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डीयू काॅलेजों में वेतन के लिए मुख्यमंत्री ने जारी किए 28 करोड़ रुपये

दिल्ली सरकार द्वारा वित्तपोषित डीयू के 12 कालेजों को वेतन के लिए मुख्यमंत्री ने 28.24 करोड़ रुपए जारी करने के आदेश दिए।उन्होंने कहा कि काॅलेज विभिन्न मदों में मौजूद फंड को तनख्वाह देने में इस्तेमाल कर सकते हैं या नहीं इस पर अदालत के आदेशानुसार ही दिल्ली सरकार कार्य करेगी।

By Prateek KumarEdited By: Published: Tue, 16 Mar 2021 09:19 PM (IST)Updated: Tue, 16 Mar 2021 09:19 PM (IST)
डीयू काॅलेजों में वेतन के लिए मुख्यमंत्री ने जारी किए 28 करोड़ रुपये
मुख्यमंत्री ने हर मुद्दे को काॅलेजों के साथ बैठकर सुलझाने का आश्वासन दिया।

नई दिल्ली [संजीव कुमार मिश्र]। मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने मंगलवार को शिक्षा विभाग के अधिकारियों, डीयू के 12 कालेजों के प्राचार्यों संग बैठक की। दिल्ली सरकार द्वारा वित्तपोषित डीयू के 12 काॅलेजों को वेतन के लिए मुख्यमंत्री ने 28.24 करोड़ रुपए जारी करने के आदेश दिए। उन्होंने कहा कि डीयू के काॅलेज विभिन्न मदों में मौजूद फंड को तनख्वाह देने में इस्तेमाल कर सकते हैं या नहीं, इस पर अदालत के आदेशानुसार ही दिल्ली सरकार कार्य करेगी। किसी भी स्थिति में काॅलेजों के शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक कर्मचारियों का वेतन नहीं रुकने दिया जाएगा। मुख्यमंत्री ने हर मुद्दे को काॅलेजों के साथ बैठकर सुलझाने का आश्वासन दिया।

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मुख्यमंत्री ने कहा कि विगत कई दिनों से मीडिया में वेतन संबंधी खबरें पढ़ रहा हूं। दिल्ली सरकार शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्रों में सुधार के लिए जानी जाती है। लेकिन, दिल्ली सरकार की नीयत की गलत व्याख्या की जा रही हैं। इसकी वजह से दिल्ली सरकार और दिल्ली विश्वविद्यालय के बीच गलतफहमी पैदा हो रही है। मुख्यमंत्री ने इस बैठक को गलतफहमी दूर करने की दिशा में सरकार द्वारा उठाया गया कदम बताते हुए कहा कि हमारी तरफ से आज एक नई शुरुआत हुई है। दिल्ली विश्वविद्यालय के अधिकारियों और डीयू के कुलपति की ओर से भी बातचीत शुरू करने की जरूरत है, ताकि कई ऐसे लंबित मुद्दों को सुलझाया जा सके, जो विवाद का कारण बने हुए हैं। हम शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया के कार्यालय की तरफ से दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति को निमंत्रित करेंगे, ताकि इन लंबित मुद्दों पर चर्चा कर उन्हें सुलझाया जा सके।

उपमुख्यमंत्री ने कहा कि हम सरकार के दायरे में आने वाले काॅलेजों को पूरा फंड देने के लिए तैयार हैं। वित्त पोषित काॅलेजों को दिल्ली सरकार पर पूरा भरोसा होना चाहिए और उनके पत्रों और उनकी भावनाओं में भी 100 प्रतिशत यह पारदर्शिता झलकनी चाहिए। बकौल उपमुख्यमंत्री चूंकि ये संस्थान दिल्ली सरकार द्वारा 100 प्रतिशत वित्त पोषित हैं, तो दिल्ली सरकार की सहायता के पैटर्न का पालन किया जाना चाहिए।

कालेजों को दिल्ली सरकार पर अनावश्यक वित्तीय बोझ नहीं डालना चाहिए। उन्होने कहा कि उम्मीद की जाती है कि दिल्ली सरकार 2010 से पहले नियुक्त किए गए शैक्षणिक स्टाफ की तनख्वाह का भुगतान करें, जबकि दिल्ली सरकार के पास 2010 से पहले नियुक्ति का कोई रिकार्ड नहीं है। कालेजों को स्टाफ की नियुक्ति से पहले दिल्ली सरकार से पूर्व अनुमति लेनी चाहिए। गवर्निंग बाडी दिल्ली विश्वविद्यालय और दिल्ली सरकार के बीच एक पुल का काम करती है, हम उन्हें खत्म नहीं कर सकते। उनकी टाइम लाइन को जितनी जल्दी हो सके, बढ़ाया जाना चाहिए। ऐसा देखा गया है कि इन कालेजों की तरफ से यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट (उपयोग प्रमाण पत्र) जारी करने में देरी हुई है।


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