कर्म पीड़िताओं की एचआइवी रिपोर्ट
दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्षा स्वाति मालीवाल की फाइल फोटो।

नई दिल्ली [रीतिका मिश्रा]। दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्षा स्वाति मालीवाल ने दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग और दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी कर दुष्कर्म पीड़िताओं और आरोपियों के एचआईवी परीक्षण और दुष्कर्म पीड़ितों में एचआईवी के संक्रमण को रोकने के लिए अपनायी जा रही मानक प्रक्रिया के संबंध में जानकारी मांगी है।

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राजधानी में आए दिन दुष्कर्म के कई मामले सामने आते हैं। यौन अपराध के कारण शारीरिक चोट और मानसिक आघात के अलावा पीड़ितों के एचआईवी सहित अन्य यौन संक्रामक बीमारियों से संक्रमित होने के खतरा बढ़ जाता है । यदि दुष्कर्मी एचआईवी पॉजिटिव है, तो पीड़िता के इस वायरस से संक्रमित होने की संभावना बढ़ जाती है। सरकार को ठोस उठाने चाहिए जिससे दुष्कर्म पीड़िताओं को बीमारी से बचाया जा सके। 

स्वास्थ्य विभाग को भेजे अपने नोटिस में आयोग की अध्यक्षा ने यह पता लगाने की कोशिश की है कि सभी पीड़िताओं का एचआईवी टेस्ट किया जा रहा है या नहीं। इसके लिए आयोग ने चिकित्सा परीक्षण के लिए पिछले 3 वर्षों में अस्पताल में लाए गए दुष्कर्म की पीड़ितों की संख्या और किये गए एचआईवी परीक्षण के मामलों की संख्या की जानकारी मांगी है।

इसके अलावा नाको (NACO) द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार, शुरू में भले ही दुष्कर्म पीड़ित का एचआईवी परिक्षण नेगेटिव आया हो, फिर भी उन्हें 3 महीने और 6 महीने के अंतराल के बाद भी परामर्श और एचआईवी परीक्षण की आवश्यकता होती है। आयोग ने विभाग से जानकारी मांगी है कितने केस में 3 और 6 महीने के अंतराल पर पीड़ितों के परामर्श और एचआईवी परीक्षण किए गए। 

आयोग ने एचआईवी परीक्षण से पहले और बाद में परामर्श के संबंध में NACO और डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देशों के कार्यान्वयन की जानकारी मांगी है। इसके अलावा, आयोग ने अस्पताल द्वारा नामित उन चिकित्सा अधिकारियों की जानकारी मांगी है जो हर मामले में जांच कर यह बताएं कि पीड़िता को संक्रमण से बचाने के लिए 28 दिन का पोस्ट एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस (पीईपी) इलाज देने की आवश्यकता है या नहीं। आयोग ने पीईपी उपचार से संबंधित मानक प्रक्रिया की जानकारी भी मांगी है।


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