इंडिया गेट के करीब मौजूद दिल्ली का सबसे बड़ा पार्क इसलिए पड़ा है बदहाल
इंडिया गेट से साउथ ब्लॉक और नॉर्थ ब्लॉक तक राजपथ के दोनों ओर यह उपवन लगभग 175 एकड़ का था, जो वार म्यूजियम निर्माण की वजह से अब करीब 100 एकड़ बचा है।
नई दिल्ली (संजीव गुप्ता)। दिल्ली के दिल में बसे इंडिया गेट, राजपथ और विजय चौक का इलाका देश ही नहीं, दुनिया में विशिष्ट पहचान रखता है। इसके बाद भी यहां सड़क के दोनों ओर बने उपवन की सुंदरता को लेकर गंभीरता नजर नहीं आती। न तो यहां ऐसे फूल ही हैं, जो आकर्षित करते हों और न ही वैसी लाइटिंग। और तो और, यहां घास भी बेतरतीब ढंग से कटी नजर आती है। यह सारा क्षेत्र कई मंत्रालयों और विभिन्न विभागों के अधीन है। इस चक्कर में दिल्ली के इस सबसे बड़े पार्क की सही तरीके से देखभाल नहीं की जा रही है। उपवन की घास तक ठीक से नहीं काटी गई है।
इंडिया गेट से साउथ ब्लॉक और नॉर्थ ब्लॉक तक राजपथ के दोनों ओर यह उपवन लगभग 175 एकड़ में फैला है। इंडिया गेट की तरफ करीब 70 से 80 एकड़ क्षेत्र अब वार म्यूजियम (युद्ध संग्रहालय) के लिए रक्षा मंत्रालय को दे दिया गया है। इसका निर्माण कार्य भी चल रहा है। ऐसे में अब यह उपवन करीब 100 एकड़ में सिमटकर रह गया है। उपवन में हरित क्षेत्र तो दिखाई पड़ता है, मगर इसकी सुंदरता अब गायब होती जा रही है।
अवैध पार्किंग, रेहड़ी खोमचे वालों का कब्जा
अमर जवान ज्योति के आसपास का सी हेक्सागॉन क्षेत्र रक्षा मंत्रालय के पास है। यहां पर कोई ढांचागत बदलाव नहीं हो सकता, लेकिन इंडिया गेट से लेकर राजपथ के दोनों ओर रेहड़ी खोमचे एवं ऑटो वालों का कब्जा नजर आता है। जलाशय में लोग जब-तब नहाते दिखते हैं तो उसके पीछे के हिस्से में धूल उड़ती नजर आती है। यहां लोग पार्किंग भी करते हैं। इस क्षेत्र में हर रोज हजारों की संख्या में देशी-विदेशी पर्यटक आते हैं, लेकिन उस लिहाज से व्यवस्था नहीं की गई है।
सौंदर्यीकरण की योजना अधर में
स्कूल ऑफ प्लानिंग एंड आर्किटेक्चर ने जलाशयों के पीछे सौंदर्यीकरण करने के लिए सुझाव देते हुए केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) को रिपोर्ट दी है। रिपोर्ट और इसमें दिए गए सभी सुझावों को केंद्र सरकार ने क्रियान्वयन के लिए स्वीकृति भी दे दी है। रिपोर्ट में जलाशयों के पीछे से पार्किंग क्षेत्र खत्म करने, हरित क्षेत्र विकसित करने, ग्रिल और लाइटें लगाने, फूलदार पौधे और छायादार वृक्ष के पौधे रोपने की सिफारिश की गई है। मंजूरी मिलने के बावजूद इस योजना पर काम नहीं हो पा रहा है, क्योंकि जलाशयों के पीछे से पार्किंग क्षेत्र खत्म करने के लिए सभी मंत्रालयों और विभागों की सहमति होनी चाहिए।
सीपीडब्ल्यूडी का तर्क
सीपीडब्ल्यूडी का कहना है कि राजपथ पर हर साल होने वाले गणतंत्र दिवस समारोह की वजह से इस उपवन में ज्यादा कुछ कर पाना संभव नहीं है। समारोह के दौरान यह उपवन दर्शकों और अतिथियों के बैठने के काम में लाया जाता है। अगर यहां छायादार वृक्ष या फूलदार पौधे अधिक मात्रा में लगा दिए गए तो समारोह के दौरान सुरक्षा एवं प्रशासनिक दोनों ही स्तर पर समस्या हो सकती है।
जो भी होगा, सभी विभागों के तालमेल से होगा
सीपीडब्ल्यूडी के अतिरिक्त महानिदेशक राजीव जैन का कहना है कि यह पार्क नहीं है, लॉन है और सरकारी समारोहों की जरूरत के हिसाब से हमें यहां समय-समय पर अलग-अलग तरह की व्यवस्था करनी होती है। इस व्यवस्था में कोई बाधा न हो, इसीलिए यहां पर स्थायी तौर पर या बहुत रचनात्मकस्तर पर कुछ किया जाना संभव नहीं है। इसके अतिरिक्त जो अन्य समस्याएं हैं, उनके लिए एक नहीं, बल्कि कई विभागों और मंत्रालयों की जिम्मेदारी बनती है। रक्षा मंत्रालय के निर्देशों को भी दरकिनार नहीं किया जा सकता। आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय की अनुशंसा को भी नजरअंदाज नहीं कर सकते। यहां की कुछ व्यवस्था नई दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) के जिम्मे है और कुछ दिल्ली पुलिस एवं यातायात पुलिस के जिम्मे भी। इसलिए जो भी होगा, सभी के तालमेल से ही होगा। पिछले दिनों इसे लेकर संबंधित विभागों के अधिकारियों की बैठक बुलाई गई थी जो बेनतीजा रही।
फूल के पौधे भी अपर्याप्त
हाल ही में उपवन में क्यारियां बनाकर फूलों के कुछ पौधे लगाए गए हैं। इन क्यारियों में रंग-बिरंगे फूल खिलते हैं। इसके अलावा, यहां कुछ मौसमी फूल भी लगाए जाते हैं, लेकिन इनकी संख्या बहुत कम है।