एक सप्ताह से ठप पड़ा है दिल्ली में कांग्रेस का चुनाव प्रचार, दुविधा में कार्यकर्ता
आम आदमी पार्टी (AAP) से गठबंधन के चक्कर में नेता ही नहीं कार्यकर्ता भी असमंजस में चल रहे हैं। कांग्रेस की ओर से न कोई बड़ी जनसभा रखी जा रही है और न ही कोई रैली।
नई दिल्ली, जेएनएन। लोकसभा चुनाव 2019 की उल्टी गिनती शुरू हो जाने के बावजूद दिल्ली में कांग्रेस का चुनाव प्रचार पिछले करीब एक सप्ताह से ठप पड़ा है। न कोई बड़ी जनसभा रखी जा रही है और न ही कोई रैली। आम आदमी पार्टी (AAP) से गठबंधन के चक्कर में नेता ही नहीं, कार्यकर्ता भी असमंजस में हैं। पिछले सोमवार को इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में हुए बूथ कार्यकर्ता सम्मेलन के बाद प्रदेश कांग्रेस की ओर से कोई भी बड़ा चुनावी कार्यक्रम नहीं रखा गया।
प्रदेश कार्यालय में ही या तो छोटी-मोटी बैठक हो जाती है या फिर दूसरी पार्टियों के कुछ लोगों को कांग्रेस में शामिल करा लिया जाता है। इसके अतिरिक्त कुछ नहीं। यहां तक कि अभी तक न तो पार्टी का कोई चुनावी एजेंडा तैयार हुआ है और न ही प्रचार अभियान का प्रारूप।
दरअसल, गठबंधन की संभावनाओं के मद्देनजर सभी इस सोच के साथ फिलहाल हाथ पर हाथ धरे बैठे हैं कि पहले कुछ फाइनल हो जाए, उसके बाद ही आगे की रूपरेखा की जाए। लोकसभा चुनाव से संबद्ध एक समिति के अध्यक्ष ने बताया कि पहले यह तो तय हो जाए कि चुनाव कितनी सीटों पर लड़ा जाना है, चुनाव अकेले लड़ा जाना है या गठबंधन में।
तस्वीर साफ होने पर ही पार्टी आगे कोई कदम बढ़ाएगी। दिनभर रहा राहुल गांधी के बुलावे का इंतजार AAP से गठबंधन पर सारी रूपरेखा तैयार हो चुकी है। साथ ही पूर्व में गठबंधन का विरोध जताते रहे प्रदेश इकाई के नेताओं के साथ प्रदेश प्रभारी पीसी चाको की बैठक भी हो चुकी है।
शक्ति एप के जरिये कार्यकर्ताओं की रायशुमारी की रिपोर्ट भी तैयार है। अंतिम निर्णय के लिए अब बस पार्टी आलाकमान राहुल गांधी के साथ एक बैठक होनी है। चाको ने उनसे बैठक के लिए समय भी मांगा हुआ है। रविवार को दिनभर चाको व प्रदेश अध्यक्ष शीला दीक्षित इस बैठक के लिए राहुल के बुलावे का इंतजार करते रहे, लेकिन बुलावा आया नहीं। अब उम्मीद जताई जा रही है कि गठबंधन की यह बैठक सोमवार को हो सकती है।
पूर्वांचली कार्यकर्ताओं में नाराजगी दूसरी तरफ कांग्रेस के पूर्वाचली कार्यकर्ताओं में आप के साथ संभावित गठबंधन को लेकर खासी नाराजगी देखने को मिल रही है। इनका कहना है कि पार्टी में पूर्वांचल की बार-बार उपेक्षा की जा रही है। पहले तो पूर्वांचल के किसी नेता को कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में सम्मान नहीं दिया गया और अब गठबंधन के तहत पश्चिमी दिल्ली लोकसभा सीट से पूर्वांचली दावेदारी को भी झटका लगने के आसार बन रहे हैं।
मालूम हो कि इस सीट पर पूर्वांचली नेता पूर्व सांसद महाबल मिश्रा दावेदारी ठोक रहे हैं। इन सूरते हाल पूर्वांचली कांग्रेसी भाजपा के समर्थन में भी अपना समर्थन कर सकते हैं। नाम न छापने के अनुरोध पर पूर्वाचल के कई कांग्रेसी नेताओं ने इस स्थिति को लेकर इस तरह की प्रतिक्रिया भी जाहिर की है।