coronavirus in Delhi: घटिया गुणवत्ता की पीपीई किट कहीं न बन जाए घातक
मानकों को ताक पर रखकर बनाई जा रही ऐसी किटों को पहनने से लोगों की जान जोखिम में पड़ सकती है। राजधानी के कई इलाकों में ऐसी किटें धड़ल्ले से बनाई जा रही हैं।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। कोरोना वायरस से जारी जंग में पर्सनल प्रोटेक्टिव इक्यूपमेंट (पीपीई) किट का अहम योगदान है। कोरोना योद्धा इसी किट को पहनकर मैदान में डटे हैं। लेकिन, कुछ निर्माता अपने फायदे के लिए घटिया गुणवत्ता की किट बनाकर बाजार में बेच रहे हैं। मानकों को ताक पर रखकर बनाई जा रही ऐसी किटों को पहनने से लोगों की जान जोखिम में पड़ सकती है।
राजधानी के कई इलाकों में ऐसी किटें धड़ल्ले से बनाई जा रही हैं। चूंकि दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में सरकार की ओर से पीपीई किट उपलब्ध कराई जा रही है। ऐसे में अब पीपीई किट निर्माता निजी अस्पताल व गैर सरकारी संगठन से सीधे संपर्क साध रहे हैं। कुछ अस्पतालों में इसी आपूर्ति भी कर चुके हैं। वहीं कई गैर सरकारी संगठन भी कोरोना योद्धाओं, अस्पतालों, निगम कर्मियों और पुलिस कर्मियों को भेंट करने के लिए इन्हीं किटों की खरीदारी कर रहे हैं।
हालांकि इसको लेकर अब चिकित्सक सतर्क हो गए हैं और ऐसी किटों को लेने से पहले उसकी गुणवत्ता को देख रहे हैं। गुणवत्ता गायब राजधानी में बिकने वाली किट महज 250 रुपये में मिल रही है। इसमें फेस शील्ड, ग्लव्स, बॉडी कवर होता है। वहीं कुछ किट में कैप, शू कवर, ग्लव्स, गार्बेज बैग, रबड़ वाला चश्मा भी मिल रहा है। ऐसी किट की कीमत 350 रुपये है।
इन घटिया गुणवत्ता की किट में मानकों का कोई खयाल नहीं रखा जाता है। किट की सिलाई के बाद सिलाई किए गए स्थान पर टेप नहीं लगाई जाती, जबकि बढि़या किट में इसे सिलाई के दौरान सुई से बने निशान तक को सील किया जाता है।
इसके अलावा इनमें सस्ते कपड़े का उपयोग किया जाता है। वहीं मास्क भी मानक के अनुरूप नहीं होते हैं। अगर इस किट को पहनने के बाद कोरोना संक्रमित मरीज का इलाज किया जाएगा तो चिकित्सक के संक्रमित होने का खतरा बढ़ जाएगा।
अच्छी किट की कीमत हजार से बारह सौ रुपयेमानक के अनुरूप बनाए गए पीपीई किट की कीमत एक हजार से लेकर बारह सौ रुपये के बीच होती है। उसके कपड़े स्तरीय, डबल स्तरीय होते हैं। कपड़े को पूरी तरह से कीटाणुरहित किया जाता है। किट में हेड कवर, शील्ड, चश्मा, मास्क, फुल बॉडी, शू कवर व ग्लव्स होते हैं। इसमें सबसे ज्यादा जरूरी यह होता है कि जहां पर सिलाई होती है वहां पर टेप लगा रहता है। ऐसे में यह पूर्णतया सुरक्षित होती है।
कपड़े के बाजार में बन रही किटजहां कपड़े के बाजार जहां हैं वहां पर इस किट के निर्माण की बात सामने आ रही है। सूत्रों का कहना है कि कुछ ऐसे लोग हैं जो कपड़े की सिलाई के कारोबार से जुड़े हुए हैं। लॉकडाउन के दौरान इनका काम बंद हो गया तो ये सस्ते पीपीई किट बनाने में जुट गए।अब नहीं ले रहे सस्ती पीपीई किटएक अस्पताल के चिकित्सक ने बताया कि पहले कई संगठन पीपीई किट दान में देने के लिए आने लगे थे, लेकिन अब हमने यह तय किया है कि वही किट ली जाएगी जो मानक के अनुरूप हो।
संक्रमित मरीज के इलाज के लिए मानक के अनुरूप बनाई गई पीपीई किट पहनना चिकित्सकों के लिए अनिवार्य है। सस्ती किट में कपड़े से लेकर अन्य सुरक्षा उपकरणों की गुणवत्ता के साथ समझौता किया जाता है।डॉ. रमेश दत्ता, वित्त सचिव, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन