दिल्ली में लागू हो सकता है पुणे का लैंड पूलिंग मॉडल, पढ़िए- इसकी खूबियां
पुणे के मगरपट्टा इलाके में 150 किसान परिवारों ने कंपनी बनाकर 400 एकड़ जमीन पर एक कामयाब शहर बसाया है। इस शहर पर पहले भी कई अध्ययन हो चुके हैं।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। आवासीय समस्या को दूर करने के लिए दिल्ली में पुणे का लैंड पूलिंग मॉडल लागू हो सकता है। इस मॉडल में न तो किसी बिल्डर का हस्तक्षेप होगा और न किसी डेवलपर का। खास बात यह कि इस मॉडल के आधार पर बसने वाले शहर में स्मार्ट सिटी की भी तमाम सुविधाएं होंगी। दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) जल्द ही इस मॉडल की विशेषताओं को दिल्ली में लैंड पूलिंग पॉलिसी के तहत पंजीकरण करा रहे किसानों से साझा करेगा। पुणे के मगरपट्टा इलाके में 150 किसान परिवारों ने कंपनी बनाकर 400 एकड़ जमीन पर एक कामयाब शहर बसाया है। इस शहर पर पहले भी कई अध्ययन हो चुके हैं।
अब डीडीए के अधिकारी लैंड पूलिंग पॉलिसी के तहत बसे इस शहर का अध्ययन करने गए हैं। डीडीए उपाध्यक्ष के नेतृत्व में 11 सदस्यीय यह टीम मगरपट्टा में बसाए गए इस शहर की परेशानियों, खूबियों और क्रियान्वयन की बारीकियों को जान रही है। दो दिवसीय इस दौरे में नेशनल इंस्टीटयूट ऑफ अर्बन अफेयर्स (एनआइयूए) के विशेषज्ञ भी शामिल हैं।
सोमवार को मगरपट्टा का दौरा करने के बाद मंगलवार को यह टीम मुंबई में झुग्गियों को इन-सीटू प्रोजेक्ट के तहत बसाने का प्रोजेक्ट देखने जाएगी। डीडीए के मुताबिक, मगरपट्टा बसाने वाली कंपनी में अब 800 सदस्य हैं। यह सभी किसान परिवार से हैं। इसमें न तो कोई बाहर से जुड़ा और न ही कोई छोड़कर गया। कंपनी ही शहर की देखरेख का काम संभालती है। यहां करीब 40 हजार लोग रहते हैं। इसमें किसानों के फ्लैट भी है। इस शहर में साइबर सिटी भी है, जहां करीब 80 हजार लोग रोज काम करने आते हैं। इसके अलावा अस्पताल, चौड़ी सड़कें, पार्क, स्कूल, स्पोर्ट्स सहित कई सुविधाएं है। कंपनी के सदस्यों को किराये के भवन और रजिस्ट्रेशन फीस सहित अन्य मदों से होने वाली आय का हिस्सा भी दिया जाता है।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि मगरपट्टा में लैंड पूलिंग पॉलिसी पर शहर बसाने की शुरुआत सन 1990 में की गई थी। इसके क्रियान्वयन में लंबा समय लगा। 2012 में शहर बनकर तैयार हुआ। अब यहां पर सभी सुविधाओं के साथ लोग रह रहे हैं। दूसरी तरफ डीडीए की लैंड पू¨लग पॉलिसी में दिल्ली में अब तक करीब 900 किसान पंजीकरण करा चुके हैं। चार महीने पहले डीडीए ने पॉलिसी में पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू की थी। अभी पंजीकरण की प्रक्रिया दो महीने और चलेगी। इसके बाद जमीन को अलग-अलग सेक्टरों में बांटा जाएगा। इसके बाद डेवलपमेंट का काम किया जाएगा। हालांकि, किसानों के साथ डेवलपर-बिल्डर भी आ रहे हैं, जबकि डीडीए का मकसद किसानों को प्रेरित करना है।
लैंड पूलिंग पॉलिसी के तहत मगरपट्टा में बसा शहर
तरुन कपूर (उपाध्यक्ष, डीडीए) का कहना है कि देश भर में इस पॉलिसी का सबसे बेहतर नमूना है। इसीलिए हम लोग इसे देखने और इस मॉडल को अपनाने के विचार से पुणे आए हैं। झुग्गियों को इन-सीटू प्रोजेक्ट के तहत बसाने की दिशा में मुंबई में भी अच्छा काम हुआ है। इसी आधार पर अब हम देखेंगे कि दिल्ली में इन दोनों प्रोजेक्टों के लिए क्या कुछ किया जा सकता है।
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