Chetan Chauhan: दिल्ली में लोकसभा चुनाव हारे थे पर दिल जीतने से नहीं चूके चेतन चौहान
दो बार अमरोहा के सांसद रह चुके चेतन चौहान को भाजपा ने 2009 के लोकसभा चुनाव में पूर्वी दिल्ली से कांग्रेस के तत्कालीन सांसद संदीप दीक्षित के सामने उम्मीदवार बनाया था।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। क्रिकेटर से राजनेता बने चेतन चौहान में हर किसी को अपना बना लेने की क्षमता थी। 2009 में पूर्वी दिल्ली संसदीय क्षेत्र से वह चुनाव तो हार गए थे, लेकिन भाजपा कार्यकर्ताओं के दिल को जीत लिया था। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि उत्तर प्रदेश में कैबिनेट मंत्री बनने के बाद जब भी वह दिल्ली आते, उनसे मिलने के लिए कार्यकर्ताओं की भीड़ उनके नागार्जुन अपार्टमेंट पर पहुंच जाती थी। वह किसी को बिना मिले लौटने नहीं देते थे। दो बार अमरोहा के सांसद रह चुके चेतन चौहान को भाजपा ने 2009 के लोकसभा चुनाव में पूर्वी दिल्ली से कांग्रेस के तत्कालीन सांसद संदीप दीक्षित के सामने उम्मीदवार बनाया था। इसी चुनाव में उनका भाजपा के स्थानीय कार्यकर्ताओं के साथ जुड़ाव शुरू हुआ। हालांकि, नतीजे उनके पक्ष में नहीं रहे। वह 2.41 लाख मतों से चुनाव हार गए।
बावजूद इसके इस दौरान कार्यकर्ताओं से जो रिश्ता बना, वह उनके अंतिम सांस लेने तक कायम रहा। शाहदरा के भाजपा जिलाध्यक्ष रामकिशोर शर्मा बताते हैं कि वह जिंदादिल इंसान थे। 2009 में चुनाव हारने के बाद भी उनका पूर्वी दिल्ली के कार्यकर्ताओं के साथ लगाव व संवाद जारी रहा। प्रमुख त्योहारों पर वह अपने आवास या विकास मार्ग स्थित कार्यालय पर जरूर मिलते थे। कोई कार्यकर्ता मुसीबत में हो तो वह आधी रात को भी पहुंच जाते थे।
उनके चुनाव में प्रमुख किरदार निभाने वालों में शामिल रहे शाहदरा जिले के तत्कालीन महामंत्री और मौजूदा पार्षद संतोष पाल बताते हैं कि उनके चुनाव हारने से कार्यकर्ता काफी निराश हो गए थे। लेकिन चेतन चौहान कहते थे कि हार-जीत जीवन का हिस्सा है। कभी आप जीतते हैं तो कभी हारते हैं लेकिन हारकर बैठ जाना वाला खिलाड़ी नहीं होता है।
संतोष पाल का कहना है कि वह काफी मिलनसार थे। वह किसी से भी नि:संकोच मिलते थे। हर कार्यकर्ताओं को उनके नाम से जानते थे। 2017 में जब वह उप्र में विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे तब भी उनका प्रतिदिन उप्र से दिल्ली आना-जाना रहता था।