Coronavirus: संकट की घड़ी में कविता के माध्यम से समाज में नई प्रेरणा का संचार रहे हैं कवि
Coronavirus वैदिक शोध संस्थान के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर जगदीश प्रसाद सेमवाल ने कविता के माध्यम से कहा कि कविताएं दर्पण की भांति हैं वह समाज की दशा को प्रतिबिंबित करती है।
नई दिल्ली [रितु राणा]। मानव जीवन में काव्य का सबसे अधिक महत्त्व है क्योंकि साहित्य ही मनुष्य के संस्कारों का परिस्कार करता है जिसे काव्य के माध्यम से सरल एवं प्रभावी ढंग से समझाया जा सकता है। हर युग में कवियों द्वारा काव्य लिखा जाता रहा है। वियोग व कष्ट में ही काव्य की रचना होती है। वर्तमान समय में कोरोना के कारण आदमी ने आदमी से दूरी बनानी शुरू कर दी है।
इस विकट परस्थिति में समाज को नई उर्जा देने के लिये इस प्रकार का कविताओं की रचना की जा रही है जिससे समाज को नई चेतना मिल सके। यह बातें संस्कृत अकादमी द्वारा आयोजित ई- संस्कृत काव्य गोष्ठी के दौरान डॉ. जीतराम भट्ट ने कही।
संस्कृत में कविता पाठ
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जुड़कर अकादमी के सचिव डॉ. जीत राम भट्ट ने संस्कृत में कविता पाठ करते हुए कहा कि कोरोना ने व्यक्ति को एक-दूसरे से इतना दूर कर दिया कि कोई कोरोना से पीडि़त व्यक्ति की सेवा करने को भी तैयार नहीं है। इसलिए सभी अपना बचाव स्वयं करें और खुद को स्वस्थ रखें। इस अवसर पर डॉ. रमाकांत शुक्ल ने कविता के माध्यम से कहा कि साहित्य समाज का दर्पण होता है, लेखक की एक बहुत बड़ी जिमेदारी बनती है कि वह ऐसे समय में लोकोपयोगी लिखे। उन्हें अपनी कलम चलाकर लोगों को बताना चाहिए कि केवल सामाजिक दूरी और बार-बार हाथ धोने से ही हम अपना और दूसरों का जीवन बचा सकते हैं।
कविताएं दर्पण की भांति हैं: जगदीश प्रसाद सेमवाल
वहीं, वैदिक शोध संस्थान के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर जगदीश प्रसाद सेमवाल ने कविता के माध्यम से कहा कि कविताएं दर्पण की भांति हैं, वह समाज की दशा को प्रतिबिंबित करती है। आज इस विपरीत परिस्थिति से समाज को बचाने के लिए हमारे कोरोना योद्धा अपनी जान की परवाह न करते हुए डटकर मानव सेवा कर रहे हैं।
इस मौके पर सेंट स्टीफेंस कॉलेज(दिल्ली विवि) के संस्कृत विभाग के अध्यक्ष डॉ. आशुतोश दयाल माथुर, डॉ. बलराम शुक्ल व अकादमी की उपाध्यक्ष डॉ. कांता भाटिया ने भी संस्कृत में कविता पाठ किया। इस कार्यक्रम का प्रसारण अकादमी की वेवसाईट, फेसबुक व ट्विटर पर भी किया गया, जिसके माध्यम से सैकड़ों संस्कृत प्रेमी इस कार्यक्रम से जुड़े।