पूर्वी दिल्ली नगर निगम : निजीकरण और भ्रष्टाचार से बिगड़ी निगम की हालत
स्वच्छ भारत मिशन के तहत पूर्वी निगम क्षेत्र में 63 सामुदायिक शौचालय और 290 जन शौचालय बने हैं। लेकिन एक भी पिंक शौचालय इस मिशन के तहत नहीं बनाया गया। जो बने हैं उनमें भी कई में बिजली और पानी की सुविधा नहीं है।
नई दिल्ली [स्वदेश कुमार]। पूर्वी दिल्ली नगर निगम के सदन में स्थायी समिति के अध्यक्ष बीर सिंह पंवार की तरफ से पेश बजट पर बुधवार को नेता विपक्ष मनोज त्यागी ने अपने सुझाव पेश किए। पहली बार आनलाइन हो रही सदन की बैठक में वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये मनोज त्यागी ने निजीकरण और भ्रष्टाचार को पूर्वी निगम की माली हालत के लिए जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि पिछले तीन सालों में सफाई व्यवस्था पर बजट बढ़ाया जा रहा है लेकिन नतीजे सिफर ही हैं। यहां तक कि दिल्ली सरकार की तरफ से दिए गए फंड से कूड़ा उठाने वाली मेट्रो वेस्ट कंपनी को करोड़ों रुपये का भुगतान कर दिया गया। इस कंपनी को ठेका देने में भी भ्रष्टाचार हुआ है। जो काम पूर्वी निगम 70 करोड़ रुपये में कर रहा था, उस पर अब 250 करोड़ रुपये सालाना से अधिक खर्च किए जा रहे हैं।
कंपनी को अगस्त तक हर वार्ड से गीला और सूखा कूड़ा अलग-अलग उठाना था। लेकिन पूर्वी निगम में सत्ता में बैठी भाजपा के नेताओं ने सांठगांठ कर सदन से प्रस्ताव पास कराकर कंपनी को और समय दे दिया। जबकि कंपनी से जुर्माना वसूला जा सकता था।
मनोज त्यागी ने कहा कि निजीकरण कर्मचारियों के हित में नहीं है। पीपीपी (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) माडल के जरिये सभी काम कराए जा रहे हैं और सभी में निगम को भारी नुकसान हो रहा है। पूर्वी निगम ने वायु प्रदूषण पर अंकुश के लिए दस मैकेनिकल रोड स्वीपिंग मशीनें खरीदी थीं। इन मशीनों का परिचालन और रखरखाव निजी कंपनी को दे दिया। इसके बदले में निगम तीन साल में कंपनी को 14 करोड़ रुपये देगा। जबकि खुद परिचालन करता तो यह काम 5.76 करोड़ रुपये हो जाता। इस तरह से करीब 8.5 करोड़ रुपये निगम को बचते।
स्वच्छ भारत मिशन के तहत पूर्वी निगम क्षेत्र में 63 सामुदायिक शौचालय और 290 जन शौचालय बने हैं। लेकिन एक भी पिंक शौचालय इस मिशन के तहत नहीं बनाया गया। जो बने हैं उनमें भी कई में बिजली और पानी की सुविधा नहीं है। इन शौचालयों की देखरेख स्वयंसेवी संस्थाओं को दे देनी चाहिए।
गाजीपुर लैंडफिल साइट पर 20 ट्रामेल मशीनें किराये पर लेकर चलाई जा रही हैं। इन्हें सलाना 15.60 करोड़ रुपये का किराया दिया जा रहा है। जबकि एक मशीन की कीमत निगम अधिकारियों के मुताबिक 50 लाख रुपये है। यानी दस करोड़ में 20 मशीनें हम खरीद सकते हैं। लैंडफिल साइट पर कूड़े के निस्तारण के लिए दिल्ली सरकार 25 करोड़ रुपये दे चुकी है। लेकिन इस फंड में भी भ्रष्टाचार हो रहा है। वहां कूड़े में कोई कमी नहीं है।
कोरोना योद्धाओं को मिले पारितोषिक
मनोज त्यागी ने कहा कि कोरोना काल में हमारे कर्मचारियों ने शानदार काम किया है। उनका उत्साह बढ़ाने के लिए निगम को अपने बजट में पारितोषिक का प्रविधान करना चाहिए था लेकिन कुछ नहीं किया गया। उन्होंने कोरोना से जान गंवाने वाले कर्मचारियों के परिवार को 50 लाख रुपये का मुआवजा देने का भी सुझाव दिया। इसके साथ उन्होंने पर्यावरण सहायकों के स्थायीकरण पर जोर देने की अपील की।
महापौर की प्रतिक्रिया
नेता विपक्ष ने अपने बजट भाषण में ख्याली पुलाव पकाएं हैं। कभी तो वह पीपीपी माडल का विरोध करते दिखे तो कभी इसका समर्थन। पूर्वी निगम की माली हालत खराब होने की वजह दिल्ली सरकार द्वारा फंड रोकना है। अगर चौथे वित्तीय आयोग की अनुशंसा के अनुसार हमें फंड मिल जाता तो वेतन की समस्या नहीं आती। आप के पार्षद अपने वार्डों से कर नहीं जुटा पाते हैं। सबसे कम संपत्ति कर का संग्रह इन्हीं के वार्डों से है।
श्याम सुंदर अग्रवाल, महापौर