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Mughal Prince Dara Shikoh: दुनिया के लिए पहेली नहीं बची मुगल शहजादे की कब्र, जिसके भाई ने करवा दी थी हत्या

Mughal Prince Dara Shikoh पुरातत्वविदें की समिति ने दारा शिकोह की कब्र पर अंतिम मुहर भी लगा दी है। कब्र का निरीक्षण करने पहुंची समिति के अधिकतर सदस्यों ने उसी कब्र को दारा की कब्र माना है जिसे निगम अभियंता संजीव कुमार सिंह दारा की कब्र बता रहे थे।

By JP YadavEdited By: Published: Tue, 12 Jan 2021 08:13 AM (IST)Updated: Tue, 12 Jan 2021 08:13 AM (IST)
Mughal Prince Dara Shikoh: दुनिया के लिए पहेली नहीं बची मुगल शहजादे की कब्र, जिसके भाई ने करवा दी थी हत्या
अब निरीक्षण की भी रिपोर्ट लगाई जाएगी।

नई दिल्ली [वीके शुक्ला]। मुगल शहजादे दारा शिकोह की कब्र दुनियाभर के पुरातत्वविदें के लिए अब पहेली नहीं बची है। पुरातत्वविदें की समिति ने इस पहेली को सुलझाने के साथ ही दारा शिकोह की कब्र पर अंतिम मुहर भी लगा दी है। कब्र का निरीक्षण करने पहुंची समिति के अधिकतर सदस्यों ने उसी कब्र को दारा की कब्र माना है, जिसे निगम अभियंता संजीव कुमार सिंह दारा की कब्र बता रहे थे। हालांकि, समिति के सदस्य जमाल हसन इस दावे को ठीक नहीं मान रहे हैं, लेकिन बहुमत के आधार पर कब्र ढूंढ लेने की रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजने का फैसला लिया गया है। समिति के एक सदस्य ने कहा कि जो रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी जा रही है। उसमें जमाल हसन की टिप्पणी भी भेजी जाएगी। निरीक्षण करने के बाद भी समिति इसी निष्कर्ष पर पहुंची है कि मुराद और डानियाल की कब्र के साथ वाली कब्र दारा की है। इससे इन्कार करने का कोई कारण नहीं है। समिति इस बारे में पहले ही भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) को रिपोर्ट सौंप चुकी है। इसमें अब निरीक्षण की भी रिपोर्ट लगाई जाएगी।

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दरअसल समिति की पिछली बैठक में जमाल हसन के विरोध के बाद यह तय हुआ था कि समिति मौका मुआयना करेगी। इसके बाद ही रिपोर्ट को मंत्रालय भेजा जाएगा। इसके तहत सोमवार को समिति ने हुमायूं के मकबरे का निरीक्षण किया। इसमें जमाल हसन का तर्क था कि आलमगीरनामा की बात की जा ही है तो शाहजहांनामा का जिक्र क्यों नहीं किया जा रहा है। उससे भी इस बारे में जानकारी ली जानी चाहिए। इस तर्क पर वह सोमवार को भी कायम रहे।

कब्र ढूंढ़ने का दावा करने वाले निगम अभियंता संजीव कुमार सिंह के साथ इसे लेकर उनकी बहस भी हुई। हुमायूं के मकबरे पहुंचने वालों में समिति के सदस्य डा बी आर मणि, के एन दीक्षित, बी एम पांडेय, इतिहासकार अश्वनी कुमार व एएसआइ के निदेशक (स्मारक) टीजे अलोक भी शामिल थे। डा बी आर मणि का कहना है कि एएसआइ को अब इस रिपोर्ट को बिना किसी देरी के भेज देना चाहिए।

केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने जनवरी 2020 में हुमायूं के मकबरे में दफन दारा शिकोह की कब्र ढूंढ़ने के लिए कमेटी बनाई थी। इस कमेटी में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) से संबंधित पूर्व अधिकारी व देश के बड़े पुरातत्वविद् शामिल हैं। 1659 में दारा शिकोह की हत्या उनके भाई औरंगजेब ने करवा दी थी। इसके बाद से ही दारा शिकोह की कब्र को लेकर तरह-तरह के दावे किए जाते रहे हैं। इस पहली को सुलझाने के लिए भारत सरकार की तरफ से समिति का गठन किया गया था।

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