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नेता प्रतिपक्ष के खिलाफ सदन की अवमानना का प्रस्ताव पास, किया जा सकता है तलब

दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता के खिलाफ सदन की अवमानना का प्रस्ताव पास किया है। विजेंद्र गुप्ता को तलब किया जा सकता है।

By Amit MishraEdited By: Published: Tue, 08 Aug 2017 08:44 PM (IST)Updated: Tue, 08 Aug 2017 09:46 PM (IST)
नेता प्रतिपक्ष के खिलाफ सदन की अवमानना का प्रस्ताव पास, किया जा सकता है तलब
नेता प्रतिपक्ष के खिलाफ सदन की अवमानना का प्रस्ताव पास, किया जा सकता है तलब

नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। विधानसभा की कमेटियों को भंग करने का बयान देने पर सदन ने नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता के खिलाफ सदन की अवमानना का प्रस्ताव पास किया है। सत्ता पक्ष की ओर से लाए गए प्रस्ताव के आधार पर विधानसभा अध्यक्ष ने मामले को जांच के लिए विशेषाधिकार कमेटी के पास भेज दिया है। विजेंद्र गुप्ता को तलब किया जा सकता है। दोषी पाए जाने पर कमेटी कार्रवाई की सिफारिश भी कर सकती है।

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कमेटियों को भंग करने की बात 

सत्ता पक्ष के अनुसार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने मीडिया से कहा था कि विधानसभा की कमेटियां असंवैधानिक तरीके से बनाई गई हैं, इसलिए इन्हें भंग कर देना चाहिए। उन्होंने भारत सरकार के सॉलीसिटर जनरल संजय जैन की उपराज्यपाल को दी गई राय का भी जिक्र किया, जिसमें उन्होंने कमेटियों को भंग करने की बात कही है।

अधिकारियों को धमकाने के लिए कमेटियों का गठन

इस पर नाराजगी जताते हुए सत्ता पक्ष ने विधानसभा में चर्चा कराई। विशेषाधिकार कमेटी के अध्यक्ष मदनलाल ने कहा कि नेता प्रतिपक्ष कमेटियों को किस आधार पर भंग करने की बात कह रहे हैं। उन्होंने किस आधार पर 2 अगस्त को इस बारे में उपराज्यपाल को पत्र लिखा है? कानून के अनुसार विधानसभा का गठन हुआ है तो कमेटियां गैरकानूनी कैसे हो गईं? उन्होंने नेता प्रतिपक्ष के उस बयान पर भी आपत्ति जताई, जिसमें कहा गया है कि अधिकारियों को धमकाने के लिए कमेटियों का गठन किया गया है।

कमेटियों का बने रहना क्यों जरूरी है

चर्चा में विधानसभा के सदस्य सौरभ भारद्वाज, विशेष रवि, ऋतुराज गोविंद व राजेश गुप्ता ने भी विचार रखे। उन्होंने विजेंद्र गुप्ता के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। नेता प्रतिपक्ष का पद वापस लिए जाने की भी मांग की। सदस्यों ने यह भी बताया कि विधानसभा की कमेटियों का बने रहना क्यों जरूरी है? उन्होंने नेता प्रतिपक्ष के बयान को सदन की अवमानना बताया। चर्चा के अंत में सौरभ भारद्वाज ने मामले को विशेषाधिकार कमेटी के पास भेजने का प्रस्ताव रखा, जो संख्याबल के आधार पर पास हो गया। 

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