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दिल्ली-NCR में नेत्र प्रत्यारोपण के लिए ड्रोन से लाया जाएगा कार्निया, जानिए कब से मिलेगी सुविधा

कॉर्निया को एक शहर से दूसरे शहर में ले जाने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जा सकेगा। एम्स और आइआइटी दिल्ली ने इस योजना पर मिलकर काम करने का निर्णय लिया है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Tue, 03 Sep 2019 10:29 PM (IST)Updated: Tue, 03 Sep 2019 10:29 PM (IST)
दिल्ली-NCR में नेत्र प्रत्यारोपण के लिए ड्रोन से लाया जाएगा कार्निया, जानिए कब से मिलेगी सुविधा
दिल्ली-NCR में नेत्र प्रत्यारोपण के लिए ड्रोन से लाया जाएगा कार्निया, जानिए कब से मिलेगी सुविधा

नई दिल्ली, जेएनएन। अंगदान में मिले दिल व लिवर को विमान से एक शहर से दूसरे शहर में ले जाकर प्रत्यारोपण की बात अब सामान्य हो चली है। आने वाले दिनों में इस काम के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जा सकता है। खासतौर पर कॉर्निया को एक शहर से दूसरे शहर में ले जाने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया जा सकेगा।

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एम्स और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी ) दिल्ली ने इस योजना पर मिलकर काम करने का निर्णय लिया है। यह योजना एक साल में धरातल पर उतरने की डॉक्टर उम्मीद जता रहे हैं। शोध को बढ़ावा देने के लिए एम्स व आइआइटी दिल्ली के बीच समझौता हुआ है।

पहले दिल्ली-एनसीआर में किया जाएगा शुरू
पायलट परियोजना के तौर पर इसकी शुरुआत में एनसीआर के शहरों में कॉर्निया एक जगह से दूसरी जगह ले जाने में ड्रोन का इस्तेमाल होगा। एनसीआर में यदि यह प्रयोग सफल होता है, तो भविष्य में हरियाणा, राजस्थान व उत्तर प्रदेश के कई शहरों से कॉर्निया लाने में इसका इस्तेमाल हो सकता है। इससे अस्पतालों के बीच एक बेहतर नेटवर्क स्थापित होगा।

कॉर्निया प्रत्यारोपण की जरूरत के मुताबिक नहीं हो पा रहा नेत्रदान 
एम्स के आरपी सेंटर के कॉर्निया प्रत्यारोपण सर्जन व राष्ट्रीय नेत्र बैंक (एनईबी) के अध्यक्ष डॉ. जीएस तितियाल ने कहा कि देश में पहले के मुकाबले नेत्रदान बढ़ा है। फिर भी कॉर्निया प्रत्यारोपण की जरूरत के मुताबिक नेत्रदान नहीं हो पा रहा है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने आरपी सेंटर से एक सर्वे कराया है, जिसके आंकड़े अभी जारी नहीं हुए हैं।

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इस सर्वे में यह बात सामने आई है कि कॉर्निया की खराबी आंखों की रोशनी जाने का दूसरा बड़ा कारण है। हर साल करीब एक लाख लोगों को कॉर्निया प्रत्यारोपण कराने की जरूरत होती है, जबकि औसतन 26 हजार ही हो पा रहा है। इससे नेत्र प्रत्यारोपण के लिए जरूरतमंद मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है।

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