प्रतिबंधित दवाओं के मामले में फार्मा कंपनियों दिल्ली HC से नहीं मिली राहत
पिछले साल मार्च में, केंद्र ने 344 एफडीसी दवाओं पर स्वास्थ्य जोखिमों और उपचारात्मक औचित्य की कमी का हवाला देते हुए इसे प्रतिबंध करार दिया था।
नई दिल्ली [जेएनएन]। दिल्ली उच्च न्यायालय में फार्मा कंपनियों द्वारा दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए फार्मास्युटिकल कंपनियों को निश्चित खुराक संयोजन दवाओं पर सरकारी प्रतिबंध पर कोई अंतरिम राहत देने से इन्कार किया है।
Delh HC refrains from giving any interim relief to several pharmaceutical companies over a govt ban on fixed dose combination drugs. pic.twitter.com/jhZVUSX2Ii
— ANI (@ANI_news) June 30, 2017
इससे पहले 21 जून को अपनी पूर्व सुनवाई में, उच्च न्यायालय ने तीन दवा कंपनियों- मैनकाइड फार्मास्यूटिकल्स, एकम ड्रग्स एंड फार्मास्युटिकल्स लिमिटेड और जेबी केमिकल्स एंड फार्मा लिमिटेड को अंतरिम राहत देने से इन्कार कर दिया था। मालूम हो कि, पिछले साल मार्च में, केंद्र ने 344 एफडीसी दवाओं पर स्वास्थ्य जोखिमों और उपचारात्मक औचित्य की कमी का हवाला देते हुए इसे प्रतिबंध करार दिया था।
प्रतिबंधित कंपनियों में फाइजर लिमिटेड, सन फार्मास्युटिकल इंडस्ट्रीज लिमिटेड, सिप्ला लिमिटेड, सोनोफी इंडिया लिमिटेड, अल्केम लैबोरेटरीज लिमिटेड और वॉकहार्ट लिमिटेड समेत 6,000 ब्रांड और प्रमुख फार्मा कंपनी शामिल हैं। केएलई विश्वविद्यालय, कर्नाटक के कुलपति चंद्रकांत कोकाटे की अध्यक्षता में छह सदस्यीय समिति की एक रिपोर्ट के बाद ये प्रतिबंध लागू किया गया था।
दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति राजीव सहायक इंदलॉ ने उस अधिसूचना को खारिज कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि सरकार ने प्रतिबंध लगाने के लिए ड्रग टेस्टिंग एडवाइजरी बोर्ड और ड्रग्स कंसल्टेंसी कमेटी जैसे वैधानिक अधिकारियों से परामर्श करने में असफल रहे हैं। हालांकि, अदालत ने यह नहीं कहा कि एफडीसी दवाएं उपभोक्ताओं के लिए हानिकारक हैं या नहीं। 344 एफडीसी ड्रग्स पर प्रतिबंध के खिलाफ सभी उच्च न्यायालयों में कार्यवाही सर्वोच्च न्यायालय द्वारा रोक दी गई है, जहां मामला लंबित है।
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