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Black Fungus: ब्लैक फंगस के मरीजों की निजी अस्पतालों में हो सकेगी मुफ्त सर्जरी

Black Fungus महानिदेशालय के आदेश में कहा गया है कि दिल्ली सरकार के अस्पतालों में ब्लैक फंगस की सर्जरी की सुविधाएं सीमित हैं। इसके मद्देनजर दिल्ली आरोग्य कोष से निजी अस्पतालों में सर्जरी कराने की व्यवस्था की गई है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Wed, 28 Jul 2021 02:17 PM (IST)Updated: Wed, 28 Jul 2021 02:17 PM (IST)
Black Fungus: ब्लैक फंगस के मरीजों की निजी अस्पतालों में हो सकेगी मुफ्त सर्जरी
ब्लैक फंगस के मरीजों की निजी अस्पतालों में हो सकेगी मुफ्त सर्जरी

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली सरकार के अस्पतालों में ब्लैक फंगस का इलाज कराने वाले मरीजों की निजी अस्पतालों में निशुल्क सर्जरी हो सकती है। इस संबंध में दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सेवा महानिदेशालय ने हाल ही में आदेश जारी किया है। इसके तहत दिल्ली सरकार के अस्पतालों में भर्ती मरीजों को सर्जरी के लिए सात दिन से अधिक का समय मिलने पर संबंधित अस्पताल के डाक्टर मरीज को सर्जरी के लिए निजी अस्पताल में स्थानांतरित कर सकेंगे। निजी अस्पतालों को सर्जरी के शुल्क का भुगतान महानिदेशालय दिल्ली आरोग्य कोष से करेगा।

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महानिदेशालय के आदेश के अनुसार यह सुविधा सिर्फ दिल्ली के मरीजों को मिल पाएगी। इसके लिए पहचान पत्र के लिए दिल्ली का मतदाता पहचान पत्र होना जरूरी है।

महानिदेशालय के आदेश में कहा गया है कि दिल्ली सरकार के अस्पतालों में ब्लैक फंगस की सर्जरी की सुविधाएं सीमित हैं। इसके मद्देनजर दिल्ली आरोग्य कोष से निजी अस्पतालों में सर्जरी कराने की व्यवस्था की गई है। उल्लेखनीय है कि कोरोना से ठीक होने के बाद कई मरीजों में ब्लैक फंगस के संक्रमण के मामले देखे जा रहे हैं।

चिकित्सकों ने बच्ची की आंखों की रोशनी लौटाई

वहीं, द्वारका सेक्टर-3 स्थित आकाश हेल्थकेयर चिकित्सकों ने टीबी के कारण होने वाली दुर्लभ ओकुलर सूजन से पीडि़त 13 वर्षीय बच्ची की दोनों आंखों की रोशनी को पूरी तरह से वापस लाने में कामयाबी हासिल की है। नेत्र विज्ञान विभाग के विशेषज्ञों के मुताबिक जांच में पता चला था कि बच्ची की बाईं आंख में 40 और दाहिनी आंख में 20 फीसद रोशनी जा चुकी थी। अगर और कुछ हफ्ते की देरी होती तो बच्ची पूरी तरह दृष्टिबाधित हो जाती। दो हफ्ते चले इलाज के बाद अब बच्ची स्वस्थ है। चिकित्सा विशेषज्ञ डा. विद्या नायर ने बताया कि बच्ची की आंखों में छह दिनों से लालिमा थी, लेकिन उसके माता-पिता कोरोना के कारण अस्पताल आने से बच रहे थे। उन्हें लगा कि यह फ्लू है, जो खुद-ब-खुद ठीक हो जाएगा, लेकिन धीरे-धीरे बच्ची को देखने में परेशानी होनी लगी।

आंखों में दर्द की समस्या भी सताने लगी और दिखना कम हो गया। माता-पिता बच्ची को अस्पताल के आपातकाल विभाग में लेकर आए। डा. विद्या ने बताया कि जांच में पता चला कि बच्ची दुर्लभ बीमारी से ग्रस्त है। बच्ची की आंखों के साथ टीबी का भी इलाज किया गया। खास बात यह है कि बच्ची के इलाज के दौरान कोई सर्जरी करने की जरूरत नहीं हुई।


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