खेल संगठनों को मान्यता देने पर अब तक नहीं हुआ फैसला, केंद्र ने दी हाई कोर्ट को जानकारी
खेल मंत्रालय की तरफ से पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल और स्टैंडिंग काउंसल अनिल सोनी ने कहा कि मुख्य याचिका पर देखें की कोई राहत दिए जाने की जरूरत है या नहीं।
नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। 57 राष्ट्रीय खेल संगठनों (एनएसएफ) को प्रोविजनल वार्षिक मान्यता देने के मामले में केंद्र सरकार ने शुक्रवार को दिल्ली हाई कोर्ट में कहा कि अब तक खेल संगठनों को मान्यता देने पर फैसला नहीं लिया है। न्यायमूर्ति हिमा कोहली व न्यायमूर्ति नज्मी वजीरी की पीठ के समक्ष केंद्र सरकार ने कहा कि मान्यता देने पर फैसला होने पर इसकी जानकारी पीठ के समक्ष रखी जाएगी। केंद्र सरकार ने पीठ को उक्त जानकारी बृहस्पतिवार को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद दी। सुप्रीम कोर्ट ने बृहस्पतिवार को कहा था कि खेल संगठनों को मान्यता देने से पहले केंद्र सरकार को हाई कोर्ट की सहमति लेने की जरूरत नहीं है। याचिका पर अगली सुनवाई छह नवंबर को होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने उक्त आदेश हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ खेल मंत्रालय द्वारा दायर अपील याचिका पर दिया था। दिल्ली हाई कोर्ट ने खेल मंत्रालय को निर्देश दिया कि बगैर हाई कोर्ट की पूर्व अनुमति लिए वह खेल संगठनों को मान्यता नहीं दे सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने इसके साथ ही हाई कोर्ट को वर्ष 2010 में अधिवक्ता राहुल मेहरा द्वारा दायर याचिका का भी निपटारा करने को कहा था।
खेल मंत्रालय की तरफ से पेश हुए एडिशनल सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) केएम नटराज और स्टैंडिंग काउंसल अनिल सोनी ने कहा कि मुख्य याचिका पर देखें की कोई राहत दिए जाने की जरूरत है या नहीं। इस पर पीठ ने कहा कि अगली सुनवाई पर इस पर विचार किया जाएगा। पीठ ने एएसजी से कहा कि मंत्रालय ने बीते वर्ष कहा था कि वे नई खेल संहिता पेश करेंगे, लेकिन अब तक कुछ नहीं हुआ।
एएसजी ने कहा कि खेल संहिता नीतिगत मामला है और यह कब तक बदलेगी या अधिसूचित होगी यह सरकार के ऊपर है। उन्होंने कहा कि खेल संहिता के नियम एनएसएफ पर लागू होते है, जिनके सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो गया वे नियम के हिसाब से काम करेंगे। पीठ ने इस पर सवाल उठाया कि जिन सदस्यों का कार्यकाल समाप्त हो गया है वे एनएसएफ का रुपया नहीं खर्च कर सकते हैं।
अदालत ने इससे पहले 24 जून को बगैर अदालत से अनुमति लिए 57 एनएसएफ को प्रोविजनल मान्यता देने के मंत्रालय के दो जून के फैसले पर रोक लगा दी थी। साथ ही यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया था। पीठ ने सात फरवरी को खेल एवं विकास मंत्रालय एवं इंडियन ओलंपिक एसोसिएशन को निर्देश दिया था कि वे बगैर अदालत की जानकारी के एनएसएफ से जुड़ा कोई फैसला नहीं करेंगे।
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