जो कांग्रेस उम्मीदवार पार्टी में ही पहचान नहीं रखते, वे जनता का वोट भला कैसे पाते!
प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा और वरिष्ठ नेता मुकेश शर्मा सहित अनेक नेताओं ने इस दौरान अपने विचार रखे और पार्टी को मजबूत करने के लिए सुझाव भी दिए।
नई दिल्ली, संजीव गुप्ता। प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुभाष चोपड़ा ने गत रविवार की शाम विधानसभा चुनाव लड़े सभी पार्टी के उम्मीदवारों के साथ चाय पर मिलने का कार्यक्रम रखा। नेशनल स्पोर्ट्स क्लब ऑफ इंडिया में हुए कार्यक्रम में सभी तो नहीं पहुंचे, लेकिन करीब 50 फीसद उम्मीदवार यहां इकट्ठा हुए। खैर, यहां चोपड़ा और वरिष्ठ नेता मुकेश शर्मा सहित अनेक नेताओं ने इस दौरान अपने विचार रखे और पार्टी को मजबूत करने के लिए सुझाव भी दिए। लेकिन इस कार्यक्रम में नए उम्मीदवारों द्वारा अपना परिचय देने की बात सर्वाधिक खटकी।
मतलब, जिन नेताओं को उम्मीदवार बनाकर पार्टी विधानसभा चुनाव जीतना चाह रही थी, वह आपस में ही एक-दूसरे को नहीं जानते थे। राजनीतिक गलियारों में इस चर्चा के बहाने टिकट वितरण पर भी खूब सवाल उठ रहे हैं। कहा जा रहा है कि जो उम्मीदवार पार्टी में ही पहचान नहीं रखते, वे जनता का वोट भला कैसे पाते! इसीलिए चुनाव हारे।
सक्रिय हैं समिति अध्यक्ष
पूर्व सांसद कीर्ति आजाद को कांग्रेस आलाकमान सोनिया गांधी ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार अभियान समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया था। यह बात अलग है कि चुनाव प्रचार में समिति कोई कमाल नहीं दिखी। दिलचस्प यह है कि अब जबकि चुनाव भी खत्म हो चुका है और प्रचार भी, फिर भी समिति अध्यक्ष सक्रिय हैं। उन्होंने नॉर्थ एवेन्यू में न केवल कार्यालय किराये पर ले लिया है बल्कि रोजाना ही यहां लोगों से मिलना-जुलना भी शुरू कर दिया है। चूंकि फिलहाल दिल्ली कांग्रेस का कोई अध्यक्ष नहीं है व प्रचार समिति का भी कोई औचित्य नहीं रह गया है, लिहाजा वे यहीं से अगले राजनीतिक सफर के लिए रफ्तार भरने की जद्दोजहद में लगे हैं। शायद वह सोच रहे हों कि सत्ता के केंद्र यानी नॉर्थ एवेन्यू में रहेंगे और नेता-पत्रकारों से मेल-मिलाप करते रहेंगे तो क्या पता भविष्य में कुछ नया राजनीतिक अवसर आसानी से मिल जाए।
अध्यक्ष का मुद्दा छोड़ दंगे की रिपोर्ट बना रहे प्रभारी
दल्ली कांग्रेस के नए प्रभारी शक्र्ति सिंह गोहिल ने औपचारिक रूप से भले ही अपना कार्यभार अभी तक न संभाला हो, लेकिन पार्टी की चुनावी हार एवं दिल्ली इकाई के नए अध्यक्ष के लिए पूरी शिद्दत से अपनी रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं। वह सभी उम्मीदवारों सहित छोटे- बड़े करीब एक सौ नेताओं के साथ रायशुमारी भी कर चुके हैं। उम्मीद थी कि मार्च के प्रथम सप्ताह में नया अध्यक्ष मिल सकता है। लेकिन अब प्रभारी महोदय नए अध्यक्ष का मुद्दा छोड़ उत्तर पूर्वी जिले में हाल ही में हुए सांप्रदायिक दंगे की रिपोर्ट तैयार करने में जुट गए हैं। बकौल गोहिल, आलाकमान के निर्देश पर पांच वरिष्ठ नेताओं की समिति पहले दंगा प्रभावित इलाकों का दौरा कर इस पर अपनी रिपोर्ट तैयार करेगी। इसके बाद ही नए अध्यक्ष के मसले पर कार्यवाही आगे बढ़ेगी। हालांकि उन्होंने उम्मीद जताई कि होली के बाद दिल्ली कांग्रेस का भविष्य तय हो सकता है।
नई घोषणा के लिए सत्र समाप्ति का इंतजार
विधानसभा चुनाव भले ही संपन्न हो गया हो लेकिन दिल्ली विकास प्राधिकरण (डीडीए) अभी न कोई नई स्कीम ला रहा है और न ही कोई बड़ी घोषणा कर रहा है। वजह, संसद सत्र का जारी होना। दरअसल, कोई भी बड़ी घोषणा केंद्रीय आवास एवं शहरी विकास मंत्री द्वारा ही किए जाने का प्रोटोकॉल है। अब चूंकि मंत्री (हरदीप सिंह पुरी) महोदय संसद सत्र में व्यस्त हैं इसलिए सत्र की समाप्ति के बाद ही अब कोई नई घोषणा होगी। हालांकि डीडीए उपाध्यक्ष तरुण कपूर कहते हैं कि फिलहाल कोई नई या बड़ी घोषणा पाइपलाइन में नहीं है। लेकिन दूसरी तरफ वह इससे भी इन्कार नहीं करते कि डीडीए इस समय कई बड़ी परियोजनाओं पर काम कर रहा है। ऐसे में यही अंदाजा लगाया जा रहा है कि संसद सत्र खत्म होने के बाद अनाधिकृत कॉलोनियों में मालिकाना हक सहित कई अन्य योजनाओं पर भी कुछ नया देखने को मिल सकता है।