कोरोना के कम होते ही सुधर रही देश की अर्थव्यवस्था, गति शक्ति योजना बनेगी मील का पत्थर
कोरोना के बाद पूरे विश्व का आर्थिक समीकरण बदला है। यह भारत के लिए सुअवसर है। उस स्थिति के लिए देश को तैयार करने की दिशा में यह गति शक्ति योजना मील का पत्थर साबित होने वाला है। बात केवल 100 करोड़ रुपये के निवेश तक सीमित नहीं है।
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। ऐसे समय में जब कोरोना की भीषण मानवीय आपदा से सभी देशों की अर्थव्यवस्था गड़बड़ स्थिति में है अमेरिका जैसा शक्तिशाली देश तक इस संकट से जूझ रहा है। उन्हें अपने खर्चों में कटौती करनी पड़ रही है। ऐसे वक्त में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 25 साल आगे के भारत का खांका खिंचते हुए करोड़ों रुपये की अति महत्वकांक्षी "गति शक्ति योजना' की आधारशीला रखी है। "आपदा को भी अवसर' में तब्दील करने की दूरदृष्टि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिखाई है। यह कहना है भाजपा के नेता दीपक गुप्ता का।
उन्होंने कहा कि कोरोना के बाद पूरे विश्व का आर्थिक समीकरण बदला है। यह भारत के लिए सुअवसर है। उस स्थिति के लिए देश को तैयार करने की दिशा में यह गति शक्ति योजना मील का पत्थर साबित होने वाला है। बात केवल 100 करोड़ रुपये के निवेश तक सीमित नहीं है। यह निवेश देश में आधारभूत संरचनाओं के विकास के साथ उससे जुड़े उद्योगों के लिए नए अवसर के द्वार खोलेगा। पर्याप्त रोजगार पैदा होंगे। नए औद्योगिक क्षेत्र विकसित होंगे। सुदूर गांवों तक उद्योगों की पहुंच होगी।
कोरोना के साथ वैश्विक स्तर पर "उद्योगों की खान' चीन से विश्व का मोहभंग हुआ है। वहां से बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपना निवेश वापस निकालने की फिराक में है। इस स्थिति को प्रधानमंत्री ने पहले ही भाप लिया था तथा "मेक इन इंडिया' और "आत्मनिर्भर भारत' की तरफ रुख किया है। उसे गति शक्ति योजना साकार करेगा।
गति शक्ति योजना एक ऐसा ठोस और क्रांतिकारी भरा प्रयास है जिसके माध्यम से गांव तक विकास और रोजगार का ठोस माडल तैयार किया जाएगा। पहली बार 16 मंत्रालयों का एक एक ऐसा समूह बनाया गया है जिनका सीधा वास्ता देश की आधारभूत संरचनाओं से है। इसमें रेलवे, सड़क परिवहन, पोत, आईटी, टेक्सटाइल, पेट्रोलियम, ऊर्जा व उड्डयन जैसे मंत्रालय शामिल हैं।