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Delhi Air Pollution: वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति को देखते हुए दिल्ली सरकार का यह कदम सराहनीय

पराली जलाए जाने से होने वाले वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति को देखते हुए दिल्ली सरकार का यह कदम सर्वथा उचित और स्वागतयोग्य है। दिल्ली में करीब आठ सौ हेक्टेयर भूमि पर गैर बासमती धान की खेती होती है जिसके कारण इस भूमि से पराली हटाने की आवश्यकता पड़ती है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 14 Oct 2020 03:09 PM (IST)Updated: Wed, 14 Oct 2020 03:16 PM (IST)
Delhi Air Pollution: वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति को देखते हुए दिल्ली सरकार का यह कदम सराहनीय
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को बायो डी-कंपोजर कैप्सूल से बने घोल के छिड़काव के लिए अभियान की शुरुआत की।

नई दिल्‍ली, जेएनएन। खेतों में पराली जलाए जाने से रोकने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार को बायो डी-कंपोजर कैप्सूल से बने घोल के छिड़काव के लिए अभियान की शुरुआत की। पराली जलाए जाने से होने वाले वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति को देखते हुए दिल्ली सरकार का यह कदम सर्वथा उचित और स्वागतयोग्य है। दिल्ली में करीब आठ सौ हेक्टेयर भूमि पर गैर बासमती धान की खेती होती है, जिसके कारण इस भूमि से पराली हटाने की आवश्यकता पड़ती है।

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दिल्ली सरकार ने खेतों में बायो-डीकंपोजर के घोल का छिड़काव करने का फैसला किया है। इसके छिड़काव से खेतों में पराली गल जाती है और कुछ दिनों में यह खाद में तब्दील हो जाती है। इससे जहां इसे जलाने की आवश्यकता नहीं पड़ती, वहीं खाद के रूप में परिवर्तित होकर यह खेत के लिए लाभदायक भी साबित होती है। किसानों को इसके लिए अधिक धनराशि भी नहीं खर्च करनी पड़ती।

उत्तरी राज्यों में खेतों में जलाई जाने वाली पराली से होने वाले धुआं दिल्ली में सर्दियों के समय गहराने वाले वायु प्रदूषण का एक प्रमुख कारण है। राजधानी में पूसा स्थित भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के विज्ञानियों द्वारा तैयार किया गया बायो-डीकंपोजर पराली जलाने से होने वाले वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए काफी हद तक लाभदायक साबित हो सकता है।

दिल्ली में जहां अपेक्षाकृत कम भूमि पर धान की फसल होती है, उसे देखते हुए हरियाणा-पंजाब व पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए इसका बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जा सकता है। यदि ये राज्य सरकारें इसका उपयोग करें और किसानों को इसके उपयोग के प्रति प्रेरित करें तो दिल्ली ही नहीं, पूरे उत्तर भारत में वायु प्रदूषण से लगातार बिगड़ रहे हालात को नियंत्रित करने में खासी सफलता मिल सकती है। केंद्र सरकार को भी बायो-डीकंपोजर के इस्तेमाल के प्रति राज्यों को प्रेरित करना चाहिए, ताकि इसका अधिकाधिक लाभ उठाया जा सके।

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