कलाकारों ने तस्वीरों में उकेरी कोरोना योद्धाओं की कहानी, देखते ही नम हो गई आंखें
महामारी के दौर में कोरोना वॉरियर्स की दुरूह जिंदगी की व्यथा जब कलाकारों के कुचो से कैनवास पर उतरी तो देखने वालों की आंखे नम हो गई।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। यह मुश्किलों भरा दौर है। पूरे देश में लॉकडाउन है। सभी लोग अपने घर की दहलीज के अंदर हैं। लेकिन इस दौरान कोरोना वॉरियर्स अपनी जान जोखिम में डालकर अपने कर्तव्यों का पालन कर रहे हैं। वो कई रातों से सोये नहीं, कई दिनों से अपने घर नहीं गए हैं। अपनों से फोन पर भी ठीक से बात नहीं हो पा रही है।
महामारी के दौर में कोरोना वॉरियर्स की दुरूह जिंदगी की व्यथा जब कलाकारों के कुचो से कैनवास पर उतरी तो देखने वालों की आंखे नम हो गई। भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आइसीसीआर) ने अप्रैल से शुरू कोरोना के खिलाफ एकजुट कलाकार प्रतियोगिता के तहत मिली प्रविष्टियों को अपनी वेबसाइट पर प्रदर्शित किया है। इसमें देश-विदेश के कलाकारों ने महामारी के दौर में बनाई गई अपनी कलाकृतियां भेजी।
आइसीसीआर के पदाधिकारी ने बताया कि बड़ी संख्या में देश-विदेश से कलाकार अपनी प्रविष्टियां भेज रहे हैं। कलाकार वशिष्ठ की असली सुपरहीरो शीर्षक से भेजी गई कलाकृति महामारी के दौर में डॉक्टरों में सुपरहीरो की झलक दिखलाती है। कलाकार टीना की कलाकृति भी इसी भाव को प्रदर्शित करती है। कलाकृति में भारत को कोरोना की बेड़ियों में जकड़ा दिखाया गया है। जिसके अंदर डॉक्टर अपने दायित्व का निर्वाहन कर रहे हैं। मास्क पहने लोग सामान्य जिंदगी का परिचय दे रहे हैं।
सेना के जवान को कोरोना वायरस को मारते दिखाया गया है। अन्वी सक्सेना ने अपनी कलाकृति के जरिए कहा है कि कोरोना, माना कि तुम बहुत स्ट्रांग हो लेकिन भारत आकर तुमने गलती कर दी। हम भले ही शारीरिक दूरी का पालन कर रहे हैं, लेकिन हमारे दिल एक दूसरे से जुड़े हैं। इस कलाकृति में स्टे होम का भी संदेश है। दीपक कलाकृति में कोविड-19 के प्रभावों को दर्शाते हैं। कलाकृति में एक तरफ तो घरों में कैद लोगों को दिखाया गया है, तो दूसरी तरफ साफ पर्यावरण व स्वच्छ नदी दिखाई गई है।