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LockDown 2.0 : एक दशक की सबसे साफ हवा में सांस ले रहे हैं दिल्ली-NCR के लोग

Coronavirus LockDown 2.0 आलम यह है कि 25 फीसद प्रदूषण कम करने में पांच साल लग गए जबकि लॉकडाउन के महज 21 दिनों में यह लगभग 70 फीसद तक नीचे आ गया है।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 17 Apr 2020 09:33 AM (IST)Updated: Fri, 17 Apr 2020 09:33 AM (IST)
LockDown 2.0 : एक दशक की सबसे साफ हवा में सांस ले रहे हैं दिल्ली-NCR के लोग
LockDown 2.0 : एक दशक की सबसे साफ हवा में सांस ले रहे हैं दिल्ली-NCR के लोग

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। Coronavirus LockDown 2.0 : दुनिया के सर्वाधिक प्रदूषित शहरों में शामिल रहे दिल्ली और एनसीआर के लोग लॉकडाउन के इन दिनों में एक दशक की सबसे साफ हवा में सांस ले रहे हैं। प्रमुख प्रदूषक तत्व पीएम 2.5 अच्छे से सामान्य स्तर पर चल रहा है। आलम यह है कि 25 फीसद प्रदूषण कम करने में पांच साल लग गए, जबकि लॉकडाउन के महज 21 दिनों में यह लगभग 70 फीसद तक नीचे आ गया है। ग्रीनपीस की एक रिपोर्ट मे इस बात की जानकारी दी गई।

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लॉकडाउन के दौरान दिल्ली-एनसीआर की हवा जितनी साफ चल रही है, उतनी साफ हवा इससे पूर्व 2010 में हुए राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान थी। उस समय पीएम 2.5 सामान्य स्तर यानि 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से भी नीचे चल रहा था। याद रहे कि जब दिल्ली में राष्ट्रमंडल खेल हुए थे, तब मानसून खत्म होने को था। स्कूल कॉलेज व अन्य संस्थान भी बंद कर दिए गए थे। पीएम 2.5 उस वक्त 30 से 50 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर के बीच ही था।

गाजियाबाद, दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम में 50 फीसद कम हुआ प्रदूषण पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाली अग्रणी संस्था ग्रीनपीस की एक रिपोर्ट में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) द्वारा उपलब्ध करवाए गए आंकड़ों के आधार पर देश के 14 सबसे प्रदूषित शहरों का आंकलन किया है। इनमें से आधे शहरों में प्रदूषण 50 फीसद से अधिक कम हुआ है। इन शहरों में गाजियाबाद, दिल्ली, नोएडा, गुरुग्राम, ग्रेटर नोएडा, लखनऊ, बुलंदशहर, मुजफ्फरनगर, फरीदाबाद और पलवल भी शामिल हैं। ज्यादातर शहरों में पीएम 2.5 तय मानक 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से भी कम ही रहा है। हालांकि यह अब भी विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के मानक 25 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से साफ नहीं हो सका है।

ग्रीनपीस के अनुसार, हवा में हुए इस बदलाव से साफ पता चलता है कि इंसानी गतिविधियों जैसे ईंधन का प्रयोग, परिवहन और ऊर्जा क्षेत्र आदि का प्रदूषण पर कितना असर पड़ रहा है।


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