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इलाज में लापरवाही के लिए एम्स प्रशासन को देना पड़ेगा 50 लाख मुआवजा, ये है पूरा मामला

डेंगू के उपचार के दौरान मेडिकल छात्र की मौत के मामले में उपभोक्ता आयोग ने पीड़ित परिवार को 50 लाख रुपये मुआवजा देने का एम्स को आदेश दिया है।

By Edited By: Published: Tue, 04 Jun 2019 08:05 PM (IST)Updated: Wed, 05 Jun 2019 10:14 AM (IST)
इलाज में लापरवाही के लिए एम्स प्रशासन को देना पड़ेगा 50 लाख मुआवजा, ये है पूरा मामला
इलाज में लापरवाही के लिए एम्स प्रशासन को देना पड़ेगा 50 लाख मुआवजा, ये है पूरा मामला

नई दिल्ली, जेएनएन। डेंगू के उपचार के दौरान मेडिकल छात्र की मौत के मामले में उपभोक्ता आयोग ने पीड़ित परिवार को 50 लाख रुपये मुआवजा देने का अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) को आदेश दिया है। दो लाख रुपये एम्स पूर्व में पीड़ित परिवार को राहत राशि के रूप में दे चुका है। इसलिए अब 48 लाख रुपये देने होंगे।

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दो महीने में अगर आदेश का पालन नहीं होता है तो मुआवजा 9 फीसद ब्याज के साथ देना होगा। हैदराबाद के चैतन्यपुरी निवासी विजय कुमार ने एम्स के खिलाफ उपभोक्ता आयोग में केस दायर किया था। इसमें कहा था कि उनका बेटा राज किरण एम्स में सातवें सेमेस्टर में पढ़ रहा था और वहीं पर हॉस्टल में रहता था। राज ने 2003 में मेडिकल प्रवेश परीक्षा में 20वां स्थान हासिल किया था।

इलाज में लापरवाही बरतने का था आरोप

याचिका में कहा गया था कि 27 सितंबर 2006 को राज किरण को बुखार आया और वह एम्स की इमरजेंसी में गया। कुछ देर के बाद उसे वापस हॉस्टल भेज दिया गया। अगले दिन दोपहर को फिर से वह इमरजेंसी गया, जहां पता चला कि प्लेटलेट्स काफी कम हैं।

दोपहर से लेकर रात तक उसे भर्ती नहीं किया गया। देर रात बेड मिला तो उसे भर्ती किया गया। 29 सितंबर को एक जूनियर डॉक्टर ने उसे आइसीयू में भर्ती किया। हालत खराब होती गई और 30 सितंबर की देर रात राज किरण की मौत हो गई। नहीं चली एम्स की दलील आयोग में एम्स की तरफ से दलील दी गई कि शिकायतकर्ता कोई उपभोक्ता नहीं है।

एम्स भी सेवा शुल्क नहीं लेता तो ऐसे में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के दायरे में यह संस्थान नहीं आता। फिर भी एम्स ने इस मामले की जांच एक कमेटी से करवाई। कमेटी ने रिपोर्ट में कहा कि इलाज में देरी का मतलब उपचार में लापरवाही का प्रमाण नहीं है। इसके बावजूद संस्थान की तरफ से दो लाख रुपये की राहत राशि दी गई है। हालांकि एम्स की दलील आयोग में नहीं चल सकी।

आयोग ने कहा कि सेवा में खामी पाई गई और कमेटी ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इलाज में देरी तो हुई। ऐसे में किसी भी तरह की सेवा में खामी पर जुर्माना लगाया जा सकता है। 20 साल की उम्र में ऐसे बच्चे की मौत होना, जो परिवार की बड़ी उम्मीद था, वाकई में बड़ा सदमा है। हालात को ध्यान में रखते हुए 50 लाख रुपये मुआवजा जायज है। संस्थान ने जो दो लाख रुपये की राशि पहले से दी है, उसे काटकर 48 लाख रुपये मुआवजा दें।

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