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'प्रदूषण से निपटने के लिए आपातकालीन योजना लाए दिल्ली सरकार, लोगों को मिले राहत'

शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा कि दिल्ली सरकार का यह दावा झूठा है कि पड़ोसी राज्यों हरियाणा तथा पंजाब में पराली जलाने के कारण यहां वायु प्रदूषण बढ़ रहा है।

By Edited By: Published: Tue, 23 Oct 2018 09:29 PM (IST)Updated: Tue, 23 Oct 2018 09:43 PM (IST)
'प्रदूषण से निपटने के लिए आपातकालीन योजना लाए दिल्ली सरकार, लोगों को मिले राहत'
'प्रदूषण से निपटने के लिए आपातकालीन योजना लाए दिल्ली सरकार, लोगों को मिले राहत'

नई दिल्ली, जेएनएन। प्रदेश कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता शर्मिष्ठा मुखर्जी ने दिल्ली सरकार से मांग की है कि प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए जल्द आपातकालीन योजना तैयार करें ताकि लोगों को राहत मिल सके। उन्होंने असहनीय प्रदूषण स्तर के लिए भी दिल्ली सरकार को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में प्रदूषण इस कदर बढ़ गया है कि वह प्रतिदिन कई लोगों की जान ले लेता है क्योंकि सांस व फेफड़ों की बीमारी बढ़ रही है।

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जारी है आरोप-प्रत्यारोप का दौर 
प्रदेश कार्यालय में मंगलवार को पत्रकार वार्ता में शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा कि दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण के लिए सबसे ज्यादा यातायात तथा उद्योग धंधों का योगदान है। भलस्वा लैंडफिल साईट पर लगी आग के कारण आसपास के क्षेत्रों में लोगों का जीना मुश्किल हो गया है। भाजपा व 'आप' बढ़ते प्रदूषण की जिम्मेदारी लेने की बजाए एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप में लगी रहती हैं। पत्रकार वार्ता में उनके साथ वरिष्ठ नेता चतर सिंह भी मौजूद थे।

झूठा है दिल्ली सरकार का दावा 
शर्मिष्ठा ने कहा कि दिल्ली सरकार का यह दावा झूठा है कि पड़ोसी राज्यों हरियाणा तथा पंजाब में पराली जलाने के कारण यहां वायु प्रदूषण बढ़ रहा है। सर्दी में पीएम 2.5 प्रदूषण का मुख्य स्त्रोत 28 फीसद यातायात है, जबकि उद्योग धंधे 30 फीसद प्रदूषण बढ़ाने में योगदान करते है। 14 फीसद प्रदूषण घरों तथा कृषि क्षेत्र व कूड़ा जलाने के कारण बढ़ता है। इसी प्रकार 17 फीसद मिट्टी, रोड तथा निर्माण कायरें के कारण होता है। दूसरे स्त्रोत केवल 11 प्रतिशत प्रदूषण बढ़ाने के कारक है। इसी तरह सर्दियों में पीएम 10 के प्रदूषण स्तर को बढ़ाने में यातायात 24 फीसद, उघोग धंधे 27 फीसद, कचरा जलाने से 13 फीसद तथा धूल से 13 फीसद प्रदूषण बढ़ता है।

पराली पर पॉलिटिक्स 
कांग्रेस नेता ने आकड़ों का जिक्र करते हुए कहा कि पराली जलाने के कारण कुल प्रदूषण में केवल 11 फीसद का योगदान दिल्ली में होता है जो केवल 15-20 दिनों की अवधि के लिए ही होता है। उसमें भी भाजपा शासित हरियाणा का योगदान सबसे ज्यादा है। उन्होंने कहा कि पराली जलाने की जगहों में हरियाणा में केवल 3.37 फीसद की कमी आई है जबकि कांग्रेस शासित पंजाब में 45.82 फीसद की कमी दज र्की गई है।


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