दिल्ली के लाखों लोगों के लिए खुशखबरी, सितंबर में शुरू हो सकती है संपत्तियों की डी-सीलिंग
जल्द ही यह तय किया जाएगा कि जिस संपत्ति को डी-सील करने का आवेदन स्वीकार करना है उसका प्रारूप क्या होगा? इसके साथ क्या-क्या दस्तावेज होने चाहिए?
नई दिल्ली [निहाल सिंह]। मॉनिटरिंग कमेटी के आदेश से रिहायशी क्षेत्रों में सील हुई संपत्तियों की डी-सीलिंग (सील खुलवाने) के लिए दिल्ली के तीनों नगर निगम नीति तैयार करने में जुट गए हैं। निगमों की कोशिश है कि इसी माह नीति तैयार कर अगले माह सितंबर से डी-सीलिंग की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएं। सुप्रीम कोर्ट ने 14 अगस्त को एक आदेश में मॉनिटरिंग कमेटी के अधिकारों को स्पष्ट किया है कि जिस रिहायशी इमारत का व्यवसायिक इस्तेमाल नहीं हो रहा उस पर कार्रवाई का अधिकार कमेटी को नहीं हैं।
दिल्ली के तीनों नगर निगम (पूर्वी, उत्तरी व दक्षिणी) के कानून विभाग इस आदेश को पढ़कर तकनीकी पहलुओं पर विचार कर रहे हैं। हालांकि, निगम ने सोमवार को उन 11 संपत्तियों को डी-सील कर दिया है, जिनको लेकर ही सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी और सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिए हैं।
दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि करीब 70 पेज का आदेश है। हम इसका अध्ययन कर रहे हैं। इसके बाद ही फैसला लेंगे कि रिहायशी क्षेत्रों की संपत्तियों को किस आधार पर डी-सील किया जाए। नीति में यह भी तय किया जाएगा कि जिस संपत्ति को डी-सील करने का आवेदन स्वीकार करना है उसका प्रारूप क्या होगा? इसके साथ क्या-क्या दस्तावेज होने चाहिए? दिल्ली में बड़ी संख्या में ऐसी संपत्तियां हैं जिनको अवैध निर्माण और संपत्तियों के दुरुपयोग के आधार पर सील किया गया था। जबकि उनका व्यावसायिक रूप से इस्तेमाल नहीं हो रहा था। कोर्ट के इस निर्देश का फायदा ऐसी संपत्तियों को मिल सकता है।
मॉनिटरिंग कमेटी के पास फाइलें भेजने पर ली जा रही राय
रिहायशी क्षेत्रों में जिन संपत्तियों को डी-सील किया जाना हैं, उनकी फाइल मॉनिट¨रग कमेटी के पास भेजी जाएगी या नहीं, निगम अधिकारी इस पर भी अध्ययन कर रहे हैं। निगम के अधिकारी इस मामले को इसलिए भी स्पष्ट कर लेना चाहते हैं ताकि बाद में कोई विवाद की गुंजाइश न रहे और जिनकी संपत्ति डी-सील हो, उन्हें बाद में किसी कानूनी प्रक्रिया का सामना न करना पड़े। हालांकि, रजोकरी और वंसतकुंज में दक्षिणी निगम ने इन संपत्तियों को सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के आधार पर ही डी-सील किया है। अधिकारी ने कहा कि फिलहाल ऐसा लगता है कि रिहायशी क्षेत्रों की संपत्तियों को डी-सील करने के मामले में मॉनिटरिंग कमेटी के पास फाइल भेजने की जरुरत नहीं होगी। अगर, जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के आधार पर केंद्र सरकार से सुझाव लिया जा सकता है।
नरेंद्र चावला (नेता सदन, दक्षिणी निगम) के मुताबिक, भवन विभाग को कहा गया है कि पूर्वी और उत्तरी निगम के अधिकारियों के साथ बैठकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश का अध्ययन करें साथ ही जिन संपत्तियों को डी-सील किया जाना है इसके लिए दिशा-निर्देश तैयार करें। निगम इसे नीति का रुप देकर लोग की संपत्ति को डी-सील करने की प्रक्रिया शुरू करेगा।
योगेश वर्मा (नेता सदन, उत्तरी निगम) का कहना है कि अगर किसी संपत्तिधारक ने रिहायशी संपत्ति द्वारा नियमों का उल्लंघन नहीं किया हो और ना ही सरकारी भूमि पर अतिक्रमण किया है, ऐसे भवनों को राहत दी जानी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद हमने अधिकारियों को इसके लिए नीति तैयार करने को कहा है।
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