Court News: दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा- अटकलों पर नहीं, साक्ष्यों पर ही तय होते हैं आरोप, जानें पूरा मामला
Delhi High Court मुख्य आरोपित बेंगलुरू मेट्रो रेल कारपोरेशन का एक कार्यकारी अभियंता था। जांच एजेंसी ने आरोप लगाया था कि चार्टर्ड एकाउंटेंट ने मुख्य आरोपित के अवैध धन को उन कंपनियों और व्यक्तियों की व्यवस्था करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। Delhi High Court: दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि अदालत केवल उनके सामने प्रस्तुत किए गए साक्ष्यों को आधार बनाते हुए ही अभियुक्त के खिलाफ आरोप तय कर सकती है। अदालत केवल अटकलों और संभावनाओं के आधार पर आरोप तय नहीं कर सकती।
न्यायमूर्ति आशा मेनन की पीठ आय से अधिक संपत्ति के मामले में एक चार्टर्ड एकाउंटेंट विनोद कुमार किला के खिलाफ आरोप तय करने वाले निचली अदालत के आदेश के खिलाफ दाखिल याचिका की सुनवाई कर रही थी। पीठ ने निचली अदालत के आदेश को रद कर दिया। ट्रायल कोर्ट ने आरोप तय करते हुए कहा था कि इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है कि अभियुक्तों में से एक व्यक्ति सरकारी गवाह बन सकता है और अदालत को पूरी साजिश का खुलासा कर सकता है।
इस पर पीठ न कहा कि यह तर्क ठीक नहीं है। अदालत के समक्ष केवल सामग्री पर आरोप तय किए जा सकते हैं और अटकलों पर आधारित नहीं हो सकते। अदालत को इस बात पर विचार करना था कि क्या सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज किए गए इकबालिया बयानों सहित सीबीआइ द्वारा भरोसा किए गए आरोपपत्र और दस्तावेजों पर, याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोप तय करने के लिए पर्याप्त आधार थे।
अदालत चार्टर्ड एकाउंटेंट की याचिका पर कार्रवाई कर रही थी, जिसने 2016 के एक आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत एक लोक सेवक द्वारा आपराधिक कदाचार से संबंधित अपराधों के साथ पढ़े जाने वाले भारतीय दंड संहिता के तहत उकसाने के अपराध का आरोप लगाया गया था।
इस मामले का मुख्य आरोपित बेंगलुरू मेट्रो रेल कारपोरेशन का एक कार्यकारी अभियंता था, जिसने अपनी आय के ज्ञात स्त्रोतों से अधिक संपत्ति अर्जित की थी। जांच एजेंसी ने आरोप लगाया था कि चार्टर्ड एकाउंटेंट ने मुख्य आरोपित के अवैध धन को उन कंपनियों और व्यक्तियों की व्यवस्था करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।