Move to Jagran APP

दिल्ली में दो मार्च 2020 को आया था कोरोना का पहला मामला, असमय काल के गाल में समा गए 10,910 लोग

एम्स के नर्सिग अधिकारी कनिष्क यादव ने कहा कि पीपीई किट पहनकर घंटों ड्यूटी करना बेहद मुश्किल भरा रहा। खुद के संक्रमित होने का डर भी सता रहा था लेकिन सभी स्वास्थ्य कर्मी एक दूसरे का हौसला बढ़ाते रहे।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Tue, 02 Mar 2021 11:33 AM (IST)Updated: Tue, 02 Mar 2021 11:33 AM (IST)
दिल्ली में दो मार्च 2020 को आया था कोरोना का पहला मामला, असमय काल के गाल में समा गए 10,910 लोग
आखिरकार दिल्ली काफी हद तक यह लड़ाई जीत पाने में सफल रही।

राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। राजधानी में कोरोना का संक्रमण शुरू हुए एक साल हो गए। कोरोना से संघर्ष में दिल्ली में 10,910 लोग असमय काल के गाल में समा गए। किसी ने अपने परिवार का मुखिया खोया तो किसी ने रोजी कमाने वाला। किसी ने बेटा खोया तो किसी ने माता-पिता। बुजुर्गो पर ही कोरोना का कहर सबसे ज्यादा टूटा। लाकडाउन के कारण कई लोगों का रोजगार छूट गया। कामगार घर लौटने को मजबूर हुए, लेकिन दिल्ली के लोगों ने हार नहीं मानी।

loksabha election banner

शुरुआती दौर में कोरोना के संक्रमण को लेकर उत्पन्न स्थिति को याद कर डाक्टर व नर्सिग कर्मचारी सिहर उठते हैं। पिछले साल दो मार्च को ही कोरोना का दिल्ली में पहला मामला आया था। इटली से लौटे एक कारोबारी रोहित दत्ता कोरोना संक्रमित पाए गए थे। इसके बाद संक्रमण बढ़ गया। मार्च में कुल 120 मामले आए और दो मरीज की मौत हुई थी, लेकिन मार्च के अंतिम सप्ताह में निजामुद्दीन स्थित तब्लीगी मरकज की घटना के बाद संक्रमण बढ़ता चला गया।

अप्रैल में मामले 3,395 पर पहुंच गया और मृतकों की संख्या 57 हो गई। इसके बाद जून में 2,269 लोगों ने जान गंवाई। इस दौरान अस्पतालों में भी बेड कम पड़ने लगे थे। इसके बाद जुलाई व अगस्त में मामले कुछ कम हुए, लेकिन दिल्ली अभी संभल भी नहीं पाई थी कि सितंबर व अक्टूबर में संक्रमण दोबारा बढ़ने लगा। नवंबर में कोरोना का संक्रमण चरम पर था। नवंबर में भी सबसे अधिक 2,663 लोगों की मौत हुई। दिसंबर के मध्य से संक्रमण कम होने का सिलसिला शुरू हुआ और इस साल जनवरी व फरवरी में लोगों ने राहत महसूस की।

 

लोकनायक अस्पताल को दिल्ली में सबसे बड़ा कोविड अस्पताल बनाया गया था। जहां 11 हजार से अधिक संक्रमित ठीक हुए। इस अस्पताल के निदेशक डा. सुरेश कुमार ने कहा कि कोरोना के खिलाफ संघर्ष बेहद चुनौतीपूर्ण रहा। हमने अपने कई साथियों को भी गंवाया, लेकिन हौसला नहीं छोड़ा। शुरुआत में डाक्टरों व स्वास्थ्य कर्मियों में भी डर था। उनकी काउंसलिंग की गई।

कोरोना के वार्ड में जिन डाक्टरों व स्वास्थ्य कर्मियों की ड्यूटी लगाई गई उन्हें होटल या किसी दूसरी जगह पर रहने की व्यवस्था की गई। डाक्टर, नर्स व पैरामेडिकल कर्मचारी कई दिनों तक अपने घर नहीं गए, लेकिन सरकार के सहयोग और लोगों द्वारा नियमों का पालन करने से आखिरकार दिल्ली काफी हद तक यह लड़ाई जीत पाने में सफल रही।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.