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Delhi Aiims: जागरूकता अभियान पर करोड़ों खर्च करने के बावजूद अंगदान कम, अब स्पेन की तर्ज पर शुरू होगा TPM कोर्स

स्पेन में अंगदान के प्रति जागरूकता अभियान नहीं चलाया जाता है। इस कार्य के लिए वहां अलग से कोई बजट भी निर्धारित नहीं होता। फिर भी वहां अंगदान अधिक होता है। जबकि भारत में राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण कार्यक्रम के लिए करीब 15 करोड़ बजट निर्धारित है।

By Ranbijay Kumar SinghEdited By: Abhi MalviyaPublished: Sat, 18 Mar 2023 07:29 PM (IST)Updated: Sat, 18 Mar 2023 07:29 PM (IST)
Delhi Aiims: जागरूकता अभियान पर करोड़ों खर्च करने के बावजूद अंगदान कम, अब स्पेन की तर्ज पर शुरू होगा TPM कोर्स
स्पेन में अंगदान के प्रति जागरूकता अभियान नहीं चलाया जाता है।

नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। स्पेन में अंगदान के प्रति जागरूकता अभियान नहीं चलाया जाता है। इस कार्य के लिए वहां अलग से कोई बजट भी निर्धारित नहीं होता। फिर भी वहां अंगदान अधिक होता है। जबकि भारत में राष्ट्रीय अंग प्रत्यारोपण कार्यक्रम के लिए करीब 15 करोड़ बजट निर्धारित है।

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इसलिए जागरूक अभियान में भारी भरकम रकम खर्च होने के बावजूद अभी कैडेवर (ब्रेन डेड) डोनर लोगों का अंगदान कम होता है। अंगदान पर एम्स में आयोजित एक कार्यक्रम में यह बातें सामने आई। इसलिए अंगदान को बढ़ावा देने के लिए स्पेन की तर्ज पर एम्स में टीपीएम (ट्रांसप्लांट प्रोक्योरमेंट मैनेजमेंट) कोर्स शुरू किया गया है।

तैयार होगी पेशेवर टीम

एम्स के न्यूरो सर्जरी के प्रोफेसर डा. दीपक गुप्ता ने बताया कि यह कोर्स शुरू करने का मकसद डाक्टरों को प्रशिक्षित कर अंगदान के लिए प्रतिबद्ध पेशेवर टीम तैयार करना है। देश में वर्ष 1994 में अंगदान के लिए कानून बना। इसके बाद से अब तक किसी भी वर्ष अंगदान का आंकड़ा एक हजार नहीं पहुंच पाया है। पिछले वर्ष देश में ब्रेन डेड हुए 904 लोगों के अंगदान से 2765 अंग प्रत्यारोपित हुए। ब्रेन डेड लोगों का अंगदान कम होने के साथ-साथ अंगों के इस्तेमाल की दर भी बहुत कम है।

एक ब्रेन डेड व्यक्ति से आठ से नौ लोगों की जिंदगी बचाई जा सकती है। मौजूदा समय में देश में एक ब्रेन डेड व्यक्ति के अंगदान से औसतन तीन लोगों को अंग प्रत्यारोपण हो पा रहा है। यहां डाक्टरों में ब्रेन डेड को प्रमाणित करने को लेकर जागरूकता का अभाव है। इसलिए स्पेन सहित अमेरिका, जापान व इटली से 15 डाक्टरों को बुलाकर यह चर्चा की गई कि किस तरह यहां अंगदान को बढ़ाया जा सकता है। जिसमें यह बात सामने आई है कि अंगदान के लिए प्रतिबद्ध डाक्टरों व कर्मचारियों की टीम बनानी पड़ेगी। इसलिए आगे चलकर देश के अन्य अस्पतालों में टीपीएम कोर्स संचालित कर डाक्टरों को प्रशिक्षित किया जाएगा।

स्पेन के डीटीआइ (डोनेशन एंड ट्रांसप्लांट इंस्टीट्यूट) फाउंडेशन के डेवलपमेंट डायरेक्टर व बार्सिलोना युनिवर्सिटी की एसोसिएट प्रोफेसर च्लोए बैलेस्टे ने बताया कि स्पेन में अंगदान कार्यक्रम में पेशेवर लोगों नियुक्ति है। अंगदान की जिम्मेदारी आइसीयू में नियुक्त डाक्टर लेते हैं। इसलिए सभी अस्पतालों के आइसीयू में एक विशेषज्ञ को अंगदान के लिए अधिकृत किया गया है।

अंगदान संयोजक भी डाक्टर होते हैं। जबकि भारत में अस्पतालों में नियुक्त अंगदान संयोजक डाक्टर नहीं होते। स्पेन में अंगदान के लिए कोई अतिरिक्त बजट नहीं होता है। इसलिए कोई जागरूकता अभियान भी नहीं चलाया जाता। अस्पताल खुद अंगदान कराने की जिम्मेदारी लेते हैं। भारत में भी अंगदान को बढ़ाने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं। एम्स भी इसके लिए प्रयास कर रहा है। अंगदान के लिए सभी अस्पतालों में संचालक मानक प्रक्रिया का होना जरूरी है।

देश में अंग प्रत्यारोपण के आंकड़े

सबसे अधिक प्रत्यारोपण- वर्ष 2022

कुल प्रत्यारोपण- 15,561

इससे पहले अधिक प्रत्यारोपण- वर्ष 2019

कुल प्रत्यारोपण- 12,666

सबसे अधिक लाइव डोनर प्रत्यारोपण

वर्ष 2022- 12,791

वर्ष 2021- 10,638

सबसे अधिक कैडेवर डोनर अंगदान

वर्ष 2016- 930

वर्ष 2022- 904

सबसे अधिक कैडेवर डोनर अंग प्रत्यारोपण

वर्ष 2022- 2765

वर्ष 2016- 2265

प्रति कैडेवर डोनर अंग प्रत्यारोपण

वर्ष 2022- 3.05

वर्ष 2016- 2.43


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