DCW ने की पहल, अब दिल्ली के महिला और बालिका गृहों की जांच करेगी विशेष समिति
राजधानी में महिलाओं और लड़कियों के सभी शेल्टर होम का सोशल ऑडिट करने का फैसला किया है। आयोग ने दिल्ली के सभी शेल्टर होम्स के जांच के लिए एक विशेष समिति का गठन करने का फैसला किया है।
नई दिल्ली [जेएनएन]। बिहार के मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड की गूंज दिल्ली में भी सुनाई दे रही है। दिल्ली महिला आयोग ने सख्त कदम उठाते हुए राजधानी में महिलाओं और लड़कियों के सभी शेल्टर होम का सोशल ऑडिट करने का फैसला किया है। आयोग ने दिल्ली के सभी शेल्टर होम्स के जांच के लिए एक विशेष समिति का गठन करने का फैसला किया है।
तीन महीने में सौंपी जाएगी रिपोर्ट
इस समिति का काम दिल्ली के भीतर बने सभी शेल्टर होम्स की जांच करना होगा। यह समिति तीन माह के भीतर अपनी रिपोर्ट आयोग को सौंपेगी। बिहार के मुजफ्फरपुर बालिका गृह कांड पर दिल्ली महिला आयोग की प्रमुख स्वाति जयहिंद ने बिहार के सीएम नीतीश कुमार को खत भी लिखा था।
स्वाति जयहिंद का खत
नीतीश कुमार जी,
सर, आज फिर मैं रात में ठीक तरह से नहीं सो पाई। मुजफ्फरपुर के बालिका गृह की बेटियों की चीखें मुझे पिछले कई दिनों से सोने नहीं दे रहीं। उनके दर्द के सामने पूरे देश का सिर शर्म से झुक गया है। मैं चाहकर भी उस दर्द को अपने आप से अलग नहीं कर पा रही हूं और इसलिए आपको यह खत लिख रही हूं। मैं जानती हूं कि बिहार मेरे कार्यक्षेत्र में नहीं आता है, देश की एक महिला होने के नाते मैं यह खत लिख रही हूं। आशा है आप मेरा यह खत जरूर पढ़ेंगे।
मुजफ्फरपुर के बालिका गृह की कहानी शायद इस दुनिया की सबसे भयावह कहानियों में से एक है। यहां कम से कम 34 लड़कियों के साथ बार-बार दुष्कर्म किया गया और कुछ का मर्डर करके बालिका गृह में ही दफन कर दिया गया। लड़कियां सिर्फ सात से 14 साल की थीं और अधिकत्तर अनाथ थीं। ब्रजेश ठाकुर नाम का हैवान, कई अफसर और नेता रोज रात में आकर उनके साथ दुष्कर्म करते थे। बृजेश ठाकुर को वो 'हंटरवाला अंकल' कहती थीं जो हर रात लड़कियों को अपनी हवस का शिकार बनाता था। लड़किया शेल्टर हाउस में रात होते ही कांपने लग जाती थीं, क्योंकि उन्हें पता था उनके साथ रात में अत्याचार होगा।
इस बालिका गृह की यह भयावह स्थिति अप्रैल 2018 में TISS की एक रिपोर्ट में उजागर हुई। पर सर मुझे बहुत दुख है कि आपकी सरकार ने तो महीनों तक इस रिपोर्ट पर कोई एक्शन नहीं लिया, बल्कि बृजेश ठाकुर नाम के हैवान के एनजीओ को और प्रोजेक्ट दे दिए। जब मीडिया द्वारा पूरी घटना सामने आई, तब भी आप कोई कड़ा फैसला लेते हुए नहीं नजर आए। बस जब आपने बहुत दबाव महसूस किया तो मामला सीबीआइ को सौंपकर अपना पीछा छुड़ा लिया। आपकी सरकार के एक भी मंत्री और संतरी पर अब तक कोई एक्शन नहीं हुआ है।
इसका नतीजा है जब ब्रजेश ठाकुर मीडिया के दबाव में कई दिन बाद अरेस्ट हुआ तो उसके चेहरे पर एक मुस्कुराहट थी। वो एक बड़ा बिल्डर है और उसके चेहरे की हंसी उसकी राजनीतिक रसूख को पूरी तरह से दर्शाती है। शायद उसे पता है कि यह खोखला सिस्टम उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाएगा।
मैं बार-बार ये सोच कर परेशान हो रही हूं कि लड़कियों का अब क्या हाल है? जिस सरकार से उन्हें न्याय नहीं मिला, क्या वह सरकार उनका अब ख्याल रखने में सक्षम है? क्या वो लड़कियां अभी भी किसी बालिका गृह में घुट रही हैं या कम से कम अब उनके बेहतर भविष्य़ के लिए कोई काम हो रहा है? क्या उनको एक अच्छे स्कूल भेजा जाना शुरू हो गया है? क्या उनके खाने-पीने, खेलने कूदने के बेहतर प्रबंध हुए हैं? क्या उनको अपने भयानक कल से लड़ने के लिए मनोचिकित्सक की मदद दी जा रही है? क्या उनका स्वास्थ्य अब बेहतर है? क्या उनके आसपास का वातारण अब सुरक्षित और खुशहाल है? क्या उनको अपने बयान बदलने के लिए कोई दबाव तो नहीं बना रहा?
ये सवाल मेरे जेहन में बार-बार घूम रहे हैं। मैं आपसे गुजारिश करना चाहूंगी कि आप यह बताएं कि बिहार सरकार इन लड़िकयों के हित में क्या कदम उठा रही हैं? उन लड़कियों के बेहतर कल के लिए मैं और हमारा पूरा आयोग अपनी पूरी जान लगाने के लिए तैयार हैं और हर मदद के लिए तैयार हैं। देश में हम जैसे लाखों लोग उन बच्चियों की मदद करना चाहते हैं।