Coroanvirus LockDown: कुत्तों के व्यवहार में क्यों आ रहा बदलाव, बता रहे हैं डॉ. एमएल शर्मा
Coroanvirus LockDown विपरित स्थिति में मनुष्यों की तरह कुत्तों में एड्रिलाइन नामक हार्मोन का स्त्राव होता है जिससे वह चिड़चिड़ा हो जाता है।
नई दिल्ली [सुधीर कुमार]। Coroanvirus LockDown: कुत्ता सामुदायिक प्राणी है। जिस तरह के माहौल में इंसान रहता है। ठीक उसी तरह कुत्ते भी रहते हैं। उनका आशियाना एक मोहल्ला या एक गली भी हो सकता है। वह अपना बड़ा घेरा पेशाब करके बना लेते हैं और इस दायरे में अन्य कुत्तों को प्रवेश नहीं करने देते हैं। जिस तरह इंसान एक समाज में रहता है भले ही वह मोहल्ले के सभी लोगों से न मिले लेकिन वह अपने पड़ोस में लोगों को देख लेता है तो मन को संतुष्टि हो जाती है। वही स्थिति कुत्तों की होती है। यह कहना है पूर्वी दिल्ली नगर निगम में लंबे समय तक पशु चिकित्सक के रूप में कार्यरत पूर्वी दिल्ली नगर निगम के वेटनरी विभाग के पूर्व उपनिदेशक डॉ. एमएल शर्मा का।
वह कहते हैं कि जिस तरह इंसान समाज के कट जाने पर बेचैन हो उठता है, उसी तरह कुत्ते भी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं। कुत्तों की देखने और सूंघने की क्षमता बहुत ज्यादा होती है। रात में भी वह दूर तक देख सकते हैं। जब सड़कों पर सामान्य चहल- पहल रहती है तो वह उनकी रोजमर्रा का हिस्सा बन जाती है, लेकिन लॉकडाउन में सब कुछ अचानक बदल गया है। जिससे कुत्ते यह समझ नहीं पा रहे हैं यह क्या हुआ। इतना खाली-खाली क्यों है।
विपरित स्थिति में मनुष्यों की तरह कुत्तों में एड्रिलाइन नामक हार्मोन का स्त्राव होता है, जिससे वह चिड़चिड़ा हो जाता है। अभी भूख व सूनापन दोनों ही वजह से इस हार्मोन का स्त्राव ज्यादा हो रहा है। हर कुत्ते में इसकी मात्रा अलग-अलग स्तर पर होती है। अभी बदली हुई स्थिति में कुत्ते ओवर रिएक्ट कर रहे हैं। खाने के सारे स्त्रोत खत्म हो गए हैं कुत्तों के कुत्तों के खाने के बड़े स्त्रोत मांस व मछली की दुकानें, ढ़ाबे व रेस्टोरेंट के बचे सामान आदि होते थे। यहां तक कि भूख लगने पर वह कच्ची सब्जी तक खा लेते हैं, लेकिन मूल स्त्रोत बंद हो गए।
इसके अलावा कुछ लोग इन्हें खाना देने घरों से भी निकलते थे, वह भी बंद हो गए हैं। इस कारण भी वह परेशान हैं। मांस की दुकानें बंद हो गईं हैं। होटल वाले रेस्टोरेंट रेहड़ी खेमचे, कच्चा सब्जी भी खा लेते हैं। वह भी अब नहीं मिल पा रहा। इनके लिए खाने व पानी का इंतजाम करना होगा कुत्तों के लिए खाने व पानी का इंतजाम करने की जरूरत है। इसके लिए समाज के लोगों को आगे आना चाहिए। उनके लिए किसी जगह खाना व पानी रख देना चाहिए। जिनके आसपास कुत्ते हैं उन्हें खाना देना चाहिए।
कुछ समाज सेवी कुत्तों की देखभाल करने का विशेष तरीके का संदेश बनाकर भी सोशल मीडिया पर वायरल कर रहे हैं। जिसमें कहा जा रहा है मेरी भी चिंता करो। लॉकडाउन के बाद भी इनके स्वभाव में परिवर्तन आएगाअभी कुत्ते नई परिस्थिति में खुद को स्थापित कर रहे हैं। कुछ दिनों में वह इस माहौल में रहने के आदी हो जाएंगे, तब इनका चिड़चिड़ापन सड़कें व मोहल्ले सुनसान होने की वजह से नहीं होगा उन्हें यह लगने लगेगा कि पूरी सड़क और पूरा मोहल्ला उन्हीं का है। जब लॉकडाउन खत्म होगा और लोगों की चहल पहल बढ़ेगी तब फिर उनके स्वभाव में बदलाव आएगा।