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Coronavirus : जानें- क्यों थैलेसीमिया पीड़ितों को Coronavirus से सतर्क रहने की है ज्यादा जरूरत

Coronavirus अगर थैलेसीमिय रोगी को Covid-19 का संक्रमण हो जाए तो परिस्थितयां और भी गंभीर हो सकती हैं।

By JP YadavEdited By: Published: Mon, 06 Apr 2020 07:02 PM (IST)Updated: Tue, 07 Apr 2020 07:09 AM (IST)
Coronavirus : जानें- क्यों थैलेसीमिया पीड़ितों को Coronavirus से सतर्क रहने की है ज्यादा जरूरत
Coronavirus : जानें- क्यों थैलेसीमिया पीड़ितों को Coronavirus से सतर्क रहने की है ज्यादा जरूरत

नई दिल्ली, ऑनलाइन डेस्क। Coronavirus : विश्व समुदाय के लिए सबसे बड़े संकट के रूप में आया कोरोना वायरस (Covid-19) अस्थमा, शुगर, कैंसर के मरीज, दिल के रोगियों और किडनी रोगियों के साथ थैलेसीमिया पीड़ितों के लिए भी गंभीर समस्या बन सकता है।   

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थैलासीमिया रोगियों की जान को खतरा

यहां पर बता दें कि थैलेसीमिया से पीड़ित रोगियों को 15-20 दिनों के दौरान एक खून चढ़ाना पड़ता है। अगर किन्हीं हालात में खून समय पर नहीं मिलता तो रोगियों में एनीमिया की स्थिति बन जाती है और फिर उन्हें इंफेक्शन का खतरा भी बहुत अधिक हो जाता है। ऐसे में हालात में अगर रोगी को Covid-19 का संक्रमण हो जाए तो परिस्थितयां और भी गंभीर हो सकती हैं। जिन बच्चों में तिल्ली का ऑपरेशन हुआ है, तो उनमें तो यह समस्या और भी अधिक विकट है।

रक्तदान करने वालों की कमी भी बड़ी समस्या

दरअसल, कोविड-19 महामारी के चलते इन दिनों रक्त दान शिविर भी नहीं लग रहे हैं। ऐसे में स्वैच्छिक रक्तदाता कोविड-19 के संक्रमण के डर से रक्तदान के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। ऐसे में स्वास्थ्य महकमों को चाहिए कि रक्तदान करने वालों के हितों को ध्यान में रखते हुए कुछ ऐसा प्रबंध करें, जिसे रक्तदाता स्वैच्छिक रक्तदान कर सकें। हालांकि, अभी ऐसा हालात नहीं हैं कि रक्तदाता स्वयं सामने आएं। वहीं, रक्तदाताओं की संख्या में तेजी से कमी आई तो थैलेसीमिया के मरीजों का जीवन खतरे में पड़ सकता है।

थैलेसीमिया वेलफयर सोसायटी के पदाधिकारी डॉ. जेएस अरोड़ा की मानें तो थैलसीमिया रोगियों को दूसरी बड़ी समस्या यह आ रहा है कि उन्हें समय दवाई नहीं मिल रही हैं। उनके मुताबिक, थैलेसीमिया रोगियों में बारबार खून चढ़ाने से शरीर में अतिरिक्त लोहा जमा हो जाता है। ऐसे में इसे निकालना जरूरी है। अतिरिक्त जमा हुए लोहे को निकालने के लिए जो दवा रोज खानी पड़ती हैं। ये दवाइयां या तो अस्पताल से मिलती है या फिर थैलेसीमिया संस्था से मिलती है। दिल्ली में तो रोगी इसे हासिल कर लेते हैं, लेकिन कूरियर वस्वस्था बंद होने के कारण अन्य राज्यों में दवा की बहुत कमी देखी जा रही है। ऐसे में यदि समय पर दवा न मिले तो दिल के रोगियों में लोहा जमा होने पर उसकी जान भी जा सकती है। डॉ. जेएस अरोड़ा की मांग है कि कुछ स्थानों पर सीमित रक्तदान शिविर लगाने की अनुमति दी जाए।

 

यह भी जानिए 

कोरोना वायरस संक्रमण किस तरह महामारी का रूप ले चुका है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अब तक दुनिया में 12,50,000 से अधिक और भारत में 4000 से अधिक लोग इस वाइरस से प्रभावित हो चुके हैं। इसी के साथ 67,000 से अधिक लोग इससे अपनी जान गवां चुके हैं।


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