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इंटरनेट पर चाइल्ड पॉर्न में दिलचस्पी रखने वालों में दिल्ली दूसरे स्थान पर

जानकार मानते हैं कि ऑनलाइन चाइल्ड पॉर्न देखने की इच्छा इंटरनेट से दूर असल जिंदगी में यौन हिंसा की प्रवृत्ति से जुड़ी है।

By JP YadavEdited By: Published: Sun, 22 Jan 2017 12:14 PM (IST)Updated: Sun, 22 Jan 2017 09:06 PM (IST)
इंटरनेट पर चाइल्ड पॉर्न में दिलचस्पी रखने वालों में दिल्ली दूसरे स्थान पर
इंटरनेट पर चाइल्ड पॉर्न में दिलचस्पी रखने वालों में दिल्ली दूसरे स्थान पर

नई दिल्ली (जेएनएन)। हालिया सरकारी आंकड़ों से पता चला है कि चाइल्ड पॉर्न की लत हमारे समाज में गहरे स्तर पर जड़ें जमा चुका है। पिछले छह महीनों के दौरान चाइल्ड पॉर्न से जुड़ा मटीरियल शेयर करने में सबसे आगे अमृतसर है, जबकि दिल्ली दूसरे और उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ तीसरे नंबर पर है। आंकड़े के मुताबिक, छोटे शहरों में एक जुलाई 2016 से 15 जनवरी 2017 के बीच चाइल्ड पॉर्न से जुड़े 4 लाख 30 हजार से ज्यादा फाइलें शेयर की गईं, इनमें देश की राजधानी दिल्ली भी शामिल है।

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यह जरूर जानें

चाइल्ड पॉर्न से जुड़ा यह आंकड़ा कम्प्यूटरों के आईपी एड्रेस पर आधारित है। हालांकि, कई मौकों पर यूजर्स चालाकी करते नजर आए, जब उन्होंने सॉफ्टवेयर्स के जरिए अपना आईपी छिपा लिया (आईपी मास्किंग) या लोकेशंस के साथ छेड़छाड़ की। यानी ट्रैकिंग से बचने के लिए आईपी एड्रेस को विदेश के लोकशंस पर दिखाने की कोशिश की गई।

यह आंकड़े बताते हैं कि इंटरनेट पर चाइल्ड सेक्शुअल अब्यूज मटीरियल (CSAM) तलाशने और शेयर करने के मामले में छोटे शहरों से लेकर मेट्रो तक शामिल हैं।

बता दें कि अमेरिकी भाषा विज्ञानी जेम्स कर्क जोन्स की गिरफ्तारी और उसके पास चाइल्ड पॉर्न से जुड़ी करीब 30 हजार फाइलों की मौजूदगी ने सभी को एक बार हैरान कर दिया था। जेम्स जोन भी एक बेहद सिक्यॉर फाइल शेयरिंग नेटवर्क गीगा ट्राइब का इस्तेमाल कर रहा था, जिसके जरिए वह 490 'लाइक माइंडेड' लोगों से जुड़ा हुआ था।

बीते छह महीनों में चाइल्ड पॉर्न से जुड़ा मटीरियल शेयर करने में सबसे आगे अमृतसर, लखनऊ, अलापुझा, त्रिशूर जैसे शहर रहे। सबसे आगे अमृतसर रहा।

आगरा, कानपुर में भी बढ़ी पोर्न के प्रति दिलचस्पी

सरकारी सूत्रों की मानें तो आगरा, कानपुर, बैराकपुर और दीमापुर ऐसे शहर थे, जहां पर छह महीने पहले तक चाइल्ड पॉर्न को लेकर इंटरनेट पर लोगों की कोई दिलचस्पी नहीं पाई गई थी। बावूजद इसके अब ऐसा पोर्न मटीयिरल देखने वालों की तादाद बढ़ी है।

बच्चों से यौन हिंसा में इजाफा

जानकार मानते हैं कि ऑनलाइन चाइल्ड पॉर्न देखने की इच्छा इंटरनेट से दूर असल जिंदगी में यौन हिंसा की प्रवृत्ति से जुड़ी है। सेंटर फॉर प्रिवेंशन एंड हीलिंग ऑफ चाइल्ड सेक्शुअल अब्यूज की विद्या रेड्डी ने की मानें तो प्रत्येक चाइल्ड पॉर्न का वीडियो किसी न किसी बाल यौन शोषण पीड़ित से जुड़ा हुआ है। तकनीक ने चाइल्ड सेक्शुअल अब्यूज से जुड़ी चीजें लोगों को आसानी से उपलब्ध करा दीं।

साइबर लॉ एक्सपर्ट का कहना है कि लोगों को पता ही नहीं कि चाइल्ड पॉर्न देखना या डाउनलोड करना कानूनन अपराध है।

यह है कानून

वर्तमान कानूनों के तहत, ऐसा मटीरियल देखना या शेयर करना गैर जमानती अपराध है। इसमें सात साल की जेल और 10 लाख रुपये की पेनल्टी लग सकती है।

जानकारों का कहना है कि ऑनलाइन चाइल्ड सेक्शुअल अब्यूज को रोकना इतना आसान नहीं है, क्योंकि इसका दायरा काफी दूर तक फैला हुआ है।

कहा जा रहा है कि भले ही कोई शख्स चाइल्ड पॉर्न भारत में देख रहा हो, लेकिन मुमकिन है कि उस वेबसाइट का सर्वर रूस में, पेमेंट साइट स्कॉटलैंड तो ऑस्ट्रिया में वेबसाइट की होस्टिंग हो। ऐसे अपराधों की रोकथाम के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पुलिस में सहयोग जरूरी है।

चाइल्ड पॉर्न की रोकथाम की दिशा में बड़ा कदम

इसी हफ्ते चाइल्ड पॉर्न के रोकथाम की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया गया। केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने एक नैशनल अलायंस बनाने का एलान किया, जो कानूनी एजेंसियों, मंत्रालयों, आईटी एक्सपर्ट्स, इंटरपोल और एनजीओ से गठजोड़ करके चाइल्ड पॉर्न रोकथाम की दिशा में काम करेगा।


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