अस्पताल की अमानवीयताः 22 वर्षीय लड़की की मौत के बाद शव वेंटिलेटर पर रखकर वसूला बिल
आरोप है कि इलाज के दौरान ही मरीज ने दम तोड़ दिया था। इसके बाद भी अस्पताल के डॉक्टरों ने ज्यादा फीस लेने के चक्कर में उसे वेंटिलेटर पर शिफ्ट कर दिया।
नई दिल्ली/नोएडा (जेएनएन)। दिल्ली से सटे नोएडा सेक्टर-128 के जेपी अस्पताल में इलाज के दौरान 22 साल की लड़की की मौत हो गई। परिजन ने अस्पताल चिकित्सकों पर लापरवाही बरतने का आरोप लगाते हुए कहा है कि उसकी मौत रविवार को ही हो चुकी थी। अधिक पैसा वसूलने के चक्कर में अस्पताल वालों ने उसे वेंटिलेटर पर रखा था, जिससे इलाज का शुल्क बढ़ता गया।
परिजन को मरीज की मौत का शक पहले ही हो गया था। वहीं अस्पताल प्रशासन का कहना है कि सभी जानकारी परिजन को मुहैया कराई जा रही थी। मरीज की मौत सोमवार को हुई है। मामला बनारस के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) जनार्दन प्रसाद की भतीजी निहारिका यादव का है। जौनपुर की तहसील शाहगंज के सफीपुर गांव निवासी निहारिका को दिल की बीमारी के चलते 15 जून को जेपी अस्पताल लाया गया।
आरोप है कि इलाज के दौरान ही मरीज ने दम तोड़ दिया था। इसके बाद भी अस्पताल के डॉक्टरों ने ज्यादा फीस लेने के चक्कर में उसे वेंटिलेटर पर शिफ्ट कर दिया। निहारिका के चाचा सीजेएम जनार्दन प्रसाद यादव ने बताया कि निहारिका की मृत्यु रविवार सुबह हो हई थी।
अस्पताल ने सही जानकारी नहीं देकर उसे वेंटिलेटर पर रख दिया। अस्पताल प्रशासन ने बताया कि मरीज का इलाज परिजन की देखरेख में किया जा रहा था। वह पहले से काफी बीमार थी। जिस दौरान भर्ती किया गया था उस वक्त मरीज दवाइयों की हाई डोज पर थी। सोमवार को मरीज की मौत हुई है।
आइएलबीएस ने वसूला भारी बिल!, केजरीवाल को पत्र लिखकर मांगी मदद
वहीं, दिल्ली में दिल्ली सरकार के स्वायत्तशासी अस्पताल यकृत व पित्त विज्ञान संस्थान (आइएलबीएस) में श्रीनगर के रहने वाले 45 वर्षीय मुस्ताक अहमद नामक मरीज को लिवर प्रत्यारोपित किया गया है। एक महीने से अधिक समय से अस्पताल में भर्ती इस मरीज के बेटे अबिद मुस्ताक ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर अस्पताल द्वारा इलाज का भारी भरकम खर्च वसूलने का आरोप लगाया है। साथ ही इस मामले में मदद की गुहार लगाई है।
मुस्ताक ने अपने पत्र में कहा है कि अस्पताल लिवर प्रत्यारोपण के लिए 14 लाख का पैकेज बताया था। 10 मई को मरीज को लिवर प्रत्यारोपण सर्जरी की गई। इसके लिए अस्पताल को 13.50 लाख का भुगतान किया जा चुका है। यह रकम भी घर बेचकर चुकाया गया है। अब स्थिति यह है कि अस्पताल प्रतिदिन 70 हजार के हिसाब से इलाज का खर्च चार्ज कर रहा है और 2,75,111 रुपये बिल बकाया है।
अस्पताल की तरफ से बिल भरने के लिए दबाव बनाया जा रहा है और कहा जा रहा है कि बिल नहीं भरने पर मरीज को अस्पताल से छुट्टी दे दी जाएगी। मरीज ने बकाया बिल भरने में असमर्थता जताते हुए मुख्यमंत्री से मदद मांगी है।
वहीं, अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि लिवर प्रत्यारोपण का पैकेज 30 दिन के आधार पर होता है। इस मरीज को अधिक दिन अस्पताल में भर्ती रहना पड़ा। आइसीयू का खर्च भी अधिक होता है। बीपीएल श्रेणी के दिल्ली के मरीजों के इलाज के लिए सरकार से मदद मिलती है। इस मरीज का बिल भी बकाया होने के बावजूद इलाज बंद नहीं किया गया है। एनजीओ के माध्यम से मदद करने की कोशिश की जाएगी।