Coronavirus: दिल्ली में गंदगी फैलाई तो हो सकती है जेल, नगर निगम ने लगाई धारा 376
Coronavirus दिल्ली में सार्वजनिक स्थलों से लेकर होटल रेस्तरां आदि स्थानों अब गंदगी फैलाने से लेकर साफ-सफाई की व्यवस्था न रखने वालों को छह माह की सजा हो सकती है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली के तीनों नगर निगमों ने डीएमसी एक्ट 1957 की धारा 376 को लागू कर दिया है। इसके लागू होते ही सार्वजनिक स्थलों से लेकर होटल, रेस्तरां आदि स्थानों अब गंदगी फैलाने से लेकर साफ-सफाई की व्यवस्था न रखने वालों को छह माह की सजा हो सकती है। इससे बचने के लिए होटल संचालकों को केवल सैनिटाइजर रखने भर से काम नहीं चलेगा बल्कि होटल व रेस्टोरेंट में जब ग्राहक अंदर आए तो पहले उसका हाथ धुलवाना होगा। फिर सैनिटाइजर देना होगा।
उल्लेखनीय है कि डीएमसी एक्ट 1957 की धारा 376 निगम को महामारी रोकने के लिए यह अधिकार देता है। इसका उल्लंघन करने वाले के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) की धारा 188 के तहत मुकदमा दर्ज हो सकता है। इसके तहत दोषी पाए जाने पर छह माह की सजा या जुर्माना अथवा दोनों का प्रावधान है।
ग्राहकों को सैनिटाइजर से हाथ धुलाना जरूरी
उत्तरी दिल्ली से लेकर पूर्वी और दक्षिणी दिल्ली नगर निगम के निगम स्वास्थ्य अधिकारियों ने यह आदेश जारी किए हैं। इस आदेश के तहत कोरोना को महामारी घोषित किया जा चुका है। इसके लिए केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार द्वारा कई तरह के दिशानिर्देश जारी किए गए हैं। निगमों की तरफ से जारी आदेश में कहा गया है कि इन जगहों पर आने वाले ग्राहकों के हाथों पर सिर्फ सैनिटाइजर लगाने से काम नहीं चलेगा बल्कि उनके हाथों को साबुन से धुलवाया जाए और फिर सैनिटाइजर दिया जाए। सैनिटाइजर को लेकर भी विशेष रूप से कहा गया है कि अल्कोहल आधारित सैनिटाइजर का ही प्रयोग किया जाए।
आरडब्ल्यूए ने किया विरोध, कहा फंड की कमी के कारण संभव नहीं
कोरोना को लेकर नगर निगम की ओर से दिए गए आदेश व कार्रवाई की चेतावनी का आरडब्ल्यूए ने विरोध करना शुरू कर दिया है। इस संबंध में उन्होंने निगम के नेताओं व अधिकारियों के समक्ष आपत्ति भी जताई है। ईस्ट दिल्ली आरडब्ल्यूए ज्वाइंट फोरम के अध्यक्ष बीएस वोहरा का कहना है कि कोरोना से बचाव के लिए निगम की सजगता अच्छी चीज है। लेकिन आदेश में आरडब्ल्यूए को भी कहा गया है कि साबुन व पानी से हाथ धुलवाने के बाद सैनिटाइजर की व्यवस्था करें।
इस आदेश का पालन हाउसिंग सोसाइटी में तो किया जा सकता है क्योंकि वहां प्रवेश के एक द्वार होते हैं। लेकिन जो कॉलोनियां छोटे-छोटे और अलग-अलग साइज के प्लॉट पर बसी हैं जिनमें प्रवेश के दर्जनों द्वार हैं, वहां इस तरह की व्यवस्था कैसे की जा सकती है। इसके अलावा कॉलोनी की आरडब्ल्यूए के पास इतना फंड नहीं होता कि वह बड़े स्तर पर इस तरह की व्यवस्था कर सके। अगर इसके लिए निगम फंड उपलब्ध करवाए तो व्यवस्था की भी जा सकती है। मौजूदा फंड में आरडब्ल्यूए के लिए निगम के निर्देशों को लागू करना संभव नहीं है।