Lockdown 2021 Extension: लॉकडाउन और बारिश ने बढ़ाई दिल्ली के लाखों दुकानदारों की चिंता
दुकानदारों ने कहा कि दिल्ली में लॉकडाउन के चलते वे दुकानों को नहीं जा पा रहे हैं। ऐसे में दुकानों के साथ छतों की सफाई नहीं हो रही है। छतों की सफाई नहीं हो रही है तो उस पर बारिश का पानी जमा होने का अंदेशा है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। लगातार तीन दिनों से हो रही बारिश ने आम लोगों के साथ-साथ दुकानदारों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। खासकर गर्मी के मौसम के दौरान बारिश ने दिल्ली के लोगों को राहत तो दी है, पर दुकानदारों की चिंता बढ़ा दी है, क्योंकि छतों पर बारिश का पानी जमा होने से दुकानों में रखे सामानों के खराब होने का संकट है। दुकानदारों ने चिंता जताते हुए कहा कि एक माह से दिल्ली में लॉकडाउन लगा हुआ है। तब से वे अपने दुकानों को नहीं जा पा रहे हैं। ऐसे में दुकानों के साथ छतों की सफाई नहीं हो रही है। छतों की सफाई नहीं हो रही है तो उस पर बारिश का पानी जमा होने का अंदेशा है।
ऐसे में बृहस्पतिवार को जब बारिश से राहत मिली तो कुछ दुकानदार छतों की सफाई करने पहुंच गए। खासकर, पुरानी दिल्ली के बाजारों की बहुमंजिला इमारतें पूरी तरह से व्यावसायिक हो गई है। इसमें सभी तल में दुकानें मौजूद हैं।
फेडरेशन ऑफ सदर बाजार ट्रेडर्स एसोसिएशन के महामंत्री राजेंद्र शर्मा ने कहा कि यह गनीमत रही कि बारिश हल्की ही होती रही, अन्यथा सड़क से पानी दुकानों में भरने का अंदेशा था। इस बारिश में कुछ ही दुकानों में पानी घुसने की शिकायत मिली। अधिक मामले छत से पानी रिसने की रहीं।
व्यापारियों की दुकानें सील न करे निगम : AAP
वहीं, आम आदमी पार्टी के वरिष्ठ नेता दुर्गेश पाठक ने कहा है कि एक महीने से लॉकडाउन लगा है। इस वजह से दुकानें खुली नहीं हैं। ऐसे में यदि कोई व्यापारी पैसे नहीं दे पा रहा है, तो निगमों द्वारा दुकानों को सील किया जा रहा है। छोटे और मझोले व्यापारियों पर इसकी सबसे ज्यादा मार पड़ रही है।
दुर्गेश पाठक ने कहा कि पहले ट्रेड लाइसेंस बनाने के लिए नगर निगम को 500 से 1000 रुपये देने पड़ते थे, लेकिन आज 6000 से 15,000 तक देने पड़ रहे हैं। इसे साथ ही निगम उनसे दो फीसद ट्रांजेक्शन शुल्क भी ले रहे हैं। इसी तरह पहले जो फैक्ट्री लाइसेंस 5000 से 15,000 रुपये में बन जाते थे। उसे बनवाने और नवीनीकरण कराने के लिए 50 हजार से करीब 1.5 लाख तक लिए जा रहे हैं। एमसीडी फैक्टि्रयों से कूड़ा उठाने के लिए भी शुल्क ले रहा है। आर्थिक संकट को देखते हुए पाठक ने नगर निगमों से जुर्माना व दुकानों को सील किए जाने की कार्रवाई नहीं करने की मांग की है।