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मंडाेली जेल के क्वारंटाइन सेंटर में सहरी और इफ्तार के लिए होता है एलान, प्रशासन की हो रही तारीफ

राजधानी दिल्ली में कोरोना ने अपना कहकर बरपाया हुआ है बहुत से कोरोना मरीजों को मंडोली जेल में बनाए गए क्वारंटाइन सेंटर में रखा हुआ है।

By Prateek KumarEdited By: Published: Mon, 27 Apr 2020 10:07 PM (IST)Updated: Mon, 27 Apr 2020 10:07 PM (IST)
मंडाेली जेल के क्वारंटाइन सेंटर में सहरी और इफ्तार के लिए होता है एलान, प्रशासन की हो रही तारीफ
मंडाेली जेल के क्वारंटाइन सेंटर में सहरी और इफ्तार के लिए होता है एलान, प्रशासन की हो रही तारीफ

नई दिल्ली (शुजाउद्दीन)। रमजान को इबादत का महीना कहा जाता है। ऐसी इबादत जब बंदा अपने सारे काम को छोड़कर पहले खुदा से जुड़ता है। राजधानी दिल्ली में कोरोना ने अपना कहकर बरपाया हुआ है, बहुत से कोरोना मरीजों को मंडोली जेल में बनाए गए क्वारंटाइन सेंटर में रखा हुआ है। बड़ी संख्या में यहां रह रहे लोग रोजा रख रहे हैं, ऐसे में उनके लिए सहरी और इफ्तार का इंतजाम जिला प्रशासन करवा रहा है।

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इतना ही नहीं रोजेदार समय पर सहरी और इफ्तार कर लें, उसके लिए प्रशासन की ओर से एलान भी करवाया जाता है। रोजा इफ्तार के बाद रोजेदार ग्रीन-टी का भी आनंद लेते हैं। गर्म पानी पीने के लिए अलग-अलग कैटल लगी हुई हैं।

रोजदार इस बात से खुश हैं कि प्रशासन उनकी हर एक जरूरत का ध्यान रख रहा है। रोजे शुरू होने से पहले मुस्लिम समुदाय के लोगों काे लग रहा था कि वह रोजे कैसे रखेंगे, सेंटर में न तो उन्हें सहरी मिल पाएगी और न ही सहरी व इफ्तार का समय पता चल पाएगा।

सीमापुरी के एसडीएम पंकज भटनागर ने बताया कि सेंटर में रह रहे 252 लोग रोजा रख रहे हैं। सुबह तीन बजे प्रशासन के कर्मचारी रोजेदारों को सहरी का सामान पहुंचा रहे हैं, इसके बाद दिन में रोजा खुलने से पहले रोजेदारों को खजूर, शहद, व फल दिए जाते हैं। एक व्यक्ति की ड्यूटी लगी है जो सहरी और रोजा इफ्तार का एलान करता है।

सेंटर के गेट पर लगाई सैनिटाइजर टनल

एसडीएम पंकज भटनागर ने बताया कि जिलाधिकारी संजीव कुमार की अनुमति के बाद सेंटर के गेट पर सैनिटाइजर टनल लगाई गई है। सेंटर में जाने से पहले और वापस निकलने पर सभी लोगों को सैनिटाइज किया जाता है, ताकि वह भी सुरक्षित रहे और सेंटर में भर्ती मरीज भी।

जबरदस्ती रोजा रखने वालों की होगी काउंसलिंग

प्रशासन के अधिकारियों की माने तो सेंटर में दो मरीज ऐसे हैं, जिनकी तबियत ठीक नहीं है। उसके बाद भी वह रोजा रखने पर अड़े हुए हैं। ऐसे मरीजों की काउसंलिंग करवाई जाएगी, उन्हें समझाया जाएगा कि भूखे पेट रहने से उनकी जान को खतरा हो सकता है। अधिकारियों ने कहा कि इस बीमारी में गला सूखा नहीं रहना चाहिए। बाकि दूसरे जो लोग रोजा रख रहे हैं उनकी तबियत इन दोनों मरीजों से बेहतर है।


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