रिपोर्ट में चौंकाने वाला खुलासा, एक दशक में एक डिग्री बढ़ गया दिल्ली का तापमान
विडंबना यह भी कि गर्मियों के सीजन में साल दर साल तपती दिल्ली में इस स्थति से निपटने के लिए न तो कोई हीट एक्शन प्लान है और न ही कहीं किसी और रूप में कोई गंभीरता नजर आती है।
नई दिल्ली [संजीव गुप्ता]। शहरीकरण की अंधी दौड़ कहें या पर्यावरण की अनदेखी, लेकिन जलवायु परिवर्तन का असर दिल्ली पर अब साफ नजर आने लगा है। इसी का नतीजा है कि पिछले एक दशक में दिल्ली का तापमान 1.2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ गया है। विडंबना यह भी कि गर्मियों के सीजन में साल दर साल तपती दिल्ली में इस स्थति से निपटने के लिए न कोई हीट एक्शन प्लान है और न ही कहीं किसी और रूप में कोई गंभीरता नजर आती है।
गैर सरकारी संस्था इंटीग्रेटेड रिसर्च एंड एक्शन फॉर डेवलपमेंट (इराडे) ने 2010 से 2018 तक के तापमान पर विस्तृत अध्ययन रिपोर्ट तैयार की है। इसमें मौसम विभाग के सफदरजंग, पालम, रिज और आया नगर केंद्रों के तापमान को आधार बनाया गया है। अध्ययन में पाया गया कि दिल्ली के अधिकतम एवं न्यूनतम दोनों ही तापमान में वृद्धि हो रही है।
यह वृद्धि भी गर्मियों के चारों महीनों मार्च, अप्रैल, मई और जून के तापमान में हो रही है। रिपोर्ट बताती है कि पिछले एक दशक के दौरान मार्च के अधिकतम तापमान में 1.2 डिग्री, अप्रैल व मई में 0.5 डिग्री और जून में 0.1 डिग्री सेल्सियस का इजाफा दर्ज किया गया। इसी तरह न्यूनतम मार्च के न्यूनतम तापमान में 0.9 डिग्री, अप्रैल में 0.43 डिग्री, मई और जून में 0.1 डिग्री सेल्सियस का इजाफा रिकॉर्ड किया गया है।
तापमान में वृद्धि की मुख्य वजह
रिपोर्ट के मुताबिक, बढ़ते तापमान के लिए प्रकृति नहीं बल्कि दिल्ली वाले खुद जिम्मेदार हैं। कंक्रीट के बढ़ते जंगल से हरित क्षेत्र लगातार घट रहा है। हरियाली का मतलब घास वाले पार्क नहीं बल्कि वन क्षेत्र है। पार्को में भी बड़े पेड़ होने चाहिए। इसी तरह से कच्चा क्षेत्र, जहां वर्षा जल संचयन हो सके, दिल्ली में समाप्त होता जा रहा है। कमर्शियल गतिविधियों और वाहनों का उपयोग बढ़ रहा है। इन सभी कारणों से दिल्ली में तापमान लगातार बढ़ रही है।
रोहित मगोत्रा (उप निदेशक, इराडे) की मानें तो पिछले एक दशक में दिल्ली का विकास तो हुआ है, लेकिन इसके नाम पर भवन निर्माण हुआ है या सड़कों पर वाहनों की भीड़ बढ़ी है। इसके विपरीत दिल्ली का प्रकृति प्रदत्त स्वरूप खत्म होता जा रहा है। यही वजह है कि भीषण गर्मी के इस मौसम में दिल्ली वासी घर से बाहर निकलने पर छाया के लिए ठिकाना ढूंढते नजर आते हैं, लेकिन ऐसा ठिकाना उन्हें मिलता ही नहीं है। दिल्ली को अत्यधिक गर्मी से बचाना है तो शहरीकरण पर अंकुश लगाना जरूरी है।
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