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हल्दी से पेट के कैंसर का खोज निकाला इलाज

जल्द ही दवाई का इजाद भी कर लिया जाएगा। साथ ही कई अन्य तरह के कैंसर का भी हल्दी के यौगिक पदार्थ से इलाज खोजने के लिए शोध किया जा रहा है।

By Amit SinghEdited By: Published: Sun, 22 Jul 2018 12:38 PM (IST)Updated: Sun, 22 Jul 2018 12:38 PM (IST)
हल्दी से पेट के कैंसर का खोज निकाला इलाज
हल्दी से पेट के कैंसर का खोज निकाला इलाज

नई दिल्ली (राहुल मानव)। आयुर्वेदिक औषधि हल्दी से अब पेट के कैंसर का इलाज संभव हो सकेगा। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के बायोप्रौद्योगिकी विभाग के प्रोफेसर और पीएचडी के छात्रों ने पांच साल की कड़ी मेहनत के बाद सफल परीक्षण करते हुए हल्दी से इलाज खोज निकाला है।

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हल्दी में कुछ ऐसे यौगिक पदार्थ होते हैं जो उस बैक्टीरिया पर सीधे असर डालते हैं, जिससे पेट के कैंसर का प्रभाव कम होने लगता है। कैंसर के प्रभाव को कम करने के अलावा अब इस प्रणाली को पेट के अंदर स्थिर रखने की कोशिश की जा रही है। इसके लिए दवाई तैयार करने की दिशा में शोध हो रहा है। जल्द ही दवाई का इजाद भी कर लिया जाएगा। साथ ही कई अन्य तरह के कैंसर का भी हल्दी के यौगिक पदार्थ से इलाज खोजने के लिए शोध किया जा रहा है।

प्रोफेसर डॉ. रूपेश चतुर्वेदी के अनुसार पांच साल तक किए गए इस परीक्षण में लखनऊ से 40 लोगों के खून के सैंपल मंगवाए गए थे। इनमें से 39 खून के सैंपल में हेलिकोबैक्टर बैक्टीरिया का प्रभाव पाया गया। करक्यूमिन को किसी तरल रसायन में डालने के बाद उसकी ऑक्सीजन की मात्र बढ़ने लगती है। करक्यूमिन से बने ऑक्सीजन को जब खून में मौजूद हेलिकोबैक्टर बैक्टीरिया में प्रयोग करते हुए परीक्षण किया गया, तो शोध सफल हुआ और बैक्टीरिया का प्रभाव कम होने लगा। इससे पेट के कैंसर का इलाज संभव हो सकेगा।

इस बैक्टीरिया से पूर्वोत्तर के लोग अधिक पीड़ित हैं

पूर्वोत्तर के राज्यों के लोगों में सबसे ज्यादा पेट के कैंसर के बैक्टीरिया पाए जाते हैं। जेएनयू के बायोप्रौद्योगिकी विभाग के प्रोफेसर डॉ. रूपेश चतुर्वेदी ने बताया कि पेट में अशुद्घ भोजन व पानी के प्रसार के कारण हेलिकोबैक्टर पाइलिरो बैक्टीरिया पेट में पनपता है। इससे पेट के अंदर अल्सर होता है और अल्सर को ही बैक्टीरिया कैंसर में तब्दील कर देता है। दिल्ली, पूर्वोत्तर, उत्तर और दक्षिण भारत के कई राज्यों में रहने वाले लोगों में यह बैक्टीरिया पाया जाता है। पूर्वोत्तर राज्यों में इसका असर ज्यादा है। यहां पर 90 फीसद लोगों के पेट में यह बैक्टीरिया पाया जाता है, जबकि अन्य राज्यों में 80 फीसद लोग इससे प्रभावित हैं।


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