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दिल्ली में ये तीन सीटें बनीं कांग्रेस के लिए मुसीबत, उम्मीदवार तय करने में छूट रहे पसीने

आम आदमी पार्टी (आप) से गठबंधन की गफलत में तीन लोकसभा क्षेत्रों में चुनाव से पूर्व ही प्रदेश कांग्रेस के पसीने छूट रहे हैं।

By Mangal YadavEdited By: Published: Mon, 15 Apr 2019 04:12 PM (IST)Updated: Mon, 15 Apr 2019 04:12 PM (IST)
दिल्ली में ये तीन सीटें बनीं कांग्रेस के लिए मुसीबत, उम्मीदवार तय करने में छूट रहे पसीने
दिल्ली में ये तीन सीटें बनीं कांग्रेस के लिए मुसीबत, उम्मीदवार तय करने में छूट रहे पसीने

नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। आम आदमी पार्टी (आप) से गठबंधन की गफलत में तीन लोकसभा क्षेत्रों में चुनाव से पूर्व ही प्रदेश कांग्रेस के पसीने छूट रहे हैं। लगातार बैठकें करने के बावजूद पार्टी इन सीटों से उम्मीदवारों के नाम तय नहीं कर पा रही है। प्रदेश अध्यक्ष शीला दीक्षित और ओलंपियन सुशील कुमार का नाम भी चयन प्रक्रिया की फांस बन गया है।

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बृहस्पतिवार को संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी और कांग्रेस आलाकमान राहुल गांधी की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) की बैठक में नई दिल्ली से पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन, चांदनी चौंक से पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल, उत्तर पूर्वी दिल्ली से पूर्व सांसद जयप्रकाश अग्रवाल और उत्तर पश्चिमी दिल्ली से पूर्व मंत्री राजकुमार चौहान के नाम पर मुहर लगा दी गई। हालांकि, तीन सीटों पर चार दिन बाद भी उहापोह की स्थिति है।

उम्मीदवारों के चयन में यह आ रही समस्या

आलाकमान चाहते हैं कि पूर्वी दिल्ली से शीला दीक्षित चुनाव लड़ें। निस्संदेह वह मजबूत उम्मीदवार हैं और उनके मैदान में आने से दिल्ली की शेष छह सीटों पर भी पार्टी उम्मीदवारों को बढ़त मिलना तय है, लेकिन शीला यहां से इस बार भी दो बार सांसद रह चुके अपने बेटे संदीप दीक्षित को चुनाव लड़ाना चाहती हैं ,जबकि संदीप हैं कि दिल्ली से लड़ना ही नहीं चाहते। मां-बेटे की इसी कशमकश में पार्टी भी निर्णय नहीं ले पा रही।

दक्षिणी दिल्ली से पूर्व सांसद रमेश कुमार की दावेदारी थी, लेकिन सिख दंगा दोषी सज्जन कुमार के भाई होने के कारण इनके नाम पर सीईसी की बैठक में आपत्ति आ गई। पार्टी ने इस सीट से गुर्जर नेता व एआइसीसी सदस्य ओमप्रकाश विधूड़ी को उम्मीदवार बनाना चाहा, लेकिन उन्होंने यह कहकर इनकार कर दिया कि अब इतने कम समय में चुनाव लड़ना बहुत मुश्किल होगा। एक नाम वरिष्ठ पार्टी नेता चतर सिंह का भी सामने आया, लेकिन उनके नाम पर सहमति नहीं बन रही। एआइसीसी प्रवक्ता रागिनी नायक को उम्मीदवार बनाने पर विचार किया गया, लेकिन रागिनी ने यह कहते हुए इनकार कर दिया कि वह उत्तर पूर्वी दिल्ली से ही रुचि रखती हैं, दक्षिणी दिल्ली से नहीं।

पश्चिमी दिल्ली सीट पर ओलंपियन सुशील कुमार ने पेच फंसा दिया है। इस सीट पर सर्वाधिक प्रबल दावेदारी पूर्व सांसद और दिल्ली से पार्टी के इकलौते पूर्वांचली नेता महाबल मिश्र की है,लेकिन बापरौला में रहने वाले सुशील कुमार भी इसी सीट से लड़ना चाह रहे हैं। चूंकि सुशील का नाम सीईसी की बैठक में सीधे आलाकमान ने लिया है, ऐसे में उन्हें दरकिनार करना भी आसान नहीं है।

एक समीकरण यह भी बना कि महाबल को दक्षिणी दिल्ली से, जबकि सुशील को पश्चिमी दिल्ली से उम्मीदवार बना दिया जाए, लेकिन इसके लिए महाबल तैयार नहीं हो रहे। दूसरे समीकरण के तहत दक्षिणी दिल्ली से सुशील को और पश्चिमी दिल्ली से महाबल को ही टिकट देने की सोच है, लेकिन सुशील भी पश्चिमी दिल्ली पर अड़े हैं।

बदले सियासी समीकरणों में आप-कांग्रेस गठबंधन होने के आसार फिर से बनने लगे हैं। दोनों पार्टियों के नेताओं के बयान में सकारात्मक रुख भी साफ नजर आ रहा है। अगर यह गठबंधन हुआ तो तीनों सीटें आप के खाते में चली जाएंगी। जिन चार सीटों पर कांग्रेस के उम्मीदवार तय कर दिए गए हैं, उनमें से हल्का बदलाव यह होगा कि उत्तर पूर्वी सीट भी आप को दे दी जाएगी और वहां से उम्मीदवार जयप्रकाश अग्रवाल को कपिल सिब्बल की जगह चांदनी चौक से चुनाव लड़ाने का मामला बन सकता है।

सिब्बल की कभी हां, कभी ना

चांदनी चौक से पार्टी उम्मीदवार पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल अभी भी उलझन में हैं कि वह चुनाव लड़ें या नहीं। पार्टी सूत्रों के मुताबिक गठबंधन नहीं होने की सूरत में दो दिन पहले ही उन्होंने चुनाव लड़ने में अनिच्छा जाहिर कर दी। अब जबकि गठबंधन की संभावनाएं फिर से बन रही हैं तो उनके मन में चुनाव लड़ने की इच्छा फिर जागृत हो गई है। इससे पार्टी के आला नेता और कार्यकर्ता दोनों दुविधा में हैं।


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